क्या किडनी पेशेंट मछली का सेवन कर सकते हैं?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या किडनी पेशेंट मछली का सेवन कर सकते हैं?

अधिकतर लोगों को नॉनवेज खाना बेहद पसंद होता है। लेकिन नॉनवेज में मछली अधिक फायदेमंद और पौष्टिक आहार है। मछलियां खाने की शुरूआत पहली बार कैम्ब्रिज काल के दौरान शुरू हुई थी। दुनिया भर में मछलियों की लगभग 32,000 विभिन्न प्रताजियां हैं, जिनमें से कुछ मछलियों का दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शिकार किया जाता है। इसमें कई प्रकार के जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे प्रोटीन, विटामिन और ओमेगा 3 फैटी एसिड। हमारे देश के कई राज्यों जैसे, बिहार, पश्चिम बंगाल तथा असम में इसे बहुत ही शौक से खाया जाता है। मछली बंगाली लोगों का खास व्यंजन है। बंगाली लोग मछली का सेवन बहुत ज्यादा करते हैं, इसलिए उनका दिमाग बहुत ज्यादा स्ट्रॉंग रहता है। इससे न केवल शरीर को बल्कि दिमाग को भी भरपूर पोषण मिलता है। लेकिन किडनी रोगियों के लिए मछली नुकसानदेह साबित हो सकती है, क्योंकि मछली में अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो किडनी को खराब कर सकती है।

किडनी की बीमारी

हम शुरू से यहीं सुनते आएं हैं कि प्रोटीनयुक्त आहार खाएं तो स्वस्थ रहेंगे। प्रोटीन हमारे शरीर के लिए जरूरी तत्व होता है। मगर इसका जरूरत से ज्यादा सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। डॉक्टरों के मुताबिक, प्रोटीन की ज्यादा खुराक लेने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर किडनी की बीमारियों की पहचान शुरूआत में नहीं हो पाती है, इसलिए बगैर उचित सलाह के अधिक प्रोटीन नहीं लेना चाहिए, लेकिन बहुत से लोग इस बात को अनदेखा करते हैं। नतीजन किडनी की दीर्घकालिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।

किडनी खराब होने के संकेत -

किडनी खराब होने के सामान्य संकेत और लक्षण केवल तब दिखाई देते हैं जब हमारी बीमारी बढ़ जाती है। एक बार किडनी गंभीर रूप से खराब हो जाती है तो वह अपने आप में संकेत होती है।

  • आंखों के चारों और सूजन थकान महसूस होना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • मूत्र में गंध आना
  • पैरों और एडियों में सूजन
  • हड्डी और जोड़ो में दर्द
  • सुस्ती और नींद आना
  • सुखी त्वचा और खुजली होना
  • असामान्य वजन घटना या बढ़ना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • मल और मूत्र में रक्त
  • नींद की कमी

मछली का सेवन

मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड होने की वजह से यह किडनी को कई बीमारियों से बचाता है। मछली में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है और प्रोटीन के अधिक होने से किडनी डैमेज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है, इसलिए किडनी की प्रॉब्लम को कम करने के लिए आप केवल उबली, पकी हुई या भुनी हुई मछली का सेवन कर सकते हैं।

प्रोटीन का किडनी पर बुरा असर

जब प्रोटीन हमारे शरीर में आहार के रूप में जाता है, तब हमारी किडनियां उसे अलग करती है। अगर आप जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेते हैं, तो किडनी को ज्यादा काम करना पड़ता है। प्रोटीन की अधिक मात्रा लेने पर किडनी में स्टोन की समस्या हो सकती है जिसकी वजह से किडनी खराब भी हो सकती है। रिसर्च के मुताबिक, 40 फीसदी युवाओं को हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और मधुमेह की समस्या रहती है। कई युवा सिगरेट और शराब पीते हैं। जिसकी वजह से किडनी में स्टोन, इंफेक्शन और मधुमेह से जुड़ी बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक उपचार किडनी के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है। आयुर्वेद में इस्तेमाल की गई जड़ी-बूटियों से किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और किडनी फेल्योर को जड़ से खत्म करने में मदद करता हैं। आयुर्वेदिक उपचार में पुनर्नवा, शिरिष, गोखरू, कासनी और लाइसोरिस रूट आदि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है, जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा एशिया के सभी जाने-माने आयुर्वेदिक अस्पतालों में शामिल है। साथ ही देश-विदेश से आए हजारों किडनी रोगियों को डाइट चार्ट की सलाह भी दी जाती है। यहां आयुर्वेद का उपयोग पूर्व-एतिहासिक तकनीकों के साथ किया जाता है। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें गंभीर किडनी रोग से मुक्त किया है वो भी बिना डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के।

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