रोगी का नाम चंद्रदीप प्रसाद है, जो कि किडनी फेल्योर की स्थिति से जूझ रहे थे। चंद्रदीप जी का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था। साथ ही उन्हें इस गंभीर बीमारी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था जैसे – किडनी में दर्द और शरीर में दर्द आदि।
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
रोगी ने मात्र 1 महीने पहले कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया था और इलाज प्राप्त करने के बाद उन्हें शारीरिक तौर पर होने वाली समस्याओं से निजात मिली, जीवनशैली में सुधार देखने को मिला है और आज वह बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रहे हैं। पहले रोगी का क्रिएटिनिन लेवल – 6.73mg/dl था और इलाज के बाद क्रिएटिनिन लेवल घटकर – 5.85mg/dl पर पंहुच गया है। साथ ही यूरिया लेवल – 221mg/dl था लेकिन आयुर्वेदिक उपचार के बाद यूरिया लेवल घटकर - 188mg/dl पर आ गया है।
यूरिया लेवल कम करने का आयुर्वेदिक उपचार
किडनी शरीर का एक जरूरी हिस्सा है जो कि हमारे शरीर में विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करती है। यह मुख्य अंग प्रणाली है। किडनी रक्त से अतिरिक्त तरल पदार्थ और अपशिष्ट से छुटकारा पाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किडनी रीढ़ की हड्डी के दोनों किनारों पर निचले हिस्से में स्थित होती है। किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने का काम करती है। वह अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब के द्वारा बाहर निकालती है। किडनी शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। वह अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती है, जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता है। साथ ही शरीर में किडनी का मुख्य कार्य रक्त को शुद्धिकरण करना है। जब बीमारी की वजह से दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसे किडनी फेल्योर कहते हैं।
कर्मा आयुर्वेदा किडनी उपचार केंद्रो में से एक है जो एक चमत्कार के रूप में साबित हुआ है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। बता दें कि, आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं पर भरोसा किया जाता है और यहां सभी किडनी मरीजों को दवाओं के साथ डाइट चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें इस गंभीर बीमारी से मुक्त किया है।