पेशेंट का नाम श्री ईशान गर्ग हैं जो शाहदरा से आए हैं। वह किडनी की बीमारी से पीड़ित थे इस बीमारी में रोगी को प्रोटीनुरिया की समस्या अधिक थी और क्रिएटिनिन भी बढ़ता जा रहा था। एलोपैथी इलाज के समय रोगी को स्टेरॉयड भी लेना पड़ रहा था।
इलाज से पहले
- थकान महसूस होना
- यूरिन में झाग आना
- प्रोटीनुरिया की समस्या होना
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
कर्मा आयुर्वेदा के बाद रोगी पहले बेहतर महसूस कर रहे हैं। आयुर्वेदिक इलाज से उनका स्टेरॉयड भी बंद हो गया और प्रोटीनुरिया भी बंद से भी मुक्ति मिल गई हैं। साथ ही रोगी शारीरिक तौर से फीट हैं।
- थकान न होना
- यूरिन से झाग न आना
- प्रोटीनुरिया की समस्या से मुक्ति
विश्लेषण:
कर्मा आयुर्वेदा ने ऐसा पहली बार नहीं हजारों सिद्ध किया है कि क्रिएटिनिन और प्रोटीनुरिया को कम किया जा सकता हैं और इसका सबुत भी है पेशेंट की वीडियो। जिसमें साफ शब्दों ने पेशेंट ने बताया की कि एलोपैथी नहीं, आयुर्वेदिक की मदद से ठीक हुए हैं।
किडनी सिस्ट का आयुर्वेदिक उपचार
प्रोटीनुरिया एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें पीड़ित व्यक्ति के पेशाब में सीरम प्रोटीन की अधिक मात्रा होती हैं। फेनयुक्त पेशाब का आना प्रोटीनुरिया का लक्षण होता हैं। प्रोटीनुरिया के तीन कारण होते हैं जैसे – ग्लोमेरूली में रोग का होना, सीरम में प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि का कारण और आखिरी कारण में प्रोक्सिमल ट्यूब-ले पर रिअब्सॉर्प्शन का होना। प्रोटीनुरिया डायबिटीज रोगियों के बीच एक आम समस्या हैं। अगर प्रोटीनुरिया मौजूद है तो ये हो सकता हैं कि उन्हें पता नहीं हैं कि रोगी डायबिटीज है, क्योंकि रोगी वास्तव में डायबिटीज का रोगी हैं या नहीं। निर्धारित करने के लिए पीड़ित नहीं है, तो ये निर्धारित करने के लिए आगे की जांत होनी चाहिए कि पेशाब में अतिरिक्त प्रोटीन क्या पैदा कर रहा हैं।
किडनी की बीमारी के लिए कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी से डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा में देश-विदेश से आए मरीजों का इलाज किया जा चुका हैं और उन्हें रोग मुक्त किया हैं। डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं। बता दें कि, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। किडनी सिस्ट के लिए आयुर्वेदिक किडनी उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क थिस्टल, एस्ट्रगुलस, लाइसोरिस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर, आदि शामिल हैं। ये किडनी की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करके और किडनी के विकास को प्रतिबंधित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करती हैं। एलोपैथी दवाओं के विपरित आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां सबसे ज्यादा असरदार साबित हुई हैं।