किडनी पेशेंट विक्रांत - कर्मा आयुर्वेदा रिव्यू

अल्कोहोल और किडनी रोग

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रोगी का नाम विक्रांत हैं जो फरीदाबाद के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। इस बीमारी में उनका क्रिएटिनिन स्तर और ब्लड यूरिया लगातार बढ़ता जा रहा था। रोगी को कई समस्याओं के साथ काफी दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।

  • उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 3.9

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

कर्मा आयुर्वेदा से इलाज शुरू करने के बाद से रोगी विक्रांत ने सुधार महसूस किए हैं, साथ ही जहां क्रिएटिनिन स्तर लगातार बढ़ता जा रहा था वहीं आयुर्वेदिक क्रिएटिनिन उपचार के बाद उनका स्तर भी सामान्य पर आने लगा हैं। जीएफआर भी बढ़ने लगा हैं और अब शारीरिक तौर पर स्वस्थ हैं।

  • क्रिएटिनिन स्तर – 3.1

विश्लेषण:

कर्मा आयुर्वेदा के इलाज से आज फिर एक रोगी का क्रिएटिनिन सामान्य स्तर पर आ चुका हैं और उन्हें किडनी रोग से मुक्त किया जा चुका हैं। वो भी सिर्फ एक संपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार और उचित आहार चार्ट की मदद से।

जीएफआर सामान्य के लिए आयुर्वेदिक उपचार

जीएफआर का पूरा नाम ग्लोमेरूलर निस्पंदन दर हैं। ग्लोमेरूली किडनी में छोटी निस्पंदन इकाई हैं जो रक्त से अपशिष्ट उत्पादों को हटाने में मदद करता हैं। ये प्रक्रिया खून में उपयोगी घटकों को नुकसान जैसे प्रोटीन और रक्त कोशिकाओं को रोकती हैं। ये अनुपात कुछ हद तक किडनी की एक स्वस्थ जोड़ी के रूप में 189 लीटर खून फिल्टर करता हैं और इसका लगभग 1.9 लीटर पेशाब का उत्पादन होता हैं। जीएफआर खून की मात्रा को दर्शाता है जिसे ग्लोमेरूली द्वारा प्रति मिनट फिल्टर्ड किया जाता हैं। किसी विशेष सूत्र के आधार पर और रोगी के शरीर में क्रिएटिनिन के वर्तमान स्तर के आधार पर प्राप्त होता हैं।

कर्मा आयुर्वेदा को एशिया में बेहतरीन स्वस्थ केंद्रो में से एक माना जाता हैं। यह अस्पताल 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और उसके बाद से पूरे हर्बल विधियों वाले सभी प्रकार के किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा हैं।  दवाइयों के साथ अपने रोगियों के लिए एक व्यक्तिगत आहार चार्ट की सलाह देते हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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