यदि आपके घर में या घर के आस-पास कहीं सिंहपर्णी का पौधा उगा हुआ है तो आप बहुत भाग्यशाली है। सिंहपर्णी को हम बेकार-सा पौधा या खरपतवार समझ कर उखाड़ देते हैं, असल में वह बहुत ही लाभकारी आयुर्वेदिक औषधि है। इसके औषधीय गुणों को देखते हुए हम इसकी तुलना संजीवनी बूटी से भी कर सकते हैं। सिंहपर्णी पौधा अकसर नदी किनारे, तालाब किनारे, खाली जगह, बंजर खाली जगहों पर आमतौर पर पाई जाती है। पहले इसकी खेती नहीं की जाती थी, लेकिन फ़िलहाल इसके गुणों को देखते हुए अब इसकी खेती काफी बड़े स्तर की जाने लगी है। इसका प्रयोग बीती कई सदियों से किया जा रहा है, इसी कारण इसका वर्णन कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।
सिंहपर्णी फूल, जड़ पाउड़र, तना महंगे दामों में बाजार में बेची जाती है। सिंहपर्णी का इस्तेमाल चाय से लेकर सौंदर्य प्रशाधन, दवाइंयां बनाने में तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। सिंहपर्णी वास्तव में कई सौ सालों से शुगर, लिवर, किडनी एवं पेट के विकारों के उपचार के लिए एक औषधि के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है। खरपतवार समझे जाने वाला यह पौधा किडनी के लिए काफी फायदेमंद है। यह अपने पौषक तत्वों की मदद से किडनी खराब होने से बचाता है, आज के इस लेख में हम इसी विषय में चर्चा करेंगे कि आखिर कैसे इस पौधे की मदद से किडनी खराब होने से बची रहती है।
सिंहपर्णी का एक छोटा परिचय
सिंहपर्णी का वर्णन आयुर्वेद के साथ-साथ कई जगहों पर किया गया है, जिससे यह साबित होता है यह शुरुआत से ही भारतीय है। यह पुरे साल उगने वाली एक आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर खरपतवार है। इसलिए इसे सदाबहार या बारहमासी खरपतवार की श्रेणी में रखा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टराक्सेकम (taraxacum) है और इसे अंग्रेजी में डंडेलिओन Dandelion के नाम से जाना जाता है। सिंहपर्णी के पत्ते हरे नुकीले, फूल पीले रंग के, जड़ लम्बी छोटी गांठदार, बारीक रेशों में, और जड़े गहरे पीले रंग की होती है। इनका स्वाद कड़वा और थोड़ा खुशबूदार होता है। इसकी गहरी भूरे रंग की जड़ें मिट्टी में गहराई तक पहुंच सकती है, साथ ही इसकी ऊंचाई 12 इंच तक पहुंच जाती है।
अगर सिंहपर्णी के पौषक गुणों के बारे में बात की जाए तो यह इस मामले में बाकि कई अन्य जड़ी बूटियों से धनि है। इसके अंदर पानी, एनर्जी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, बाय डिफरेंस, फाइबर, शुगर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, सेलेनियम, विटामिन सी, एस्कॉर्बिक एसिड, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, पैंटोथेनिक एसिड, विटामिन बी-6, फोलेट, कोलिन, विटामिन ए, लुटिन जियाजैंथिन, विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरोल), विटामिन के (फिलोक्विनोन) और फैटी एसिड जैसे कई पौषक तत्व मिलते हैं। सिंहपर्णी अपने इन्हीं पौषक तत्वों की मदद से पेट विकार गैस, कब्ज, पाचन, लीवर, डायबिडीज, किड़नी स्टोन, नजर दोष, पाइल्स, गठिया, जोड़ों के दर्द, चोट, आंतरिक विकार से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
सिंहपर्णी इस प्रकार रखती है किडनी को स्वस्थ
आपने ऊपर जाना की यह सिंहपर्णी कितने पौषक तत्वों से भरपूर है और यह रोगों में कितनी लाभकारी है। तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर कैसे यह खरपतवार किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है :-
सूजन से राहत दिलाए
सिंहपर्णी की मदद से हम शरीर में होने वाली सूजन से भी निदान पा सकते हैं। यह विशेष रूप से पैरों में होने वाली सूजन और महिलों में स्तन की सूजन से निदान दिलाने में काफी लाभदायक है। इसमें अच्छी मात्रा में पोटैशियम मिलता है जो कि शरीर में सोडियम के स्तर को संतुलित कर सूजन एवं जलन से छुटकारा दिलाने में सहायता करता है। सिंहपर्णी के रस का सेवन करने से टीएनएफ-अल्फा (TNF-alpha) के स्राव को कम किया जा सकता है जो कि स्तन की सूजन का कारण होता है। यह उन महिलाओं के लिए एक औषधी है जो स्तन की सूजन के कारण अपने शिशु को दूध पिलाने में कठिनाई का सामना करती हैं। सूजन व जलन से मुक्ति पाने के लिए रोजाना दिन में दो से तीन बार सिंहपर्णी से बनी चाय का सेवन करे। इस चाय का सेवन सूजन रहने तक करे। ध्यान दें, यदि आप पित्ताशय की किसी भी बीमारी से ग्रस्त है तो इसका सेवन ना करें। कई बार अचानक आई सूजन किडनी में आई समस्या की ओर इशारा करती है, इसलिए सूजन से जितना हो सके उतना जल्दी छुटकारा पा लेना चाहिए।
उच्च रक्तचाप को काबू रखे
उच्च रक्तचाप के कारण से सबसे ज्यादा किडनी खराब होती है और सिंहपर्णी की मदद से हम उच्च रक्तचाप से छुटकारा पा सकते हैं। दरअसल, सिंहपर्णी के सेवन से हमारे पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकला जाता है और रक्तचाप काबू में आने लगता है। शरीर में अतिरिक्त नमक के कारण ही रक्तचाप बढ़ता है। यह शरीर को अतिरिक्त सोडियम से छुटकारा पोटैशियम की मात्रा से समझौता किए बिना दिलाता है जो उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। आप सिंहपर्णी रस काढ़े को नींबू के साथ सेवन करना फायदेमंद है। सिंहपर्णी में पोटैशियम, मैग्नीशियम, फाइबर और आयरन उचित मात्रा में मौजूद है जिससे रक्तचाप काबू में रहता है और किडनी के काम में कोई बाधा नहीं आती।
वजन को काबू करे
अगर आप लम्बे समय से बढ़ते वजन से छुटकारा पाना चाहते हैं तो सिंहपर्णी खरपतवार को खोजे और उसका सेवन करना शुरू कर दीजिये। सिंहपर्णी खरपतवार वजन को कम करने में सबसे कारगर औषधि है। 2011 में पदार्थ साक्ष्य आधारित पूरक और वैकल्पिक दवाओं में हुए एक शोध के अनुसार सिंहपर्णी के सेवन के पांच घंटे पश्चात, मूत्र की मात्रा में वृद्धि होती है और इससे पानी सम्बंधित मोटापा कम हो जाता है। सिंहपर्णी के फायदे आपके वजन को कम करने के साथ-साथ आपके शरीर में वसा के अवशोषण को रोक सकता है। सिंहपर्णी का सेवन करने से पैनक्रियाज एंजाइम को बढ़ाया जा सकता है जिन्हें अग्नाशयी लाइपेज कहते हैं, यह वसा को तोड़ने और अवशोषित करने में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से आपके शरीर में उपस्थित अधिकतम तरल पदार्थ जो आपका वजन बढ़ाते हैं, उनसे छुटकारा मिलता है। बढ़ा हुआ वजन कई बीमारियों को न्योता देता है, जिसमे मधुमेह और मधुमेह भी शामिल है और यह दोनों किडनी खराब होने के सबसे बड़े कारण है।
मूत्र विकार से छुटकारा दिलाए
सिंहपर्णी का पौधा एक लाभकारी मूत्रवर्धक औषधि है। यह पौधा पेशाब रूक-रूक कर आना, पेशाब जलन, पेशाब नली में दर्द, अण्डाशय में दर्द पेशाब विकार दूर करने में सक्षम है। सिंहपर्णी किडनी और पेशाब के रास्ते में पैदा होने वाले विषाक्त प्रदार्थों का नाश कर देता, जिससे मूत्र विकारों से बचाव रहता है। 2009 में वैकल्पिक और पूरक दवाओं के पदार्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्य्यन के अनुसार सिंहपर्णी की जड़ें मूत्र की मात्रा के उत्पादन को नियमित कर किडनी को स्वच्छ एवं स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। सिंहपर्णी अण्डाशय में माइक्रोबिलयमस, इन्फेक्शन को रोकने ठीक करने में खास सहायक है। अगर पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा ना पाया जाए तो इससे किडनी पर बुरा असर पड़ने लगा है और किडनी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
मधुमेह को काबू रखे
सिंहपर्णी का पौधा मधुमेह को कम और खत्म करने में अत्यंत लाभकारी है। इसके सेवन से पैंक्रियास (Pancreas) उत्तेजित हो जाती है, जिसके कारण शरीर में इन्सुलिन का उत्पादन तेज़ हो जाता है। बढ़ता इन्सुलिन रक्त में मीठे की मात्रा को कम करने में मदद करता है। पशुओं पर किये गए कुछ अध्यनों से पता चलता है कि सिंहपर्णी के पौधे से निकाले गए रस का सेवन करने से रक्त शर्करा के स्तर को कम किया जा सकता है। मधुमेह के रोगी बड़ी आसानी से किडनी और लिवर से जुडी बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं, ऐसे में मधुमेह को न होने दें। ध्यान दें, मधुमेह के लिए यदि आप सिंहपर्णी के पत्तों या जड़ का सेवन करना चाहते हैं तो पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
रक्त शोधन का कार्य करे
हमारी किडनी का सबसे बड़ा और अहंम कार्य होता है रक्त को साफ़ करना यानि रक्तशोधन। लेकिन किडनी खराब होने पर किडनी रक्तशोधन में असमर्थ हो जाती है। ऐसे में रोगी को डायलिसिस की पीड़ादायक प्रक्रिया से जूझना पड़ता है। लेकिन हम सिंहपर्णी की मदद से डायलिसिस से दूर रह सकते हैं। सिंहपर्णी का पौधा रक्त साफ़ करने में काफी असरदाक है। सिंहपर्णी पत्ते, फूल, तना, जड़ सेवन खून से विषाक्त पदार्थ निकालने और नष्ट करने करने में खास है। आप इसकी चाय बना कर इसका सेवन कर सकते हैं। लेकिन आपकी किडनी खराब है तो आप पहले आप चिकित्सक की सलाह जरूर ले।
पाचन को दुरुस्त रखे
यदि हमारी पाचन सकती कमजोर हो तो हम बड़ी ही आसानी से कई बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। अपनी पाचन सकती को दुरुस्त करने के हम कई दवाओं का सहारा लेता है। बावजूद इसके हमारी पाचन सकती मजबूत नहीं हो पाती है। ऐसे में आप सिंहपर्णी के सेवन से अपनी पाचन सकती को मजबूत कर सकते हैं। इसके आपको चाहिए की आप सिंहपर्णी जड़ का पाउडर गुनगुने पानी के साथ सेवन, पत्ते, तने उबालकर सेवन करे। यह पेट में हानिकारक कीटाणुओं का नाश करता है और अच्छे बैक्टीरिया के उत्पादन को बढ़ावा देता है। यह फाइबर का भी एक प्रचुर स्रोत है जो कब्ज़ से छुटकारा दिलाने में सहायक है। पेट की समस्त बीमारियों विकारों जैसे गैस, कब्ज, एसिडटी, अपचन, लीवर विकार में सिंहपर्णी काढ़ा सेवन फायदेमंद है। सिंहपर्णी पेट विकारों के लिए खास प्राकृतिक औषधि है।
क्या सिंहपर्णी से कोई नुकसान भी हो सकता है?
एक तरफ जहां सिंहपर्णी अमृत की भांति सभी रोगों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है, वहीं इसे लेने से कुछ समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती है। इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए आपको इसे सबसे पहले किसी चिकित्सक की निगरानी में प्रयोग करना चाहिए वहीं निम्नलिखित कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए, ताकि आप इससे होने वाली सम्स्यओं से दूर रह सको :-
- सिंहपर्णी का सेवन गर्भवती महिलों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए, इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है।
- बच्चों को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए। इससे बच्चों को पेट संबंधित कोई आम दिक्कत हो सकती है।
- अगर इस औषधि का अधिक प्रयोग (सेवन) कर लिया जाए तो इससे पेट से जुड़ी कई समस्याएँ हो सकती है। जैसे – पेट दर्द, पेट सूखने, गैस की समस्या आदि इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में न करें। आप सिंहपर्णी का केवल 1 से 2 चम्मच ही एक दिन में सेवन करें।
- सिंहपर्णी का सेवन कभी भी सीधा प्रयोग ना करें। इसे चाय में डाल कर इसकी चाय पीनी चाहिए।
- सिंहपर्णी का सेवन कभी भी लंबे समय तक ना करें। क्यूंकि समय के साथ यह बेअसर होने लगता है। आपका शरीर इसका आदि बन जाता है, परिणामस्वरूप यह अपना असर दिखाना बंद कर देता है।
- सिंहपर्णी लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें, विशेष रूप से जब आप पहले से कोई दवाई ले रहे हैं, क्योंकि यह दवाई के प्रभाव को बेअसर कर सकता है। जैसे बाइपोलार बीमारी के लिए दी जाने वाली लिथियम नामक दवा के साइड एफेक्ट को यह और भी खराब कर सकता है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। कर्मा आयुर्वेदा में केवल आयुर्वेद द्वारा ही किडनी रोगी के रोग का निवारण किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त करता आ रहा है। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से किडनी फेल्योर का सफल उपचार कर रहा है। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही आपको बता दें कि डॉ. पुनीत धवन ने 48 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।