गाजर हर मौसम में खाते है और इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं जो हमारी हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। गाजर प्रदूषण में काफी असरदार है। इसी के साथ गाजर में कई स्वास्थ्य लाभ भी है जैसे कि ह्रदय से लेकर, स्किन, बालों का झड़ना रोकने, आंखों पाचन, एसिडिटी, किडनी की बीमारी और कैंसर तक इसके कई फायदे हैं। गाजर में विटामिन ए, सी, विटामिन के, पैंटोथेनिक एसिड, फोलेट, पोटेशियम, आयरन, तांबा और मैंगनीज जैसे कई खनिज व विटामिन्स पाएं जाते हैं, इसलिए डॉक्टर भी इस प्रदूषण से बचने के लिए अपने सभी पेशेंट को गाजर खाने की सलाह देते हैं। साथ ही गाजर एक ऐसी सब्जी है, जिसमें पौष्टिक तत्वों की कमी नहीं है। गाजर खाने से न सिर्फ शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं, बल्कि कई शारीरिक बीमारियों से भी छुटकारा मिल सकता है।
गाजर में पाएं जाने वाले पोषक तत्व
100 ग्राम गाजर में पाए जाने पोषक तत्व
- 8mg आयरन
- 530mg फास्फोरस
- 0.3gms फैट
- 10.6gms कार्बोहाइड्रेड
- 0.9gms प्रोटीन
- विटामिन डी, ई, जी, के
- 80 mg केल्शियम
- 5mg विटामिन सी
गाजर का सेवन करने आप दिल से जुड़ी समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं। गाजर के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रोल के लेवल को नियंत्रित करते हुए, हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है। यदि आप गाजर का जूस पीते है, तो आप तनाव को कम करते हुए, दिल के साथ-साथ किडनी को भी स्वस्थ रख सकते हैं। गाजर सरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करने से साथ-साथ शरीर में होने वाली बहुत से बीमारियों से भी दूर रखती है।
किडनी के लिए कैसे फायदेमंद है गाजर
शरीर में रक्त और आंखों की रोशनी बढ़ाने के अलावा विटामिन ए से भरपूर गाजर किडनी से टॉक्सिन को बाहर निकालने में भी मदद करती है। इसमें मौजूद पेक्टिन किडनी फेल होने से बचाती है। साथ ही गाजर का जूस यूरिनरी ट्रेक्ट को हेल्दी रखता है। शरीर को डिटॉक्स करके किडनी की बीमारी से बचाता है।
- पाचन - गाजर में फाइबर काफी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है जो पाचन क्रिया को ठीक करने में मदद करती है। इसका सेवन करने से आपका खाना अच्छी तरह से पच जाता है। कब्ज और एसिडिटी में भी गाजर का सेवन करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में आप पाचन के लिए रोजाना गाजर खा सकते है या इसका जूस पी सकेत हैं।
- हाई ब्लड प्रेशर - गाजर हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने अधिक फायदेमंद है। गाजर में पोटेशियम और बीटा कैरोटीन तत्व मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। इसी के साथ गाजर का जूस दिल और किडनी के काम मे मदद करने ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में भी काफी लाभदायक है।
- हड्डियों की मजबूती - हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है और गाजर में ये आसानी से मिलता है। हमारे शरीर लगातार बहुत से ऐसे फंक्शन में काम करता है जिसमें से एक फंक्शन में हड्डियों से पुराना कैल्शियम थोड़ी-थोड़ी में से हटकर नए कैल्शियमक में बदलने लगता है। यदि शरीर में हड्डियों से ज्यादा कैल्शियम निकालने लगे, तो हड्डियां कमजोर होने लगती है और उनके टूटने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए आपको कैल्शियम की मात्रा बनाए रखने के लिए गाजर का सेवन करते रहना चाहिए।
- डायबिटीज - एक शोध से पता चाल है कि गाजर के सेवन से डायबिटीज के मरीज को फायदा हो सकता है। गाजर में बीटा-कैरोटीन नाम का तत्व होने से यह ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रण रखने में मदद करता है। जिससे डायबिटीज की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल में रखने से किडनी के खराब होने का खतरा काम हो जाता है।
- कैंसर - गाजर कैंसर के खतरे को कम करता है, क्योंकि गाजर में पॉली-एसिटिलीन, एंटीऑक्सीडेंट व फालकैरिनोल से भरपूर होती है, जो कैंसर से लड़ने का काम करते हैं। गाजर कैंसर कोशिकाओं को विकासित होने से रोकती है।
इसी चीजों में सुधार से आप किडनी की बीमारी से भी बच सकते हैं, क्योंकि इनमें कुछ किडनी की बीमारी के मुख्य कारण है।
किडनी की बीमारी क्यों होती है?
पिछले कुछ वर्षों में किडनी रोगों के मामलों में दोगुना वृद्धि हुई है। बिगड़ती जीवनशैली और अस्वस्थ खान-पान इसकी बड़ी वजह है। शरीर से बेकार और विषैले तत्व निकालने की जिम्मेदार किडनी की है और किडनी को साफ करने की जिम्मेदारी हमारी है, लेकिन हम रोज प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं। शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किडनी अपनी महत्वपूर्ण होती है। किडनी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखती है और हार्मोन बनने की प्रक्रिया में भी मदद करती है, इसलिए किडनी को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है। वैसे स्वस्थ आहार लेने और पर्याप्त पानी पीने से आपकी किडनी ठीक रहती है। घर में प्राकृतिक तरीकों से किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आपको इन कुछ तरीकों के अपना सकते हैं। इन तरीकों को अपना पर किडनी मजबूत रहती है और विषैले तत्व जमा नहीं होते हैं।
किडनी की खराबी के चलते लाखों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी तब होती है जब बहुत देर हो चुकी होती है। किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं। जब किडनी 60 से 65% डैमेज हो चुकी होती है, इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। किडनी शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकालती है, लेकिन डायबिटीज जैसी बीमारियों, खराब जीवनशैली और कुछ दवाओं की वजह से किडनी के ऊपर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारण है। डायबिटीदज के 30 से 40% मरीजों की किडनी खराब होती है। इनमें से 50% रोगी ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से इस बीमारी का पता चलता है और फिर उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है।
किडनी की बीमारी के लक्षण
किडनी की बीमारी के लक्षण ज्यादातर गैर विशिष्ट और जीवनशैली से संबंधित होते हैं जिसके कारण लोगों की इनपर ध्यान ही नहीं जाता हैं। इसके लक्षण तब दिखाई देते हैं जब रोग गंभीर रूप से धारण कर लेता हैं। लक्षणों की पहचान न होने के कारण इसके निदान में देरी हो जाती हैं। इसलिए समय पर इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में पता होना चाहिए, समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए और समय पर जांच करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
- भूख का कम होना और वजन घटना
- हाथ, पैर और और टखनों में सूजन
- थकान और सांस की तकलीफ
- यूरिन से रक्त या प्रोटीन का आना
- बार-बार पेशाब का करना
- त्वचा में खुजली होना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- उच्च रक्तचाप
- मतली और चक्कर आना
किडनी की बीमारी में कुछ जरूरी परहेज
हमारे शरीर को बाहर और अंदर से स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है। शरीर के अंदरूनी हिस्से हर समय अपना कार्य करते रहते हैं। हमारे शरीर में सभी अंग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और उनमें से एक महत्वपूर्ण अंग किडनी भी है। इनमें से किसी भी अंग में जरा सी भी खराबी आने पर सेहत बिगड़ने लगती है। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। अगर इसमें कोई खराबी आती है तो हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर निकल नहीं पाते हैं, जिसका सीधा असर लीवर और दिल पर पड़ता है। किडनी को स्वस्थ रखने और इससे जुड़ी परेशानियों को ठीक करने के लिए सही डाइट का होना बेहद जरूरी है। बता दें कि, किडनी फेल्योर के केस में किडनी सही से काम नहीं कर पाती, जिससे किडनी पर काफी बोझ पड़ता है। जिसके लिए शरीर में पानी, नमक और क्षारयुक्त पदार्थ की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए आहार में जरूरी परिवर्तन करना आवश्यक है। किडनी फेल्योर के सफल उपचार में आहार के इस महत्व को ध्यान में रखना चाहिए।
- नमक (इसमें उच्च सोडियम होता है)
- कोल्ड ड्रिंक्स (इसमें उच्च कैलोरी, चीनी और फास्फोरस होता है)
- पैक्ड फूड (किडनी मरीजों के लिए अच्छा नहीं)
- ब्राउन ब्रेड (उच्च फाइबर, पोटेशियम और फास्फोरस)
- केला (उच्च पोटेशियम) (1केला – 400mg पोटेशियम)
- संतरा (उच्च पोटेशियम)
- अचार (अचार में उच्च मात्रा में नमक का इस्तेमाल किया जाता है)
- दूध और दूध से बने उत्पाद (इसमें उच्च पोटेशियम होता है)
- आलू (उच्च पोटेशियम)
- टमाटर (उच्च पोटेशियम)
किडनी की बीमारी के लिए आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेदिक किडनी उपचार ही ऐसा उपचार है जिसकी मदद से हम किसी भी प्रकार के रोग को जड़ से खत्म कर सकते हैं। आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा उपचार कराते हुए हम इस बात से निश्चित होते है कि यह दवाएं अंग्रेजी दवाओं की तरह हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाने वाली। क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता है। आयुर्वेद में सभी रोगों का उपचार प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से किया जाता है। आयुर्वेद की सहायता से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा सकता है।
इस समय देशभर में अनेक आयुर्वेदिक उपचार केंद्र उपलब्ध है। लेकिन कर्मा आयुर्वेद एक ऐसा किडनी उपचार केंद्र है जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी फेल्योर का उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेद की स्थापना वर्ष 1937 में हुई थी। तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे हैं। आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है।