क्या खाएं नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोगी?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम एक किडनी विकार है। जब पेशाब में प्रोटीन की अधिक मात्रा आने लगे और रक्त में प्रोटीन की कमी हो जाए तब व्यक्ति को नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की बीमारी हो जाती है। नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में किडनी में छोटी रक्त वाहिकाओं के समूहों को नुकसान पहुंचाता है। यही रक्त वाहिकाएं आपके रक्त से अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त पानी को फिल्टर कर शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं। इस किडनी रोग में किडनी के फिल्टर्स का आकार बड़ा हो जाता है. जिसके कारण अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट उत्पाद के साथ प्रोटीन भी पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है जिसके चलते शरीर में प्रोटीन की कमी होने लगती है, परिणामस्वरुप पीड़ित के शरीर में सूजन आ जाती है

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोग के कारण :-

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोग होने के पीछे निश्चित कारण की पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है  कुछ तर्कों के आधार पर इस रोग के पीछे श्वेतकणों में लिम्फोसाइट्स के कार्य में आई कमी को माना जाता है  कुछ लोगो का मनाना है कि इस गंभीर रोग के पीछे आहार में परिवर्तन और दवाइयों का अधिक सेवन करना होता है, लेकिन यह धारणा बिलकुल गलत है  इस बीमारी की चपेट में 90 प्रतिशत बच्चे आते है, इसे प्राथमिक नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम कहा जाता है बच्चों में बार-बार सूजन का आना नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का मुख्य कारण है. वहीं अगर वयस्कों की बात करे तो केवल 10 प्रतिशत वयस्क इस बीमारी की चपेट में  है वयस्कों में यह बीमारी संक्रमण, मधुमेह, किसी दवा से हुआ अन्य रोग, एमाइलॉयडोसिस या वंशानुगत के कारण होता है

क्या खाएं नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोगी?

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोगी इस गंभीर बीमारी से आयुर्वेदिक औषधियों से छुटकारा पा सकते है  लेकिन रोगी को आयुर्वेदिक औषधियों के साथ अपने आहार का भी खास ध्यान रखना चाहिए जो भी भोजन हम लेते है उसका सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है आइए जानते है नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी को किस प्रकार के आहार का सेवन करना चाहिए जिससे वह जल्द स्वस्थ हो सके है –

  • नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी को कम कैलोरी वाले आहार का ही सेवन करना चाहिए. कम मात्रा में कैलोरी के सेवन से रोगी का वजन नियंत्रण में रहता है साथ ही किडनी को खाना पचाने में कम मेहनत करनी पडती है
  • अगर रोगी नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के साथ-साथ मधुमेह से भी जूझ रहा है तो उन्हें मधुमेह को नियंत्रण में करने की तरफ खास ध्यान देना चाहिए ऐसे रोगी कम शर्करा वाली चीजों को ही आहार में शामिल करे  आप अपने आहार में ब्रोकली, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, लाल शिमला मिर्च, और टमाटर जैसी चीजों को आहार में शामिल कर सकते है. आहार में किसी भी चीज़ को शामिल करते समय चिकित्सक की सलाह जरुर ले
  • जिन लोगो को नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के चलते गंभीर सूजन का सामना करना पड़ रहा है उन्हें अपने आहार में नमक की मात्रा को जितना हो सके कम करना चाहिए अगर आप नमक को कम नहीं कर पा रहे है तो आप आम नमक के स्थान पर चिकित्सक की सलाह पर सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते है
  • जिन नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोगियों का पेशाब के जरीये अधिक प्रोटीन शरीर से बाहर निकल रहा है उनको अपने आहार में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाना चाहिए प्रोटीन के निष्कासन से रोगी के शरीर में सूजन की समस्या आ सकती है ऐसे रोगी चिकित्सक की सलाह से अपने आहार में मछली, अंडे का सफेद भाग, पनीर और ताजा चिकन जैसी उच्च प्रोटीन वाली चीजों को शामिल कर सकते है
  • नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोगी को कार्बोहाइड्रेट का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए. आप कार्बोहाइड्रेट को नियंत्रण में करने के लिए पालक, ब्रोकली, फूलगोभी, सेब, संतरा, ब्लूबेरी जैसी चीजों को अपने आहार में शामिल कर सकते है
  • अगर रोगी उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे है तो उन्हें नमक का सेवन ना के बराबर करना चाहिए. उच्च रक्तचाप के कारण किडनी पर दबाव पड़ता है. उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझने वाले रोगी अपने आहार में बैंगन, करेला, नारियल पानी, मशरूम, ओट्स, दही जैसी चीजों को अपने आहार में शामिल कर सकते है. आप इसके लिए चिकित्सक की सलाह जरुर लें
  • इस बीमारी के रोगियों को कम वसा वाली चीजों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए  जैसे खीरा और तरबूज
  • नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी मकोय को अपने आहार में शामिल कर सकते है. यह किडनी की सिकुडन को दूर करने में मदद करती है. यह पुरे भारत में बड़ी आसानी से मिल जाती है
  • आप धनिया की पत्तियों के जूस का सेवन कर सकते है  इस जूस के सेवन से निश्चित ही किडनी को आराम मिलता है घनिया किडनी को साफ करने में मदद करता है
  • नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी चिकित्सक की सलाह से सेब के सिरके को अपने आहार में शामिल कर सकते है. सेब का सिरका किडनी को साफ कर उसकी क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं को राहत देने का कार्य करता है
  • ऐसे रोगी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करे. आप लौकी, खीरा, गाजर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, तोरई जैसी सब्जियों को अपने आहार में शामिल कर सकते है. अगर रोगी सब्जियों का सेवन करने में असमर्थ है तो वह सब्जियों को जूस के रूप में अपने आहार में शमिल कर सकते है, लेकिन ध्यान दें, रोगी ताज़ा जूस का ही सेवन करे
  • नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी मुन्नके के पानी का सेवन कर सकते है यह शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है इसके लिए आप रात को सोते समय कुछ मुन्नके को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दे  सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करे यह तासीर में गर्म होता है इसलिए आप एक बार में चार से छह मुन्नके का ही इस्तेमाल करे
  • नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी को खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है. अगर रोगी पानी पीने में असमर्थ है वह इसके जगह ताज़ा फलों और सब्जियों के जूस का सेवन कर सकता है

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा सकता है।आज के समय में कर्मा आयुर्वेदा  प्राचीन आयुर्वेद के जरिए किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।

आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करता आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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