किडनी फेल्योर को ठीक करने के लिए रोगियों को नमक, फैट और प्रोटीन का सेवन नहीं करना चाहिए। सब्जियों और फलों में मौजूद आहार फाइबर की खपत पर अधिक जोर देना चाहिए। प्रोटीन और तरल पदार्थ के सेवन भी निगरानी में किया जाना चाहिए, लेकिन यह पूरी तरह से व्यक्तिगत कारक है जैसे कि, उम्र, वजन और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। साथ ही किडनी शरीर के अधिक पानी, नमक और क्षार को पेशाब द्वारा दूर करके शरीर में इन पदार्थों का संतुलन बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी फेल्योर के मरीजों में पानी, नमक, पोटेशियम युक्त आहार और खाद्य पदार्थ आदि अधिक मात्रा में लेने पर भी कई बार गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। किडनी फेल्योर के केस में किडनी सही से काम नहीं कर पाती, जिससे किडनी पर काफी बोझ पड़ता है। जिसके लिए शरीर में पानी, नमक और क्षारयुक्त पदार्थ की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए आहार में जरूरी परिवर्तन करना आवश्यक है। किडनी फेल्योर के सफल उपचार में आहार के इस महत्व को ध्यान में रखना चाहिए।
हमारे शरीर में किडनी संतुलन बनाए रखने के कई कार्यों को करती है। वह अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब के द्वारा बाहर निकालती है। वह शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। किडनी अतिरिक्त अम्ल और क्षार को निकालने में मदद करती है, जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता है। साथ ही शरीर में किडनी महत्वपूर्ण रक्त को शुद्धिकरण करना भी है। जब बीमारी की वजह से दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसे किडनी फेल्योर कहा जाता है। लेकिन ऐसे मरीजों को अपने आहार में कुछ परहेज और कुछ हेल्दी चीजों को शामिल करके स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। वैसे सभी खाद्य पदार्थ समान नहीं होते हैं और आसानी से पच जाते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ किडनी के लिए लाभदायक होते हैं और कुछ नहीं जैसे कि, मछली।
किडनी के लिए मछली –
दुनियाभर में मछली सबसे अधिक खपत खाद्य पदार्थों में से एक है और सबसे अधिक प्रोटीन भोजन में से एक के रूप में माना जाता है। कई मछली प्रजातियों को उनके पोषण मूल्य के लिए जाना जाता है। लेकिन बात ये आती है कि, किडनी के लिए मछली कैसी है?
बता दें कि, मछली में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है, जो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है और आपको स्वस्थ रखता है। यह उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन आपके अंगों सहित दिल, पाचन अंगों और किडनी के लिए अच्छा है। मछलियों में मौजूद स्वस्थ और एंटी-इंफ्लेमेटरी फेट आपको दिल से संबंधित कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। वह कैंसर से लड़ने में भी सहायक है जैसे कि, कोई भी भयंकर रोग। इन एंटी-इंफ्लेमेटरी फेट को आमतौर पर ओमेगा-3 एस कहा जाता है। यह आपके शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल, आपके शरीर से एलडीएल (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) को कम करने में मदद करता है। यह स्वचालित रूप से आपके शरीर में उच्च गुणवत्ता वाले कोलेस्ट्रॉल-एचडीएल को बढ़ाता है।
किडनी रोगियों के लिए हानिकारक हो सकती है मछली -
मछली के इन गुणों का आपके स्वास्थ्य पर कई लाभ है। यह आपकी हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाकर आपको स्वस्थ रखते हैं। वह आपकी प्रतिरक्षा को भी मजबूत करते हैं। इनके गुण आपके शरीर में रक्त के अच्छे संचार को बनाए रखते हैं। यह सभी कारक एक साथ आपकी किडनी और उनके अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फायदेमंद है।
लेकिन अगर आप पहले से ही किडनी की बीमारी के मरीज हैं, तो मछलियां आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है। जैसा कि आप जानते हैं, मछलियां प्रोटीन और मैग्नीशियम जैसे कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। एक गुर्दा रोग का रोगी, जिसका जीएफआर, किडनी की छानने की दर बहुत कम हो गई है, यह हाई प्रोटीन और मैग्नीशियम युक्त भोजन आपके लिए अच्छा नहीं है। जब आपकी किडनी अपने सबसे अच्छे रासायनिक रसायन और वसा पर कार्य करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो आपके रक्त में प्रोटीन जमा होने लगता है। यह आपकी किडनी और अन्य अंगों पर भी दबाव डालता है और उनके स्वास्थ्य को और खराब करता है।
आपको अपने भोजन में मछली को शामिल करने से बचना चाहिए, खासकर यदि आप बाद के स्टोजो से जूझ रहे हो और उसी के बारे में अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करें।
डायलिसिस समय मछली का सेवन -
पहले से ही डायलिसिस पर आने वाले रोगियों के लिए, मछलियों को कड़ाई से सुझाव नहीं दिया जाता है, क्योंकि किसी भी हाई प्रोटीन का सेवन उनकी किडनी पर जोर देगा और इससे उनकी किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ सकता है। यह केवल डायलिसिस के दिन है, कि कुछ रोगियों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के लिए मछली खाने का सुझाव दिया जाता है। कारण उनके शरीर प्रक्रिया के दौरान सभी प्रकार के प्रोटीन खो देता है और आवश्यक प्रोटीन को वापस लाने के लिए, उन्हें थोड़ा हाई प्रोटीन प्रदान किया जाता है। लेकिन इन सभी आहार परिवर्तनों को आपके डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही ध्यान में रखा जाना चाहिए।
किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति -
किडनी फेल्योर बेहद गंभीर और खतरनाक होता है। अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो उपचार असरकारक नहीं होता है। विकासशील देशों में उच्च लागत, संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी की वजह से किडनी फेल्योर से पीडित सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत मरीज ही डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का उपचार करवा पाते हैं, लेकिन बाकी मरीज सिर्फ सामान्य उपचार पर निर्भर होते हैं। जिससे उन्हें अल्पावधि में ही विषमताओं का सामना करना पड़ता है। सी.के.डी. यानी क्रोनिक किडनी डिजीज, जो ठीक नहीं हो सकते हैं, उनके अंतिम स्टेज के उपचार जैसे - डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट बेहत महंगे होते हैं। यह हर जगह उपलब्ध नहीं होते हैं और बहुत से लोगों का अपनी जान गवांनी पड़ती है, इसलिए आज हम किडनी फेल्योर मरीजों के दैनिक आहार के बारे में जानेंगे, जिसे अपनाकर वह अपनी किडनी को हेल्दी रख सकते हैं।
किडनी फेल्योर मरीज क्या खाएं –
- गेंहू और चावल
- मूंग की दाल
- अनार, पपीता, शिमला मिर्च, प्याज, ककड़ी, टिण्डा, परवल, लौकी, तोराई करेला, कद्दू, मूली, खीरा, कुंदरू, गोभी, शिमला मिर्च आदि
- हल्का खाना, लहसून, धनिया, पुदीना, जायफल, जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल, पंतजलि आरोग्य बिस्कुट आदि
कैसे खाएं –
- 1 कटोरी चावल सप्ताह में केवल 1-2 बार लें
- आधा चम्मच सेंधा नमक को 24 घंटे में लें (बीमारी के अनुसार कम या बंद भी कर सकते हैं)
- 1 चम्मच रिफाइंड का तेल / सरसों का तेल / मूंगफली का तेल 24 घंटे में सेवन कर सकते हैं
- केवल 1 लीटर द्रव्य पदार्थ का 24 घंटे के अन्तराल में सेवन करें
- कोई भी सब्जी या फलों का जूस ना लें
- डायबिटीज की अवस्था में चावल का मांड रहित लें
- मूंग दाल बनाने से पहले 45 मिनट पानी में भिगोकर रखें
- अत्यधिक कमजोरी होने पर 10-15gm पनीर लें
- सब्जियों को अच्छी तरह उबालकर और पानी पसा कर सेवन करें
- अगर क्रिएटनिन का लेवल 5.0 से अधिक हो तो फलों का सेवन न करें
किडनी के लिए आयुर्वेदिक उपचार -
आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके दवा बनाई जाती है, जिसमें किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं में वरूण, कासनी, गोखरू, पुनर्नवा और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं। किडनी की सभी बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुई है। आयुर्वेद ने दुनिया भर की मानव जाति के संपूर्ण, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास किया है। आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लंबे जीवन का विज्ञान है और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली है।
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है। आयुर्वेद किडनी की समस्या जिसका लक्ष्य प्राकृतिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्वों में उचिक इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण सामाप्त करना है। यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्वों के अनुरूप एक जीवनशैली है। यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है। इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हल्की पक्की सब्जियां विभिन्न बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती है। प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों और गरीब देशों के लिए विशेष रूप से वरदान है।
किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र -
कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के बेस्ट किडनी फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक है, जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है, वो भी बिना किसी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के। साथ ही यहां किडनी की आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग का पालन करने सलाह भी दी जाती है। कर्मा आयुर्वेदा का नाम भारत के साथ-साथ एशिया के बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में शामिल है।