किडनी फेल्योर योगा, कर्मा आयुर्वेदा डॉ. पुनीत धवन

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी फेल्योर योगा, कर्मा आयुर्वेदा डॉ. पुनीत धवन

किडनी रक्त में से जल और बेकार पदार्थो अलग करती हैं। शरीर में रसायन पदार्थो का संतुलन, हार्मोन्स छोडना, रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करती हैं। ये लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करती है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो मानव की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता हैं। “किडनी फेल्योर योगा”

किडनी फेल्योर

किडनी रोग बेहद गंभीर होते हैं अगर इनका समय पर इलाज नहीं किया गया तो उपचार असर नहीं करता हैं। विकासशील देशों में ज्यादा पैसों से संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी के कारण किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5-10 प्रितशत मरीज ही डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण करवाते हैं। बाकि मरीज सामान्य उपचार पर बंधे होते है। जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। किडनी फेल्योर ठीक नहीं हो सकता हैं। तब अंतिम चरण के उपचार जैसे डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण महंगे इलाज करवाने पड़ते हैं। ये सुविधा हर जगह उपलब्ध नहीं होती हैं। किडनी खराब होने से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सही जानकारी होना आवश्यक हैं। किडनी फेल्योर योगा

किडनी फेल्योर रोगियों के लिए योगा:

किडनी को स्वस्थ रखने और इसक समस्याओं को दूर करने के लिए नियमित योगा करना बहुत फायदेमंद हो सकता हैं। बस आपको करने पड़ेगें ये कुछ आसन। “किडनी फेल्योर योगा”

अर्धचंद्रासन

इस आसन को करते वक्त शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र के समान हो जाती हैं, इसलिए इसे अर्ध चंद्रसन कहते हैं। इस आसन की में त्रिकोण समान भी बनती है इससे इसे त्रिकोणासन भी कह सकते हैं, क्योंकि दोनों के करने में कोई खास अंतर नहीं होता हैं। ये आसन खड़े होकर किया जाता हैं। इससे किडनी से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। “किडनी फेल्योर योगा”

पश्चिमोत्तनासन

इस आसन में अपने पैर को सामने की ओर सीधी स्ट्रेच करके बैठ जाएं। दोनों पैर आपस में सटे होने चाहिए। पीठ को इस दौरान बिल्कुल सीधी रखें और फिर अपने हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे को छूएं। ध्यान रखें कि आपका घुटना न मुड़े और अपने ललाट को नीचे घुटने की ओर झुकाएं। 5 सेकेंड तक रूकें और फिर वापस अपनी पोजीशन में लौट आएं। ये पोजीशन किडनी की समस्या के साथ क्रैम्स आदि जैसी समस्याओं से निजात दिलाता हैं। किडनी फेल्योर योगा

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन करते समय हमारे शरीर की आकृति कुछ-कुछ ऊंट के समान प्रतीत होती है। इस वजह से इसे उष्ट्रासन कहते हैं। ये आसन वर्जासन में बैठकर किया जाता हैं। इस आसन से घुटने, ब्लैडर, किडनी, छोटी आंत, लीवर, छाती, लंग्स और गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता हैं, जिससे की ये अंग हमेशा निरोगी रह सकते हैं। किडनी फेल्योर योगा

सर्पासन

इस आसन में पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को मिलाकर रखें। ठुड्डी को जमीन पर रखें। दोनों हाथों को कोहनी से मोड़े और हथेलियों को सिर के दाएं और बाएं रखें और हाथों को शरीर से सटाकर रखें। आपकी कोहनी जमीन को छूती हुई रहेगी। साथ ही कोशिश करें कि छाती भी ऊपर की और उठाएं शरीर का भार कोहनी और हाथों पर रहेगा। कोशिश करें कि छाती भी ऊपर की र रहे। इस स्थिति में कुछ पल रूकें और सांस को सामान्य कर लें। इस स्थिति में आप दो मिनट तक रुकें। अगर रोक पाना संभव न हो तो पांच बार इस क्रिया को दोहराएं। किडनी फेल्योर योगा

आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा को एशिया में बेहतरीन स्वस्थ केद्रों में से एक माना जाता है। यह धवन परिवार द्वारा 1937 में शुरू किया गया था और उसके बाद से पूरे हर्बल विधियों वाले सभी प्रकार की किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है। वह दवाइयों के साथ अपने रोगियों के लिए एक व्यक्तिगत डाइट चार्ट की भी सलाह देते हैं। केंद्र हर वर्ष हजारों किडनी रोगियों के साथ सफलतापूर्वक इलाज कर रहा है। “किडनी फेल्योर योगा”

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