अंग्रेजी का एक प्रसिद्ध कथन है “हेल्थ इज़ वेल्थ” यानि की स्वास्थ्य ही मूल धन है, इस कथन से आप सभी भली भांति परिचित है। एक स्वस्थ शरीर का होना बहुत जरूरी होता है और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर के अंग बहुत योगदान प्रदान करते हैं। हमारा शरीर बहुत से अंगों के मेल से बना है, सभी अंगों का अपना-अपना कार्य होता है, जिनके कारण शरीर स्वस्थ बना रहता है। लेकिन हमारे शरीर में एक अंग ऐसा है जो की बाकि अंगों की तुलना में सबसे खास अंग है, वो है “किडनी”। किडनी हमारे शरीर में सबसे खास अंग है। यह हमारे शरीर की सफाई कर हेल्थ इज़ वेल्थ के कथन को सार्थक करने में अपनी अहम भूमिका अदा करती है।
किडनी हमारे शरीर में बहाने वाले रक्त को शुद्ध करने का सबसे जरूरी कार्य करती है। रक्त शुद्ध करते समय किडनी के नेफ्रोन खून से अपशिष्ट उत्पाद, क्षार, अम्ल, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे कई तत्वों को रक्त से निकालकर पेशाब के रूप शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस कार्य से शरीर में रसायनों का संतुलन बना रहता है और शरीर ठीक से विकास कर पाता है। लेकिन कुछ कारणों के चलते किडनी खराब हो जाती है, जिसमे हमारी बिगडती लाइफस्टाइल सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
किडनी को खराब होने से कैसे बचाए?
किडनी के कार्यों को देखते हुए आपको अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहिए। क्योंकि एक बार किडनी खराब होने के बाद उसे ठीक करना बहुत ही मुश्किल होता है। किडनी को कई तरीकों से स्वस्थ रखा जा सकता है, जिनमे सबसे अहम वो आदतें हैं जिनके कारण सबसे ज्यादा किडनी खराब होती है और दूसरा आहार में परिवर्तन। आहार आपको स्वस्थ रखने के साथ-साथ आपको कई बीमारियों की चपेट में ला सकता है। तो चलिए जानते हैं कैसे किडनी को स्वस्थ रखे और उसे खराब होने से बचाया जाए :-
मधुमेह को काबू रखे
मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो कई बीमारियों के होने का कारण बनता है, यह किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण भी है। जब रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने लग जाती है तो उस स्थिति को मधुमेह कहा जाता है, यह वंशानुगत और कुछ कारणों के चलते हो सकती है। रक्त मर शर्करा की मात्रा बढ़ने के कारण किडनी के फिल्टर्स को रक्त शुद्ध करते समय समस्या होती है। शर्करा से भरा हुआ रक्त शुद्ध करने पर फिल्टर्स खराब हो जाते है, जिससे किडनी भी खरब हो जाती है।
उच्च रक्तचाप को काबू रखे
किडनी खराब होने वैसे तो बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन उच्च रक्तचाप सबसे बढ़ा कारण है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण, चिंता करने, गुस्सा आदि के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह मे समस्या होती है, ज्सिके चलते किडनी के फिल्टर्स खराब होने शुरू हो जाते हैं। किडनी फिल्टर्स खराब हों एके कारण किडनी अपने कार्यों को करने में असमर्थ हो जाती है। जिसके चलते शरीर में अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा बढ़ने लगती है और व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति को हमेशा कम नमक का ही सेवन करना चाहिए और रक्तचाप को जितना हो सके उतना काबू रखना चाहिए।
शराब का सेवन ना करे
वर्तमान समय में हर दूसरा व्यक्ति शराब का सेवन करता है, यह पेय कुछ समय के लिए आनंद तो जरूर देता है लेकिन कई समस्याओं को भी जन्म देता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में व्यक्ति को शराब से जितना हो सके उतना परहेज करना चाहिए। कुछ लोगो का मत है कि बियर पीने से किडनी से जुड़ी कई समस्यों से राहत मिलती हैं, लेकिन बियर का अधिक सेवन करने से किडनी खराब होने और पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है।
नियमित मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करे
किडनी हमारे शरीर को साफ करने का कार्य करती है ऐसे में हमें उसकी समय-समय पर सफाई करनी चाहिए। ग्रीन टी इसमें आपकी काफी मदद कर सकती है, बाजार में किडनी साफ करने वाली चाय उपलब्ध हैं। इसका नियमित सेवन किडनी को ठीक करता है। नेटल चाय, डैनडेलियन चाय और तुलसी चाय कुछ ऑर्गेनिक चाय हैं, जो आपकी किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में सहायता करती हैं। नियमित ग्रीन टी का सेवन शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर करने में मदद करता है। दिनभर में दो से तीन कप ग्रीन टी ले सकते हैं। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से किडनी में पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है, क्योंकि इसमें कैफीन होता है इसलिए इसका सेवन कम मात्रा में ही करे।
बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करे
कुछ शोधर्कर्ताओं के अनुसार सोडियम बाइकार्बोनेट यानि बेकिंग सोडा किडनी के लिए काफी लाभकारी है। बेकिंग सोडा की मदद से रक्त में होने वाली एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाती है जो कि किडनी की समस्याओं के मुख्य कारणों में से एक है। इसके सेवन की मद से किडनी के रोगों की गति को कम किया जा सकता है।
धूम्रपान बिलकुल न करे
धूम्रपान का सेवन कई गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है, विशेषकर फेफड़े संबंधी रोगों के लिए। इसके सेवन से रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है और किडनी में रक्त कम जाने से उसकी कार्यक्षमता घट जाती है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए धूम्रपान बिलकुल नहीं करना चाहिए।
खूब पानी पिये
जो लोग बहुत कम मात्रा पानी पीते हैं, उसको किडनी से जुड़ी समस्या होने का ज्यादा खतरा रहता है। । पानी पीने से किडनी की सफाई होती रहती है, जिससे पेशाब की मात्रा मे कामी नहीं आती। किडनी पेशाब के जरीये शरीर के अपशिष्ट उत्पादों को बहार निकाल देता है। कम पानी पीने से निर्जलीकरण की समस्या पैदा हो जाती है जिससे रक्त गाढ़ा होने लगता है और शरीर में बनने वाले अपशिष्ट उत्पाद शरीर से बाहर ना जाकर रक्त में जमा होने लगते है, देखते ही देखते यह छोटी से आदत किडनी खराब होने का कारण बन जाती है। इसलिए व्यक्ति को दिन में कम से कम दो से तीन लीटर तक पानी पीना चाहिए।
दर्द निवारक दवाओं के सेवन से बचे
दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन करने के कारण से भी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए आप कोई भी एलोपैथी दवाएं बिना चिकित्सक की सलाह के ना लें। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आपको आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं के कारण किडनी को शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित करने के लिए अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे किडनी पर दबाव पड़ता है। एंटीबायोटिक दवाएं ना केवल किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इसलिए हर छोटी इसलिए हर छोटी समस्या में दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से बचे ज्यादा जरुरत होने पर ही दवाओं का सेवन करे। एक शोध के अनुसार महिलाऐं और वृद्ध लोग सबसें ज्यादा दर्द निवारक दवाओं का सेवन करते हैं।
किडनी खराब होने पर क्या करे?
यदि आप या आपका कोई अपना किडनी फेल्योर का इलाज से जुझर आहा है हम सलाह देंगे कि आप एलोपैथी की बजाय आयुर्वेदिक किडनी उपचार लें। एलोपैथीक उपचार में किडनी को ठीक कर्ण एके लिए किडनी डायलिसिस का सहारा लिया जाता है, जोकि एक असफ उपचार है। आयुर्वेद में इतनी शक्ति है की वह हर रोग जड़ से खत्म करने की ताक़त रखता है। "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन भारतीय पद्धत्ति की मदद से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ आयुर्वेद की सहायता से किडनी फेल्योर की बीमारी को खत्म करता है वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये। कर्मा आयुर्वेदा वर्ष 1937 से किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज करता आ रहे हैं। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे हैं।