क्या काले खाने से किडनी स्वस्थ रहती है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या काले खाने से किडनी स्वस्थ रहती है?

दुनिया भर में बड़ी आसानी से मिलने वाली सब्जी काले अपने अंदर बहुत से पौषक तत्व समेटे हुए है। इसके गुणों को देखते हुए इसे सुपर फ़ूड की श्रेणी में रखा गया है। काले को विशेषकर सलाद, बर्गर, पास्ता आदि के लिए प्रयोग में लाया जाता है। वहीं भारत में इसका साग बनाया जाता है  और इसे हिंदी में “करम साग” के नाम से जाना जाता है। यह एक हरी और पत्तेदार क्रूसिफेरस (cruciferous) सब्जी है,  जिसके अंतर्गत फूलगोभी, ब्रोकोली, कोलार्ड ग्रीन्स (collard greens) और ब्रसेल्स स्प्राउट्स (Brussels sprouts) को शामिल किया जा सकता है। वहीं कुछ लोगो का मनना है कि यह सब्जी पालक, सरसों, और मुली के परिवार से संबंध रखती है। अगर गुणों के आधार पर काले की तुलना ब्रोकली और पालक जैसी सब्जियों से की जाए तो निसंदेह काले पहले स्थान पर आएगा। इस सब्जी की हरे और बैंगनी रंग की होती हैं, तथा यह चिकनी या घुंघराले आकार की होती है।

काले के अंदर क्या-क्या पौषक तत्व मिलते जाते हैं?

अगर काले के पौषक तत्वों की बात करे तो आपको बता दें कि इसके अंदर बहुत से पौषक तत्व मिलते हैं, जो ना केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि हमें कई बीमारियों से भी बचा कर रखते हैं। काले के अंदर आपको विटामिन के साथ-साथ बहुत-से खनिज भी मिलते हैं,  इसी वजह से ही इसे सुपर फ़ूड की श्रेणी में रखा गया है। काले में आपको फाइबर, कैलोरी, कोलेस्ट्रोल, पोटाशियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम मिलता है। विटामिन्स में आपको विटामिन ए,  विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन बी 12 और विटामिन डी मिलता है। इन सभी के अलावा इसमें आपको सैचुरेटेड फैट, पॉलीअनसेचुरेटेड फैट, और मोनौंसतुरतेड़ फैट भी मिलता है। यह साग अपने इन्ही सभी पौषक तत्वों की मदद से आपकी किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है और उसे खराब होने से बचाती है।

किडनी को ऐसे रखे स्वस्थ काले

आपने अभी ऊपर काले के पौषक तत्वों के बारे में विस्तार से जाना, जिससे यह साफ़ होता है की यह हमारे शरीर और किडनी के लिए कितना उपयोगी है। अगर आप नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं तो निश्चित रूप से आपकी किडनी तो स्वस्थ बनी रहती है, साथ ही यह आपकी आँखों को स्वस्थ रखने, सुंदर त्वचा और बाल काले रखने में काफी लाभकारी है। अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको इसे अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए, क्योंकि इससे आपकी किडनी कई समस्याओं से दूर रहती है, जिनके कारण किडनी खराब होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। तो चलिये जानते हैं आखिर कैसे यह पत्तेदार सब्जी आपकी किडनी को स्वस्थ रखती है :-

मधुमेह को काबू रखे

अगर मधुमेह रोगी अपने आहार में करम साग यानी काले को शामिल करे तो निश्चित ही उन्हें इसका काफी फायदा होगा। इसके अंदर फाइबर मिलता है जो कि रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में मदद करता है, यह टाइप – 2 मधुमेह रोगियों के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसमें मौजूद पौषक  ना केवल रक्त में शर्करा के स्तर को कम करता हैं, बल्कि इन्सुलिन बनाने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा काले में एंटीओक्सिडेंट तत्व भी मिलते हैं, जिन्हें अल्फा–लिपोइक एसिड कहा जाता है। यह एसिड रक्त में मौजूद ग्लुगोज़ के लेवल को कम करने में सक्षम होता है, जिससे मधुमेह स्तर काबू में रहता है। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण है, इसी वजह से मधुमेह को हमेशा काबू में रखना चाहिए।

पथरी बनने से रोके

काले के नियमित सेवन करने से शरीर में किसी भी प्रकार की पथरी बनने का खतरा नहीं रहता। इसमें फाइबर होता है जो की पाचन तन्त्र को दुरुस्त रखता है, जिससे शरीर में ओक्स्लेट तत्व शरीर में जमा नहीं होते और पथरी नहीं बनती। इसके अलावा यह एक मूत्र वर्धक की तरह भी काम करता है, जिससे पेशाब से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती और फिर पथरी भी नहीं बनती।

हड्डियों को मजबूत करे

हड्डियों को मजबूत करने के लिए ना केवल कैल्शियम की जरूरत होती है, बल्कि विटामिन K की भी काफी जरूरत पड़ती है। काले में विटमिन K अच्छी मात्रा में मिलता है। काले के सेवन से शरीर में विटमिन K की पूर्ति होती, जिससे हड्डियों के टूटने का खतरा नहीं रहता। विटामिन K  की मात्रा में सुधार होने के बाद शरीर में ‘बोन मैट्रिक्स प्रोटींस’ की मात्रा में सुधार होना शुरू हो जाता है। ऐसा होने से कैल्शियम पेशाब के द्वारा व्यर्थ नहीं होता। आपको बता दें की किडनी खराब होने पर अक्सर पेशाब के जरीय शरीर में मौजूद पौषक तत्व बाहर आ जाते हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि हमारी किडनी ना केवल रक्त साफ़ करने का काम करती है, बल्कि हमारी हड्डियों को मजबूत करने का भी काम करती है।

रक्त करे साफ़

किडनी का विशेष कार्य होता है रक्त साफ करना, लेकिन किडनी खराब हो जाने के बाद वह अपने इस कार्य को नहीं कर पाती, जिसके बाद रोगी को रक्त्शोधन के लिए डायलिसिस का सहारा लेना पड़ता है। वहीं करम साग यानि काले एक प्राकृतिक रक्त शोधक सब्जी है। इसके अंदर विटामिन K अच्छी मात्रा में मिलता है जो कि रक्त साफ़ करने में मदद करता है। विटामिन K ना केवल रक्त शोधन मे मदद करता है बल्कि रक्त संचालन में भी मददगार है। तेज़ी से लाभ लेने के लिए आप इसके जूस और सूप का सेवन कर सकते हो या फिर इसे साग के रूप में इस्तेमाल करे। ध्यान दें कि यह एक सुपर फ़ूड है जिसके कारण किडनी रोगी इसका सेवन नहीं कर सकता।

दिल रखे तंदरुस्त

काले दिल को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। इसमें फाइबर, पोटाशियम, विटामिन K, विटामिन सी के साथ विटामिन बी 6 अच्छी मात्रा में मिलता है। यह सभी तत्व दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। विटामिन K रक्त शोधन और रक्त संचालन में सुधार के जरिये दिल को स्वस्थ रखता है। वहीं पोटाशियम शरीर में अतिरिक्त सोडियम को कम कर रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है। आपको बता दें कि उच्च मात्रा में पोटाशियम के सेवन से किडनी में समस्या आने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इसकी संतुलित मात्रा लेने से किडनी और दिल दोनों स्वस्थ रहते हैं।

पाचन सुधारने में मददगार

पाचन सुधारने के लिए काले का साग सर्वोत्तम है। इसके अंदर फाइबर अच्छी मात्रा में मिलता है और उसके साथ पानी भी काफी मात्रा में मिलता है, यह दोनों तत्व पाचन सुधारने में मदद करते हैं। यह दोनों तत्व कब्ज होने से रोकते हैं तथा विटामिन बी और विटामिन सी दोनों मिल कर आयरन को में अवशोषित होने में मदद करते हैं जो कि भोजन के लिए जरूरी होता है। आपको बता दें कि खराब पाचन तन्त्र बहुत सी समस्याओं को आमंत्रित करता है।

क्या काले या करम साग खाने से कोई नुकसान भी होता है?

करम साग भले ही गुणों से भरपूर है, लेकिन इसके सेवन से कुछ नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ सकते हैं। इसलिए इसके सेवन में हमें सावधानियों का ध्यान रखना जरुरी होता है। इसके सेवन के दौरान निम्न वर्णित बातों का खास ख्याल रखना चाहिए :-

  • काले के अंदर पोटाशियम काफी मात्रा में मिलता है जो कि रक्त को पतला कर सकता है। इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में ना करे।
  • यह एक प्राकृतिक मूत्र वर्धक है, इसलिए इसका सेवन कम ही करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में सेवन करने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
  • गर्भवती महिलों के लिए करम साग बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन सिमित मात्रा में। क्योंकि इसमें फाइबर होता है जो कि भूर्ण के पेट और गर्भवती के पेट में सूजन का कारक बन सकता है। इसके आलावा यह महिला के पेट में गैस भी पैदा कर सकता है। लेकिन ऐसा बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन करने के दौरान ही होता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

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कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी और वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका संचालन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन एक जाने-माने आयुर्वेदिक किडनी रोग चिकित्सक है, जिन्होंने बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही 48 हज़ार से ज्यादा लोगो को किडनी फेल्योर से मुक्त किया है। बता दें की कर्मा आयुर्वेदा में बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांप्लांट के ही किडनी फेल्योर का सफल इलाज किया जाता है।

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