किडनी की रचना एंव कार्य, किडनी ट्रिटमेंट इन इंडिया

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी की रचना एंव कार्य, किडनी ट्रिटमेंट इन इंडिया

किडनी मानव शरीर का एक जरूरी हिस्सा है। किडनी की खराबी, किसी गंभीर बीमारी या मौत कारण भी बन सकता है। इसकी तुलना सुपर कंप्यूटर के साथ करना उचित है, क्योंकि किडनी की रचना बड़ी अटपटी है और उसके कार्य अत्यंत जटिल है। साथ ही उनके दो कार्य प्रमुख है- हानिकारण अपशिष्ट उत्पादों और विषैले कचरे को शरीर से बाहर निकालना और शरीर में पीना, तरल पदार्थ, खनिजों (इलेक्ट्रोलाइट्स के रूप में सोडियम, पोटेशियम आदि) नियमन करना है। “किडनी की रचना एंव कार्य”

किडनी की रचना

किडनी शरीर का खून साफ करके पेशाब बनाती है। शरीर से पेशाब निकालने का कार्य मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रनलिका द्वारा होता है। किडनी की रचना कुछ इस प्रकार है

  • महिलाओं और पुरूष दोनों के शरीर में सामान्यत: दो किडनी होती है
  • किडनी, पेट के अंदर, पीछे के हिस्से में, रीढ की हड्डी के दोनों तरफ, छाती की पसलियों के सुरक्षित तरीके के स्थित होती है।
  • किडनी, राजमा के आकार के एक जोड़ी अंग है। वस्यकों में एक किडनी लगभग 10 सेंटीमीटर लम्बी, 6 सेंटीमीटर चौड़ी और 4 सेंटीमीटर मोटी होती है। प्रत्येक किडनी की वजन लगभग 150-170 ग्राम होता है।
  • किडनी द्वारा बनाए गए पेशाब को मूत्राशय तक पंहुचानेवाली नली को मूत्रवाहिनी कहते है। ये 25 सेंटीमीटर लंबी होती है और विशेष प्रकार की लचीली मांसपेशियों से बनी होती है। “किडनी की रचना एंव कार्य”
  • मूत्राशय पेट के निचले हिस्से में सामने की तरफ स्थिक एक स्नायु की थैली है, जिसमें पेशाब जमा होता है।
  • वयस्क व्यक्ति के मूत्रशय में 400-500 मिलीलीटर पेशाब एकत्रित हो सकता है। जब मूत्रशय की क्षमता के करीब भर जाता है। तब व्यक्ति को पेशाब त्याग करने की तीव्र इच्छा होती है।
  • मूत्रनलिका द्वारा पेशाब शरीर से बहार आता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मूत्रमार्ग छोटा होता है, जबकि पुरुषों में मार्ग लम्बा होता है। “किडनी की रचना एंव कार्य”

किडनी का कार्य

किडनी की जरूरत और महत्व क्या है?

  • प्रत्येक व्यक्ति द्वारा लिए गए आहार के प्रकार और उसकी मात्रा में हर दिन परिवर्तन होता रहता है।
  • आहार की विविधता के कारण शरीर में पानी की मात्रा, अम्लीय और क्षारिय पदार्थों की मात्रा में निरंतर परिवर्तन होता रहता है।
  • आहार पाचन के दौरान कई अनावश्यक पदार्थ शरीर में उत्पन्न हो जाती हैं।
  • किडनी शरीर में अनावश्यक द्रव्यों और पदार्थों को पेशाब द्वारा दूर कर खून का शुद्धिकरण करती है और शरीर में क्षार और अम्ल का संतुलन कर खून में उनकी उचित मात्रा बनाए रखती है। इस तरह किडनी शरीर को स्वच्छ और स्वस्थ रखती है।
  • शरीर में पानी, अम्ल, क्षार तथा अन्य रसायनों और शरीर के अंदर उत्सर्जित होने वाले पदार्थों का संतुलन बिगडने या बढ़ने पर वह व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकता है। “किडनी की रचना एंव कार्य”

किडनी के मुख्य कार्य

  • खून का शुद्धीकरण
  • अपशिष्ट उत्पादों को निकलना
  • अम्ल एवं क्षार का संतुलन
  • खून के दबाव पर नियंत्रण
  • रक्तकणों के उत्पादन में सहायता
  • हडिड्यों की मजबूती “किडनी की रचना एंव कार्य”

किडनी के लिए आयुर्वैदिक डॉक्टर और उपचार

कर्मा आयुर्वेदा नई दिल्ली में 1937 में स्थापित किया गया था और आज इसकी संख्या में वृद्धि होती जा रही है। आज डॉ. पुनीत धवन इसके नेतृत्व में है। हर साल हजारों आयुर्वेदिक किडनी रोगियों का इलाज करते है। वो भी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण की सलाह के बिना। डॉ. पुनीत सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी उपचार पर विश्वास करते हैं। “किडनी की रचना एंव कार्य”

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