मरीज़ का नाम चंद्र भान गर्ग हैं जो 62 की उम्र में किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित थे। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल अधिक बढ़ चुका था जिसके चलते सभी एलोपैथी डॉक्टर ने डायलिसिस की सलाह दे दी थी, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा के ‘स्टॉप किडनी डायलिसिस’ के बारे पता चलते ही रोगी ने तुरंत आयुर्वेदिक उपचार शुरू कर दिया।
इलाज से पहले
- सांस फूलना
- चलने में परेशानी
- हाई क्रिएटिनिन लेवल
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
रोगी ने कर्मा आयुर्वेदा से कुछ ही महीने पहले आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था और आज रोगी बिल्कुल ठीक हैं। इतनी उम्र होने के बावजूद भी रोगी ने किडनी रोग से हार नहीं मानी। जहां उनका क्रिएटिनिन लेवल – 12 था वहीं आज क्रिएटिनिन लेवल – 7.63 पंहुच चुका है। इसी के साथ रोगी का यूरिया लेवल भी कम हुआ हैं और शारीरिक – मानसिक तौर पर स्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
- सांस फूलना समस्या कम हुई
- अच्छे से चलना
विश्लेषण:
रोगी चंद्र भान जी को डायलिसिस के लिए बोल दिया था, लेकिन डॉ. पुनीत धवन द्वारा दी गई आयुर्वेदिक दवाओं और आहार चार्ट की मदद से वह अब डायलिसिस से मुक्त हैं।
आयुर्वेदिक उपचार से डायलिसिस से मुक्ति
डायलिसिस रक्त शोधन अर्थात ब्लड डिटॉक्सिफाई करने की एक प्रक्रिया हैं। किडनी हमारे शरीर में मौजूद गंदगी को बाहर निकालते हैं। शरीर के अंगों को ठीक से काम करने और शरीर में जरूरी पदार्थ का सामंजस्य बिठाने के लिए किडनी जीवनपर्यंत काम करती हैं। इसके इसी महत्वपूर्ण काम की वजह से प्रकृति ने किडनी को ऐसा बनाया है कि थोड़ी बहुत खराबी आने के बावजूद ये अपना काम करती रह सकती है और इंसान को खास परेशानी का अनुभव नहीं होता हैं, लेकिन जब यही किडनी 70 से 80 प्रतिशत तक खराब हो जाती हैं तब परेशानी के लक्षण दिखने लगती हैं और अगर यही किडनी 80 से 90 प्रतिशत तक खराब हो जाती हैं तो किडनी डायलिसिस की जरूरत पड़ती हैं।
कर्मा आयुर्वेद अस्पताल भारत के साथ-साथ एशिया के भी बेस्ट डॉक्टर में से एक हैं। ये भारत में 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। डॉ. पुनीत ने आयुर्वेदिक किडनी दवाओं और उचित डाइट चार्ट की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा किडनी रोगियों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना इलाज किया जाता हैं।