67 साल की किडनी पेशेंट रेखा रानी (कोलकाता), क्रोनिक किडनी डिजीज की गंभीर स्थिति से जूझ रही थी। रोगी की हालत बिल्कुल गंभीर हो गई थी जिससे उनका क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था और हफ्ते में दो बार डायलिसिस करवाना पड़ रहा था। साथ ही कोलकाता के नेफ्रोलॉजिस्ट ने भी कह दिया था कि क्रिएटिनिन कभी कम नहीं होगा, बस बढ़ता ही चला जाएगा।
इलाज से पहले
- हाथों में सूजन
- चलने-फिरने में तकलीफ
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई शुगर
- उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 9mg/dl के आसपास
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाने के बाद हार-थक कर, रेखा रानी दिल्ली के कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आई और उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार प्राप्त किया। कुछ महीनों में क्रिएटिनिन लेवल सामान्य पर आने लगा और रेखा जी अब पहले से काफी स्वस्थ महसूस करने लगी है।
- हाथों की सूजन खत्म हुई
- चलने-फिरने की दिक्कत कम हुई
- हाई ब्लड प्रेशर सामान्य पर आया
- शुगर से निजात
- क्रिएटिनिन स्तर – 20mg/dl
क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार
क्रोनिक किडनी डिजीज में किडनी कई वर्षों तक धीरे-धीरे कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है और इस बीमारी की लास्ट स्टेज स्थायी रूप से किडनी फेल्योर होती है। क्रोनिक किडनी डिजीज होने को क्रोनिक रीनल फेल्योर, क्रोनिक रीनल रोग या क्रोनिक किडनी फेल्योर के रूप में भी जाना जाता है। जब किडनी की कार्य क्षमता धीमी होने लगती है और स्थिति बिगड़ने लगती हैं, तब हमारे शरीर में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थ और तरल की मात्रा का स्तर बढ़ जाता है। इसके उपचार का उद्देश्य रोग को रोकना या धीमा करना होता है। साथ ही क्रोनिक किडनी डिजीज के बारे में सही जानकारी न होने के कारण यह बीमारी अधिक बढ़ जाती है। जब तक यह रोग अपने बड़े चरणों पर नहीं पंहुच जाता, तब तक इसके लक्षणों के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता। जब किडनी अपनी क्षमता से 75 प्रतिशत कम काम करती है, तब किडनी की बीमारी उभरकर सामने आती है।
आयुर्वेदिक उपचार किडनी से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में सफल रहा है वो भी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और इसका संचालन धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी, डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। यह 100 प्रतिशत नेचुरल होती है और इन आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है।