किडनी पेशेंट खदेश्वर - कर्मा आयुर्वेदा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी पेशेंट खदेश्वर - कर्मा आयुर्वेदा

मरीज का नाम खदेश्वर है, जो कि उड़ीसा के रहने वाले है। खदेश्वर जी एक आर्मी ऑफिसर है और क्रोनिक किडनी डिजीज की समस्या से जूझ रहे थे। कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले उनका हफ्ते में 2 बार डायलिसिस चल रहा था और उन्हें किडनी डिजीज की वजह से दर्द भरे डायलिसिस के साथ अन्य समस्याओं का सामना करना पड रहा था जैसे –

  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत
  • हाई क्रिएटिनिन लेवल
  • हाई यूरिया लेवल

आयुर्वेदिक उपचार के बाद

रोगी ने कुछ ही महीने पहले कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया था और आज वह बिल्कुल स्वस्थ और तंदरूस्त महसूस कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले उनका क्रिएटिनिन लेवल – 10mg/dl था, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार प्राप्त करने के बाद क्रिएटिनिन लेवल घटकर – 2.02mg/dl पर पहुंच गया है। साथ ही अब उनका डायलिसिस भी हफ्ते में 1 बार हो गया है और अन्य समस्याओं से भी छुटकारा मिल गया है। ऐसा सिर्फ कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार और आहार चार्ट का अच्छे से पालन करने पर संभव हो पाया है।

क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार

क्रोनिक किडनी डिजीज सी.के.डी. में दोनों किडनी को खराब होने में महीनों से सालों तक का समय लगता है। इसकी शुरूआत में दोनों किडनी की कार्यक्षमता में अधिक कमी न होने की वजह कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे किडनी अधिक खराब होने लगती है वैसे-वैसे ही मरीज की तकलीफ बढ़ती जाती है। क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण किडनी की क्षति की गंभीरता के आधार पर बदलते हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज को पांच स्टेजो में विभाजित किया गया है, जिसमें से आज हम स्टेज 4 के बारे में बात करेंगे। किडनी की कार्यक्षमता के दर या eGFR के लेवल पर यह विभाजन आधारित होते हैं। सामान्य तौर पर eGFR 90ml/min से अधिक होता है।

भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, जहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखरू आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है।

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