रोगी का नाम श्री सुहर्ष सिन्हा है जो गिरिडीह झारखंड के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की अंतिम स्थिति से पीड़ित थे। रोगी का क्रिएटिनिन लगातार बढ़ने की वजह से हफ्ते में 2 बार डायलिसिस करवाना पड़ रहा था। साथ ही उन्हें ट्रांसप्लांट के लिए भी बोल दिया गया था, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा के “स्टॉप किडनी डायलिसिस” के बारे में पता चलते ही तुरंत आयुर्वेदिक इलाज शुरू कर दिया।
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
रोगी ने कुछ महीने पहले कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था। सुहर्ष जी हफ्ते में 2 बार डायलिसिस करवाया करते थे। लेकिन अब उन्हें 12 से 15 दिन में एक बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले उनका क्रिएटिनिन लेवल – 14mg/dl था और अब आयुर्वेदिक की मदद से घटकर क्रिएटिनिन लेवल – 10mg/dl पर पंहुच गया है। आज रोगी बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
विश्लेषण -
रोगी ने कर्मा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक दवाओं और डॉ. पुनीत धवन द्वारा दिए गए आहार चार्ट का काफी अच्छे से पालन किया था। जिससे उनमें काफी अच्छे सुधार देखने को मिलना।
किडनी की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार
अक्सर हमें किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े असफल केस सुनने में आते हैं। किडनी डोनेशन, डायलिसिस, किडनी मैच न होना और कभी-कभी ऑपरेशन फेल होने जैसी समस्याएं काफी देखने को मिलती हैं। पिछले कुछ सालों में किडनी से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौतों में काफी इजाफा हुआ है। मुश्किल ये है कि प्राय: लोग किडनी से जुडी समस्याओं के लक्षण समझ नहीं पाते और डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब समस्या बहुत अधिक बढ़ चुकी होती है। जिससे बचने के अवसर बिल्कुल कम हो चुके होते हैं। हर साल हमारे देश में लाखों की संख्या में मरीज किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं।
बता दें कि, किडनी की समस्या के लिए आयुर्वेदिक दवाएं काफी फायदेमंद साबित हुई है। आयुर्वेदिक दवाएं 100 प्रतिशत नेचुरल होती हैं और उससे हमारे शरीर को हानि नहीं होती है। आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। वह सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें उस गंभीर रोग से मुक्त कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन अपने सभी मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ डाइट चार्ट और योग का पालन करने सलाह भी देते हैं।