किडनी मानव शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किडनी का सबसे महत्वपूर्ण काम खून से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करके उन्हें पेशाब के साथ बाहर निकालना होता है। किडनी शरीर में पानी और कई आवश्यक खनिजों के स्तर को बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा किडनी शरीर में निम्नलिखित का उत्पादन करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जैसे-
- विटमिन डी
- लाल रक्त कोशिकाएं
- हार्मोन जो ब्लड प्रेशर को नियमित रखते हैं।
किडनी के प्रभावी रूप से काम ना कर पाने की कई वजह हो सकती हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट किडनी के कार्यों की जांच करने और समय के साथ-साथ उन पर नजर रखने में डॉक्टर मदद करता है। कई प्रकार के खून व यूरिन टेस्ट किडनी के फंक्शन के बारे में डॉक्टर को जानकारी प्रदान कर सकते हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट को रिनल फंक्शन टेस्ट और यूरिया एंड इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। “किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी)”
किडनी फंक्शन टेस्ट क्या होता हैं?
किडनी फंक्शन टेस्ट यह जानने के लिए किया जाता है कि किडनी फंक्शन के सभी मापदंड सामान्य सीमा के अंदर ठीक रूप से काम कर रहे हैं या नहीं। किडनी फंक्शन टेस्ट की मदद से ब्लड यूरिया, क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड और अन्य खनिजों के स्तर का पता लगाया जा सकता है। इनमें मुख्य टेस्ट निम्न है: “किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी)”
- खून में क्रिएटिनिन का स्तर
- अनुमानित ग्लोमेरूल फिल्ट्रेशन रेट
- ब्लड यूरिया नाइट्रेशन रेट
कुछ अन्य टेस्ट भी शामिल हैं:
- चयापचय के उत्पादों को मापने के लिए यूरिन टेस्ट
- खून में इलेक्ट्रोलाइट्स की जांच- सोडियम, पोटाशियम, क्लोराइड या बाइकार्बोनेट
- कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट “किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी)”
किडनी फंक्शन टेस्ट क्यों किया जाता है?
ऐसी बहुत-सी वजह है जिनसे किडनी फंक्शन टेस्ट कराने की जरूरच पड़ती है। सामन्य स्वास्थ्य जांच के रूप में
- किडनी के कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए और किडनी को रोगों का पता लगाने व उनका परिक्षण करने के लिए
- बढ़ रही किडनी की खराबी पर नज़र रखने के लिए
- यूरिया का स्तर बढ़ने पर अगर आपके शरीर में पानी की कमी होने का संदेह हो रहा है।
- अगर आपको किडनी खराब होने के संदेह है। जैसे खून में क्रिएटिनिन का उच्चस्तर जांचने के लिए, जिस कारण से किडनी पूरी तरह से काम नहीं कर पाते है।
- किसी दवा से उपचार शुरू करने से पहले और बाद में, क्योंकि कुछ दवाएं ऐसी होती है, जिनका साइड इफेक्ट किडनी को प्रभावित करता है। इसलिए इन दवाओं को शुरु करने से पहले और बाद में किडनी फंक्शन की जांच की जाती है। “किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी)”
किडनी फंक्शन टेस्ट के दौरान
टेस्ट के दौरान तकनीशियन मरीज के शरीर से खून का सेंपल निकालते हैं, प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज की ऊपरी बाजू पर पट्टी या इलास्टिक बैंड बांधा जाता हैं। उसके बाद जहां इन्जेक्शन लगाना होता है, उस जगह को एंटीसेप्टिक द्वारा साफ साफ किया जाता है और उसके बाद त्वचा के अंदर से नस में सुई लगाई जाती है। इसके बाद सुई के माध्मय से खून का सेंपल निकाला जाता है जो सुई से जुड़े सीरिंज, शीशी या ट्यूब में संग्रह किया जाता है और उसके विश्लेषण के लिए लेबोरेटरी ले जाया जाता है। साथ ही जब सुई लगाई जाती है, तो थोड़ी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। सुई निकालने के बाद डॉक्टर उस जगह पर रूई का टुकड़ा रख देते हैं या बैंडेज लगा देते हैं, ताकि खून बहने से रोका जाए। सुई वाली जगह में कुछ दिन के लिए नीला निशान पड़ सकता है, हालांकि इससे गंभीर और लंबे समय तक दर्द नहीं होता। “किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी)”
आयुर्वेदिक उपचार
किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेद, योग्य आयु्र्वेदचार्य डॉ. पुनीत धवन के मार्गदर्शन में गुर्दे की बीमारी के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायता प्रदान करती है। कर्मा आयुर्वेद दवाओं ने किसी भी तरह साइड इफेक्ट्स के बिना किडनी डायलिसिस और किडनी ठीक करती है। “किडनी फंक्शन टेस्ट (केएफटी)”