किडनी के लिए कॉफी लाभदायक या हानिकारक?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी के लिए कॉफी लाभदायक या हानिकारक?

किडनी लाखों छलनियों तथा लगभग 140 मील लंबी नलिकाओं से बनी होती है। किडनी में उपस्थित नलिकाएं छने हुए द्रव्य में से जरूरी चीजों जैसे कि सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती है ओर बाकी अनावश्यक पदार्थों को पेशाब के रूप में बाहर निकाल देती है। किसी तरह की खराबी की वजह से अगर एक किडनी कार्य करना बंद कर देती है, तो उस स्थिति में दूसरी किडनी पूरा कार्य संभाल सकती है। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही हर किसी चीज का सेवन करना चाहिए।

जाने कॉफी के बारे में

कॉफी नाइट्रिक एसिड नाम के तत्व को रिलीज करने में मदद करती है और यह तत्व किडनी के लिए फंक्शन को सुधारने में कारगर होता है। नींद आने या थकान महसूस करने पर लोग चाय या कॉफी पीते है। साथ ही एक शोध में यह भी सामने आया है कि, कॉफी पीना चाय पीने से अधिक लाभदायक है। वैसे डॉक्टर उन लोगों को कॉफी पीने की सलाह देते हैं, जिनका ब्लड प्रेशर कम होता है। साथ ही इसे पीने से दिल और दिमाग संबंधी बीमारियों के होने का खतरा भी कम होता है।

इसी के साथ, बहुत से लोग कॉफी नींद को भगाने के लिए पीते हैं, तो कई लोग ताजगी और एनर्जी महसूस करने के लिए पीते हैं। सभी के कॉफी पीने के अलग-अलग कारण है और अलग-अलग बहाने है। कॉफी का एक बीज होता है और एक लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बाद यह उपयोग लायक बनता है। कॉफी में फाइटोन्यूट्रिएंट्स (phytonutrient), पॉलीफिनॉल्स (Polyphenols), कई सारे एंटीऑक्सीडेंट्स, रिफ्लेविन (Replevin) यानी विटामिन-बी, मैंगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, नियासिन और कैफीन पाए जाते हैं।

अगर इसको सही मात्रा में लिया जाए, तो इसके अच्छे फायदे होते हैं जैसे कि, यह आपके मूड को अच्छा बना देती है और आपके लीवर को स्वस्थ रखती है। साथ ही इसके और भी बहुत से फायदे हैं, लेकिन जब हम इसके आदी हो जाते हैं और अधिक सेवन करने लगते हैं तो दुष्परिणाम भी उतने ही देखने को मिलते हैं।

कॉफी करती है किडनी को खराब

कॉफी का सेवन करना सभी लोग पसंद करते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में कॉफी के सेवन से किडनी खराब हो सकती है। कॉफी के अंदर कैफीन नामक का एक तत्व होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह शरीर में कैफीन की अधिक मात्रा किडनी फेल्योर का कारण बनती है। कॉफी निम्नलिखित कारणों की वजह से किडनी को खराब कर सकती है जैसे –

  • कैफीन के अधिक सेवन से शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने लगती है। शरीर में पोटेशियम की अधिक मात्रा होने की वजह से किडनी पर दबाव बढ़ता है और किडनी खराब हो जाती है।
  • कैफीन शरीर में डोपोमाईन (Dopamine) को सक्रीय कर देता है, जो टोक्सिक को बढ़ा देता है, जो नशीले पदार्थ की तरह शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। यह शरीर की एनर्जी को कम या ज्यादा करता है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है।
  • कैफीन से रक्तचाप बढ़ता है, अधिक मात्रा में कॉफी के सेवन से आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, जिससे किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ता है और आपकी किडनी में खराबी आने लगती है।
  • कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खतरा है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजह से दिल से जुड़ी समस्याएं और उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • कॉफी का अधिक सेवन से किडनी स्टोन का खतरा बढ़ता है, क्योंकि कॉफी में ऑक्सलेट तत्व मौजूद होता है, जो कि रक्त में मौजूद कैल्शियों के साथ मिलाकर कैल्शियम ऑक्सलेट का निर्माण करता है। कैल्शियम ऑक्सलेट के निर्माण से किडनी स्टोन बन जाती है।
  • डायबिटीज होने की वजह से कॉफी का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। डायबिटीज किडनी खराबी होने के मुख्य कारणों में से एक है। डायबिटीज होने पर खून में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। शर्करा युक्त खून शुद्ध करने के लिए किडनी को अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे किडनी की बीमारी हो जाती है।
  • कॉफी के अंदर अम्लीय तत्व होते हैं, जो कि पाचन तन्त्र को खराब कर सकती है। पाचन तंत्र खराब होने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए हो सके तो कॉफी का कम ही सेवन करें।

कॉफी से होने वाले अन्य दुष्प्रभाव

  • किडनी स्टोन - कॉफी में मौजूद ऑक्सलेट आपके खून में मौजूद कैल्शियम से मिलकर कैल्शियम ऑक्सलेट बनाता है और यह किडनी स्टोन का मुख्य कारण होता है।
  • हड्डियों में कमजोरी - कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन करने से हड्डियों का भुरभुरा होने और ऑस्टियोपेरोसिस होने का खतरा भी बड़ जाता है। साथ ही इसके अधिक सेवन से हड्डियां पतली तक होने लगती है।
  • नींद न आना - कॉफी का अधिक सेवन करने पर यह आपकी रातों की नींद भी छीन लेती है और सही प्रकार से नींद पूरी न होने की वजह से आपक चिड़चिड़े होने लगते हैं और डार्क सर्कल्स भी आने लगते हैं।

किडनी की बीमारियां क्यों होती हैं?

किडनी की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और वातावरण को मुख्य कारण माना जाता हैं। गंदा मांस, मछली, अंडा, फल, भोजन और गंदे पानी का सेवन किडनी की बीमारी कारण बन सकता हैं। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वाहनों के कारण पर्यावरण प्रदूषण बढ गया हैं। भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुत, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही किडनी भी सुरक्षित नहीं हैं। किडनी के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ रही हैं।

किडनी की बीमारी के लक्षण

  • चेहरे और पैरों में सूजन आना
  • भूख कम लगना
  • उल्टी होना
  • कमजोरी लगना
  • डायबिटीज के इलाज में लापरवाही
  • थकान
  • एनीमिया (शरीर में रक्त की कमी)
  • हाई ब्लड प्रेशर

किडनी की खराबी की कराएं जांच

  • यूरिन टेस्ट - यूरिन टेस्ट के द्वारा किडनी रोग का पता लगाया जा सकता है।
  • ब्लड टेस्ट - किडनी कितनी सही तरह काम कर रही हैं, इसका पता खून यूरिया और क्रिएटिनिन टेस्ट के द्वारा लगाया जा सकता है।
  • इमेजिंग टेस्ट - अल्ट्रासाउंड के द्वारा किडनी के आकार या स्थिति में परिवर्तन के बारे में पता लगाया जा सकता है।
  • किडनी बायोप्सी - किडनी कितनी खराब हो चुकी है, इस बात का पता लगाने के लिए किडनी की बायोप्सी टेस्सट किया जाता है।

आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र

आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, वैसे माना जाता है कि, आयुर्वेद 5 हजार वर्ष पहले भारत में उत्पन्न हुआ था। आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्द “आयुष” जिसका अर्थ जीवन है और “वेद” का अर्थ विज्ञान है, जिसको मिलाकर इसका शाब्दिक अर्थ है “जीवन का विज्ञान”। साथ ही अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार की बजाय स्वास्थ्य जीवनशैली पर अधिक ध्याम कैंद्रित करता है। आयुर्वेद के मुख्य अवधारणा यह है कि, वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है। इसी के साथ आयुर्वेद के मुताबिक, मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है जैसे – दोष, मल, धातु और अग्नि आदि।

कर्मा आयुर्वेदा भारत का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इसका संचालन डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी उपचार पर भरोसा किया जाता है और सभी मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से सफलतापूर्वक 35,000 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें इस गंभीर रोग से मुक्त किया है।

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