किडनी की समस्या | कर्मा आयुर्वेदा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। किडनी रक्त में मौजूद पानी और व्यर्थ पदार्थो को अलग करने का काम करती है। इसके अलावा शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हार्मोंस छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित करने में भी सहायता प्रदान करता हैं। ये लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता हैं। इसका एक और कार्य हैं विटामिन-डी का निर्माण करना, जो शरीर की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाती है।

बता दें कि, किडनी डोनेशन, डायलिसिस, किडनी मैच ने होना और कभी-कभी ऑपरेशन फैल होने जैसी समस्याएं काफी बढ़ चुकी हैं। पिछले कुछ सालों में किडनी से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौतों में काफी इजाफा हुआ है। लोग किडनी से जुड़ी समस्याओं के लक्षण समझ नहीं पाते और डॉक्टर के पास तब जा पाते हैं जब समस्या बहुत अधिक बढ़ चुकी होती है। जिससे बचने के अवसर निश्चित तौर पर घट चुके होते हैं। साथ ही हर साल हमारे देश में लाखों की संध्या में नए मरीज सामने आ जाते हैं।

किडनी की समस्या के लक्षण:

किडनी खराब होने लगे तो पेशाब त्याग के समय दर्द होता हैं और रक्त भी आता हैं। इसके अलावा लक्षण देखने को मिलते हैं।

  • गर्म मौसम में भी ठंड लगना
  • भूख कम लगना
  • शरीर में सूजन आना
  • शरीर में थकान और कमजोरी आना
  • पेशाब में प्रोटीन अधिक हो जाना
  • पेशाब करते वक्त जलन या दर्द होना
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना
  • त्वचा पर चकते पड़ना और खुजली
  • मुंह का स्वाद खराब होना और मुंह से बदबू आना

किडनी की समस्या के कारण

किडनी की समस्या गलत खान-पान और दूषित वातावरण जिम्मेदार माना जाता है। बहुत बार किडनी में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक्स दवाओं का ज्यादा सेवन करना भी होता हैं। साथ ही मधुमेह रोगियों को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती हैं। इतना ही नहीं, बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण भी किडनी रोग कारण बन रहा है।

किडनी की समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपचार

भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा हैं। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल को धवन परिवार से 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन चला रहे है। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट की सलाह के बिना।

आयुर्वेदिक 5000 वर्ष पहले भारत की पवित्र भूमि में शुरू हुई थी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लंबे जीवन का विज्ञान हैं और दुनिया में स्वास्थ्य के देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली हैं जिसमें औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों के गंभीर विचार शामिल है। प्राचीन काल से ही आयुर्वेद ने दुनिया भर की मानव जाति के संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास किया है। आज ये चिकित्सा की अनु पन और अभिन्न शाखा है, एक संपूर्ण प्राकृतिक प्रणाली है, जो आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त के लिए वात, पित्त और कफ या नियंत्रित करने पर निर्भर करती हैं।

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