किडनी रोगी को कौन सी चीजों से परहेज करना चाहिए?

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
+91
OR CALL
9971829191
किडनी रोगी को कौन सी चीजों से परहेज करना चाहिए?

अगर आप किडनी से जुड़ी किसी भी बीमारी या समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको अपने आहार का खास ध्यान रखना चाहिए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक किडनी रोगी का आहार उसके उपचार का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा होता है। अगर किडनी रोगी अपने चिकित्सक और आहार विशेषज्ञ की सलाह मानते हुए उचित आहार लेता है, तो वह जल्द ही किडनी रोग से छुटकारा पा सकता है। एक किडनी रोगी को सबसे पहले इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें ज्यादा नमक और ज्यादा मीठा बिलकुल भी नहीं लेना चाहिए।

क्योंकि नमक का सेवन करने से रोगी का रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किडनी रोगी को सादे नमक की जगह केवल सेंधा नमक का ही सेवन करना चाहिए। इसके अलावा यदि किडनी रोगी मीठे का सेवन करता है, तो इससे रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है। शर्करा से भरे रक्त को साफ़ करने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है, जिससे किडनी रोगी की परेशानियाँ और ज्यादा बढ़ जाती है।

नमक और मीठे के अलावा भी किडनी रोगी को ऐसे कई खाद्य उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए, जिससे उनकी तबियत और ज्यादा खराब हो सकती है। लेकिन इस बारे में किडनी रोगी को बहुत कम जानकारी होती है कि उन्हें किन चीजों का सेवन करना है और किन चीजों का नहीं। आज के इस लेख में हम आपको कुछ खास खाद्य उत्पादों के बारे में जानकारी देंगे, जिन्हें किडनी रोगी को भूलकर भी अपने आहार में शामिल नहीं करना चाहिए।

किडनी रोगी को निम्नलिखित खाद्य उत्पादों के सेवन से बचना चाहिए

एवोकैडो

किडनी रोग से जूझने के दौरान व्यक्ति को एवोकैडो के सेवन से बचना चाहिए। यह फल पोटेशियम के मामले में काफी धनि होता है और पोटेशियम किडनी लिए काफी नुकसानदेह होता है। यह भले ही रक्तचाप को काबू करने में सहायता करता है, लेकिन इसकी शरीर में अधिकता किडनी को नुकसान पहुँचाती है। अगर शरीर में सोडियम और पोटेशियम की मात्रा सही अनुपात में हो तो किडनी पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। अगर किसी व्यक्ति के रक्त में पोटेशियम की मात्रा अधिक हो जाए, तो उसे हाइपरकेलेमिया नाम की बीमारी होने की आशंका बनी रहती है। यह एक प्रकार का रक्त विकार है, जिसके कारण पीड़ित की हृदय गति धीमी हो जाती है, इसके अलावा सूजन, कमजोरी और जी मिचलाना जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

केला

केला एक तरफ जहाँ व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है, वहीं यह किडनी के लिए हानिकारक होता है। इसका ज्यादा सेवन ना केवल किडनी बल्कि शरीर के बाकी अंगों पर भी दुष्प्रभाव डालता है। इसका अधिक सेवन करने से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जो कि किडनी के लिए नुकसानदायक होता है। केले को ग्लाइसेमिक भोजन श्रेणी में रखा गया है जो कि मधुमेह रोगी के लिए हानिकारक होता है। एक उच्च ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन टाइप 2 मधुमेह, मोटापा और हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकता है, इसलिए आपको केले का सेवन अनियमित करना चाहिए। इसके अलावा केले में काफी मात्रा में पोटेशियम भी होता है जो कि रक्त प्रवाह को बढ़ा सकता है। इसके कारण किडनी में रक्त की मात्रा अधिक हो जाती है और किडनी पर कार्य का अधिक बोझ पड़ता है।

मूंगफली

मूंगफली खाने में बेशक पौष्टिक होती है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मूंगफली में ऑक्सालेट्स नामक तत्व होता है – यह एक ऐसा पदार्थ जिसे खाने से किडनी में पथरी होने की संभावना अधिक हो जाती है। एक शौध की रिपोर्ट के अनुसार मूंगफली से बनने वाली किडनी की पथरी का आकार अन्य कारणों से बनने वाली पथरी की तुलना में काफी बड़ा होता है। अगर आप पहले से ही किडनी की पथरी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इसका सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही क्रोनिक किडनी रोग से जूझने वाले लोगो को भी इसके सेवन से बचना चाहिए।

कॉफी

कॉफी का सेवन करना सभी लोग पसंद करते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में कॉफी के सेवन से किडनी खराब हो सकती है। कॉफी के अंदर कैफीन नाम का एक तत्व मिलता है, जो स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। शरीर में कैफीन की अधिक मात्रा किडनी की विफलता का कारण बन सकता है, ऐसे में किडनी रोगी को इसके सेवन से दूर ही रहना चाहिए। कॉफी के अधिक सेवन से शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने लगती है, जिसके कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है। इसके अलावा अधिक मात्रा में कॉफी के सेवन से आपको उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है, जिससे किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस बात से बहुत कम लोग वाकिफ हैं कि कॉफी के अधिक सेवन से किडनी में पथरी बनने का खतरा भी रहता है। दरअसल कॉफी में ऑक्सलेट तत्व मौजूद होते हैं जो कि खून में मौजूद कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम ऑक्सलेट का निर्माण करते हैं और फिर कैल्शियम ऑक्सलेट के निर्माण से किडनी में पथरी बन जाती है।

ग्रीन टी

ग्रीन टी के अधिक सेवन से किडनी में पथरी होने का खतरा रहता है। ग्रीन टी में ऑक्जेलिक एसिड पाया जाता है, यह किडनी में पथरी बनने का कारण बन सकता है। इसमें कैल्शि‍यम, यूरिक एसिड, अमीनो एसिड और फास्फेट भी पाया जाता है। यह ऑक्जेलिक एसिड के साथ मिलकर किडनी में पथरी का कारण बनता है। ग्रीन टी एंजियोटेनसिन परिवर्तित एंजाइम को क्रिया करने से रोकती है, जिससे उच्च रक्तचाप नियंत्रण में आ जाता है। लेकिन अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करने से रक्तचाप का स्तर काफी गिर जाता है, जिसके कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का समाना करना पड़ता है।

कमरख

स्टारफ्रूट भले ही कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है, लेकिन यह किडनी रोगी के लिए हानिकारक होता है। किडनी रोगी को स्टारफ्रूट का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस फल में न्यूरोटॉक्सिन नामक एक खास विषैला तत्व पाया जाता है। स्वस्थ किडनी न्यूरोटॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने में समर्थ होती है, लेकिन किडनी खराब होने के बाद वह टॉक्सिन को फिल्टर नहीं कर पाती। यह विषैला तत्व ना केवल किडनी बल्कि मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों का भी कारण बन सकता है। शरीर में न्यूरोटॉक्सिन की मात्रा अधिक होने के कारण मृत्यु भी हो सकती है।

स्टार फ्रूट में सोडियम की मात्रा अधिक होती है जो कि उच्च रक्तचाप की समस्याओं को बड़ा देता है। उच्च रक्तचाप किडनी पर दबाव डालता है, जिससे किडनी खराब होने का खतरा रहता है। स्टारफ्रूट में उच्च मात्रा में ओक्सालिक एसिड मिलता है, यह एसिड किडनी के लिए हानिकारक होता है। साथ ही ओक्सालिक एसिड नेफ्रोपेथी की बीमारी का खतरा बढ़ा देता है। स्टारफ्रूट में ऑक्सालेट क्रिस्टल होते हैं जो कि आपकी किडनी में स्टोन के बनने का कारण बन सकते हैं। इसलिए अगर आप किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं, तो आपको इस फल का सेवन नहीं करना चाहिए।

अंडा की जर्दी

किडनी रोगी को अंडे के पीले भाग यानि अंडे की जर्दी का सेवन नहीं करना चाहिए, इसकी जगह पर किडनी रोगी केवल अंडे के सफ़ेद भाग को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। अंडे की जर्दी में उच्च मात्रा मे फॉस्फोरस होता है जो किडनी रोगी के लिए नुकसानदेह होता है। अंडे के पीले भाग में ट्राइमेथिलमाइन एन-ऑक्साइड (Trimethylamine N-oxide) नाम का एक खास योगिक तत्व मिलता है जो कि क्रोनिक किडनी रोगी के लिए नुकसानदायक होता है। यह तत्व किडनी के कार्य को धीमा कर देता है, जिससे किडनी अपना काम करने में ज्यादा समय लगाती है। अंडे की जर्दी के सेवन से लिपोप्रोटिन कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खतरा रहता है, जिससे दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो किडनी रोगी डायलिसिस से गुजर रहे हैं, उनको अंडे का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। ध्यान दें, “कर्मा आयुर्वेदा किडनी रोगी को डायलिसिस कराने की सलाह नहीं देता।”

कर्मा आयुर्वेदा भारत का श्रेष्ठ किडनी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र

कर्मा आयुर्वेदा बीते कई दशकों से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी का आयुर्वेद द्वारा सफल उपचार कर रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। तभी से कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक किडनी उपचार करते आ रहा हैं। इस समय कर्मा आयुर्वेदा की बागड़ोर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। यह धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी है जो कि कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व कर रही है। डॉ. पुनीत धवन एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक है, जिन्होंने अब तक 48 हज़ार से भी ज्यादा किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया है। आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेद में बिना आयुर्वेदिक किडनी डायलिसिस उपचार और किडनी प्रत्यारोपण के बिना ही रोगी की किडनी ठीक की जाती है।

लेख प्रकाशित