किडनी हमारे शरीर में सफाई का काम करती है। यह शरीर से गंदगी बाहर निकलाने वाले सिस्टम (URINARY SYSTEM) का एक बहुत अहम हिस्सा है। हमारी दोनों किडनियों में छोटे-छोटे लाखों फिल्टर होते हैं जिन्हें नेफ्रोंस कहते हैं। नेफ्रोंस हमारे रक्त को साफ करना का काम करते हैं। किडनी में होने वाले इस सफाई सिस्टम की वजह से यह हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों को पेशाब के साथ बाहर निकालते हैं। किडनी के अन्य कार्यों में लाल रक्त कण का बनना और फायदेमंद हार्मोस रिलीस करना भी शामिल है। किडनी के द्वारा रिलीज किए गए हार्मोन ब्लड प्रेशर नियंत्रित करते हैं।
किडनी हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है, जिसके बिना जिंदगी के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। अगर किडनी खराब हो जाए तो व्यक्ति को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किडनी के मरीजों को हफ्ते में 2 से 3 बार डायलिसिस करवाना पड़ता है, जिसमें शरीर से गंदा रक्त को बाहर निकाला जाता है और नया रक्त चढ़ाया जाता है। ऐसे करने से किडनी ठीक तो नहीं होती है, लेकिन कुछ समय के लिए परेशानी हट जाती है। कुछ मरीजों की किडनियां तो पूरी तरह ही खराब हो जाती है और डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल देते हैं। लेकिन यह काफी दर्दनाक और महंगा इलाज होता है, जो हर कोई करवाने में असमर्थ होता है। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक उपचार करके इस बीमारी को दूर किया जा सकता है।
किडनी रोग के संकेत -
- शरीर में खून की कमी (एनीमिया)
- भूख कम लगना
- यूरिन में रक्त आना
- यूरिन की मात्रा में कमी होना
- यूरिन का रंग गहरा होना
- थकान होना
- उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रेशर)
- एडिमा सूजे हुए पैर, हाथ और टखना (गंभीर स्थिति में चेहरे पर सूजन आना)
- स्किन में लगातार खुजली होना
- अधिक पेशाब आना
- मांसपेशियों में ऐंठन और झनझनाहट होना
- जी मिचलाना
- अचनाक सिरदर्द होना या चक्कर आना
- शरीर का वजन अचानक घटना या बढ़ना
किडनी रोग होने पर रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर का पता लगाने के लिए साधारण सी जांच की जाती है। इससे किडनी की कार्यक्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है। साथ ही पेशाब और स्क्रीनिंग के द्वारा भी किडनी रोग की जांच की जा सकती है। यूरिन में क्रिएटिनिन और एलब्यूमिन की लिए जांच की जाती है और जो लोग किडनी रोगों के उच्चतम जोखिम पर है, उन्हें जांच जरूर करवाना चाहिए।
किडनी रोगियों के लिए आयुर्वेदिक दवा
भारत एक ऐसा देश है जहां आयुर्वेद ने जन्म लिया था और आज भी इसके इस्तेमाल से कई गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है। यह बात सबने सुना होगा कि, आयुर्वेद के जरिए किसी भी बीमारी का इलाज निश्चित है उसी प्रकार कर्मा आयुर्वेदा की मदद से किसी भी प्रकार की किडनी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यहां आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों की मदद से किडनी से जुडी समस्या का इलाज करते हैं। इनकी औषधि में शामिल है यह जड़ी-बूटियां जैसे -
- कासनी - कासनी एक बारहमासी पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम सिकोरियम इंटीबस है। भारत में यह औषधि चिकोरी के नाम से जानी जाती है। इसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है जैसे कि, कैंसर की बीमारी को रोकने में मदद करना, किडनी खराब होने के कारण पैरों में आनी वाली सूजन, मोटापा कम करने में सहयोग देना, दिल के रोगियों के लिए भी फायदेमंद साबित हुई है।
- हल्दी – लो यूरिन वॉल्यूम, रीनल फेल्योर और कुछ सामान्य इंफेक्शन के इलाज में हल्दी का इस्तेमाल होता है। इसके कई फायदे हैं जैसे, इंफेक्शन के खतरे को घटाता है, सूजन कम करता है, किडनी की पथरी बनने से बचाव करता है और हल्की किडनी सिस्ट को भी ठीक करता है।
- चंद्रप्रभा वटी - व्यक्ति को किडनी की समस्या होने पर उसका खून साफ नहीं हो पाता जिसके कारण आपके शरीर में विषैले पदार्थ बढ़ जाते हैं। चंद्रप्रभा वटी के सेवन से विषैले पदार्थ बाहर निकलने लगते हैं और किडनी स्वस्थ होने लगती है। इसका नियमित रूप से इस्तेमाल करने से व्यक्ति के शरीर से दूषित पदार्थ धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं और रक्त साफ हो जाता है।
- गोखरू – गोखरू के वृक्ष की छाल यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) के इलाज, पेशाब के समय होने वाली जलन के लिए अद्भूत जड़ी-बूटी है। यह बार-बार यूरिन होने की इच्छा के समय गोखरू की छाल ठीक तरीके से फ्लो को नियंत्रित करती है। किडनी स्टोन को खत्म करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है।
- अदरक – शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने के लिए अदरक का सालों से इस्तेमाल होता आ रहा है। यह किडनी और लिवर से टॉक्सिन्स हटाता है। अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी असर इंफेक्शन की वजह हुए किडनी में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
- गोरखमुंडी – अगर किसी को किडनी का इन्फेक्शन है तो पेशाब के लिए बार जाना पड़ता है, पेशाब पास करते समय जलन या खून आ सकता है। इसके लिए यह जड़ी-बूटी बहुत लाभदायक साबित हुई है।
- त्रिफला – तीन कायाकल्प कर देने वाली जड़ी-बूटियों से तैयार त्रिफला किडनी के सभी फंक्शन के सुधार में मददगार है। त्रिफला उत्सर्जन तंत्र के दो प्रमुख अंग लिवर और किडनी को मजबूत बनाता है।
- वरुण - यह प्राकृतिक रूप से किडनी के स्टोन की समस्या को ठीक करता है साथ ही अन्य किडनी से जुडी बीमारियों को ठीक करने में मददगार है। यह खून को साफ करता है और यूरिन फंक्शन को मजबूत करता है।
- पलाश – पलाश एक पेड़ है, जिस पर लाल या नारंगी रंग के फूल होते हैं। यह फूल ठंडक देने वाले होते हैं और यूरिन के फ्लो को नियमित करने में मदद करते हैं। साथ ही यूरिन पास करने के दौरान होने वाली जलन से भी आराम देने में मददगार हैं।
- पुनर्नवा - इसका वैज्ञानिक नाम बोअरहेविया डिफ्यूजा है। यह सभी जानते हैं कि किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और पुनर्नवा ही ऐसी जड़ी-बूटी हैं, जो किडनी की सफाई का कार्य करती है।
- गुदुची – गुदुची के एस्ट्रिन्जेंट गुण के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके कारण यूरिनरी दिक्कतों के इलाज के लिए यह एक बेहतरीन जड़ी-बूटी है। जिन लोगों को यूरिन पास करने में मुश्किल होती है, वो डॉक्टर की सलाह से गुदुची ले सकते हैं।
इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल खुद से इलाज के तौर पर न करें। किडनी से जुड़ी दिक्कतों के इलाज के लिए कर्मा आयुर्वेदा में डॉक्टर पुनीत धवन से संपर्क जरूर करें।
किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह -
अगर आपको किडनी की समस्या हो गई है तो डॉक्टर आपको कई तरह के परहेज करने के लिए बोलते हैं। किडनी फेल होने के शुरूआती स्टेज में आपको डॉक्टर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल, डाइट में प्रोटीन्स का रेस्ट्रिक्शन, नमक कम करने आदि चीजों से परहेज करने के लिए बोलते हैं। किडनी फेल्योर की समस्या रूकेगी तो नहीं, लेकिन उसे धीमा कर सकते हैं। अगर आपको किडनी फेल्योर है तो इससे एलोपैथी में दो ही उपाय हैं पहला किडनी ट्रांसप्लांट और दूसरा नियमित तौर पर डायलिसिस।
बता दें कि, डायलिसिस हफ्ते में एक बार कराया जाता है जिसमें रक्त की सफाई की जाती है। यह रोजाना और ताउम्र करवाया जाता है। यह अन्य तरह के डायलिसिस होता है जिसको हम सीएपीडी कहते हैं। यह होम डायलिसिस होता है। इसमें पेट में कैथेटर लगाकर पेट की सफाई की जाती है। किडनी की सुविधा वर्तमान में अधिकतर शहरों में शुरू हो गई है। लेकिन डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की तुलना में आयुर्वेदिक इलाज बेहतर है, क्योंकि इसमें इन दोनों के बिना किडनी का इलाज किया जाता है।
किडनी रोग में खान-पान का रखें ध्यान –
खान-पान हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा और बुरा दो तरह के प्रभाव डालता है और कुछ हमें स्वस्थ बनाएं रखता है तो कुछ से बीमारियां पैदा होती है। इसमें किडनी की बीमारी भी शामिल है और आहार का सीधा असर इस पर ही पड़ता है। अगर आपकी किडनी फेल हो चुकी है तो इस प्रकार के खाद्य-पदार्थों से परहेज करें। तो चलिए जानते है किडनी रोग मे क्या खाना नहीं चाहिए।
- एनिमल प्रोटीन
- सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थ
- पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ
- फास्फोरस से भरपूर खाद्य पदार्थ
- हाई ऑक्सलेट आहार
- सोडियम या नमक कम लें
- प्रोटीन बार न लें
- घी, तेल और मक्खन का सेवन कम करें
- धूम्रपान व तंबाकू न लें
आयुर्वेदिक उपचार केंद्र
भारत का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह अस्पताल दिल्ली में धवन परिवार द्वारा सन् 1937 में स्थापित किया गया था और आज इसका संचालन डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है और सभी मरीजों को आयुर्वेदिक उपचार के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेदिक उपचार की मदद सफलतापूर्वक 35,000 से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है। वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के।
बता दें कि, आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और हर्बल का इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में वरूण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं, इसलिए किडनी रोग के लिए आप किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया, कर्मा आयुर्वेदा डॉ. पुनीत धवन से संपर्क कर सकते हैं।