किडनी पेशेंट उमेश चंद्रा गुप्ता - कर्मा आयुर्वेदा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी पेशेंट उमेश चंद्रा गुप्ता - कर्मा आयुर्वेदा

मरीज का नाम उमेश चंद्र गुप्ता है जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे और इसके गंभीर लक्षणों से जूझ रहे थे। एलोपैथी डॉक्टर ने उन्हें साफ कह दिया था कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है।

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

कर्मा आयुर्वेदा के बारे में ऑनलाइन पता चलने पर उमेश चंद्र ने तुरंत ही आयुर्वेदिक उपचार शुरू कर दिया। मात्र 1 महीने में ही रोगी को अपने अंदर सुधार दिखने शुरू हो गए। जहां एलोपैथी डॉक्टर ने मना कर दिया था कि इसकी कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं, वहीं कर्मा आयुर्वेदा ने डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना रोगी को रोग मुक्त कर दिया। उमेश जी का पहले क्रिएटिनिन लेवल - 2.70mg/dl था, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार लेने के बाद उनका क्रिएटिनिन लेवल घटकर - 2.25mg/dl पर पंहुच गया है।

विश्लेषण:

कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज के बाद मात्र 1 महीने के अंदर ही रोगी में सुधार आना शुरू हो गया है। ऐसा सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं और आहार चार्ट से संभव हो पाया है।

क्रिएटिनिन लेवल कम करने का आयुर्वेदिक इलाज

क्रिएटिनिन रक्त में पाए जाने वाला एक रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ है जो मांसपेशियों का इस्तेमाल करने या ऊतकों के टूटने की वजह से उत्पन्न होता है। यह बहुत अधिक प्रोटीन के सेवन से उत्पन्न होता है। क्रिएटिनिन मांसपेशियों के द्वारा क्रिएटिन ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करते समय अपशिष्ट के रूप में प्राप्त होता है। यह रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में बढ़ता है जो किडनी के द्वारा पेशाब मार्ग से बाहर निकल जाता है। किडनी रक्त में उपस्थित क्रिएटिनिन को फिल्टर कर अवशेष के रूप में अलग कर देती है। यह यूरिमिया नामक समस्या का कारण बनता है जो हमारे जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है।

कर्मा आयुर्वेदा भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक है जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखुर आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।

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