किडनी खराब होने पर किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके कारण अपशिष्ट उत्पाद और अतिरिक्त पानी शरीर से बाहर नहीं जा पाता और शरीर के कुछ अंगों में सूजन आने लगती है। किडनी खराब होने पर पैरों के अलावा किडनी में भी सूजन आने का खतरा रहता है जो कि किडनी खराब होने का सबसे बढ़ा लक्षण माना जाता है। इस लेख में हम किडनी खराब होने के कारण शरीर के कुछ अंगों में आई सूजन के विषय में चर्चा कर रहें हैं, वहीं किडनी में आई सूजन एक अलग विषय है, जिसे चिकित्सा शास्त्र में ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के नाम से जाना जाता है। किडनी की सूजन एक ऐसी समस्या है, जिसके कारण इसके फिल्टर में सूजन आ जाती है। किडनी के फिल्टर बहुत छोटी रक्त वाहिकाओं से बने होते हैं जिसे ग्लोमेरुली कहा जाता है।
किडनी फेल्योर में सूजन से इस प्रकार पाए राहत
किडनी खराब होने पर शरीर के कुछ अंगों (विशेषकर – पैरों और चेहरे) में सूजन आना एक आम लक्षण माना जाता है। सूजन आने के कारण रोगी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में रोगी निम्न वर्णित उपायों की मदद से इस समस्या से राहत पा सकते हैं :-
पैरों की सिंकाई
सिंकाई किसी भी अंग की सूजन कम करने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका है। ऐसा करने से नसों में आई सूजन कम होती है और दर्द में भी आराम मिलता है। सिंकाई द्वारा पैरों की सूजन दूर करने के लिए आप पानी गर्म कर लें और दो टब लें, अब एक टब में गुनगुना पानी भर लें और दूसरे टब में सामान्य ठंडा पानी डाल लें। जिस पैर में सूजन है उसे पहले 5 मिनट गुनगुने पानी में डालें और फिर 5 मिनट ठंडे पानी में रखें। इससे सूजन और दर्द में आराम मिलेगा।
सेब का सिरका
सेब का सिरका किडनी रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह किडनी साफ करने में काफी लाभकारी माना जाता है, साथ ही यह किडनी खराब होने के कारण पैरों में आई सूजन को दूर करने में मदद करता है। इसमें पोटेशियम होता है जो कि वाटर रिटेंशन को कम करता है। आप सूजन कम करने के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल दो प्रकार से कर सकते हैं -
पहले तरीका - सबसे पहले गर्म पानी और सेब के सिरके को बराबर मात्रा में मिला लें। अब एक तौलिया लें और सिरके और गर्म पानी में डूबा लें। अब तौलिये को अच्छे से निचोड़ दें और फिर उसे सूजन वाली जगह पर कुछ समय तक लगाए रखें। आप इस प्रक्रिया को दस बार दोहराएं। आप इस क्रिया को दिन में दो बार करें और ऐसा तब तक करें तब तक सूजन ना चली जाए।
दूसरा तरीका – आप दो चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में मिला लें, साथ ही इसमें थोड़ा सा शुद्ध शहद भी मिला ले और इसका सेवन दिन में करें। आप इस पेय का सेवन सप्ताह में दो बार करें, देखते ही देखते आपकी सूजन कम होने लग जाएगी। इस पेय का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
लहसुन
सूजन को दूर करने के लिए आप रोज लहसुन का सेवन कर सकते हैं या फिर लहसुन के तेल की मालिश भी कर सकते हैं। अपने खाने में लहसुन मिलाएं या फिर ऐसे ही लहसुन की कली चबाएं। आप देखेंगे कि इसका असर तुरंत होता है। लहसुन का तेल बनाने के लिए आप सरसों या ओलिव आयल में लहसुन की कुछ कलियों को पका कर उस तेल की मालिश प्रभावित क्षेत्र पर करें।
अदरक
अदरक एक प्राकृतिक औषधी है जो कि ना केवल चाय का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि यह किडनी खराब होने के कारण पैरों में आई सूजन से राहत दिलाने में भी मदद करती है। अदरक सोडियम को कम करती है जो कि सूजन का एक बहुत बड़ा कारण है। इसके साथ ही इसमें सूजनरोधी गुण मौजूद होते हैं जो सूजन को दूर करते हैं। इसके अलावा आप दो या तीन कप अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं या अदरक के टुकड़ों को चबा भी सकते हैं। साथ ही आप रोज़ाना पूरे दिन में एक या दो बार अदरक के तेल से पंजों पर मसाज करें। ऐसा करने से आपको निश्चित ही सूजन में राहत मिलेगी। अगर किडनी रोगी अदरक का सेवन करके सूजन से राहत पाना चाहतें हैं तो आप इस विषय में एक बार अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें.
ऑलिव ऑयल
ऑलिव ऑयल की मदद से भी पैरों की सूजन से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके प्रयोग के लिए सबसे पहले थोड़े से ऑलिव ऑयल में दो-तीन कली लहसुन काटकर भून लें और फिर इसमें से लहसुन अलग कर लें और तेल को हल्का ठंडा कर लें। अब इस तेल को पैरों पर लगाकर दिन में दो-तीन बार मालिश करें। इससे आपके पैरों की सूजन ठीक हो जाएगी और दर्द में भी राहत मिलेगी। इसके अलावा ऑलिव ऑयल पैरों में स्किन की ड्राईनेस की समस्या को भी दूर करता है।
नियमित व्यायाम
पैरों में सूजन अक्सर नसों के खिंचाव के कारण आती है। अगर आपके पैरों में बार-बार सूजन आ जाती है तो इसका कारण नसों की कमजोरी या कोई अन्य बीमारी है। इसलिए पैरों में सूजन से बचने के लिए और पूरे शरीर की फिटनेस के लिए दिनभर में कम से कम आधे घंटे पैदल चलना और थोड़ा समय व्यायाम करना जरूरी है। अगर आप बाहर नहीं जा सकते तो कमरे में या छत पर ही थोड़ी देर टहलें और व्यायाम करें। रोज सुबह उठकर अपने शरीर को स्ट्रेच करें और एक जगह पर देर तक न बैठे रहें।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से आयुर्वेदिक किडनी उपचार करते आ रहे हैं, वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना आयुर्वेदिक किडनी डायलिसिस उपचार और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने 48 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।