चाय हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, तक़रीबन हर व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ ही करता है। चाय पीने से भले ही हम तरोताजा महसूस करते हैं लेकिन इसके कई नुकसान भी होते है। लेकिन ग्रीन टी हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी मानी जाती है। ग्रीन टी पीने से किडनी स्वस्थ बनी रहती है, लेकिन किडनी खराब होने पर इसे पीने से मनाही कि जाती है। ग्रीन-टी कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे से बनाई जाती है। इस पौधे की पत्तियों का उपयोग न सिर्फ ग्रीन-टी, बल्कि अन्य प्रकार की चाय बनाने में भी किया जाता है। यह ब्लीडिंग को रोकने और घाव को भरने के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है।
ग्रीन टी में क्या-क्या पौषक तत्व पाए जाते हैं?
ग्रीन टी में फ्लेवेनॉल और कैटेकिन मौजूद होता है, जो एक तरह का पॉलीफेनोल (पोषक तत्व) होता है। इसके साथ ग्रीन टी में ईजीसीजी जैसा एलखास यौगिक तत्व मौजूद है, जिसे एपीगैलोकैटेकिन 3 गैलेट (epigallocatechin-3-gallate) के नाम से भी जाना जाता है। ईजीसीजी सबसे शक्तिशाली यौगिक तत्व होता है, यह यौगिक तत्व शरीर में मेटाबोलिक दर को बढ़ाने में और वजन को नियंत्रण करने में मदद करता है। इसके अलावा ग्रीन टी में एमिनो एसिड व एंजाइम, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, आयरन, क्रोमियम, तांबा, जिंक, विटामिन-बी 6, विटामिन-स, प्रोटीन और थियनाइन जैसे पौषक तत्व मिलते हैं। यह सभी तत्व मिलकर आपकी किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
किडनी को इस प्रकार स्वस्थ रखती है ग्रीम टी
अगर आप सिमित मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करते हैं तो यह आपकी किडनी को स्वस्थ बनाने में काफी मददगार साबित हो सकती है। आपने ऊपर ग्रीन टी के पोषक तत्वों के बारे में विस्तार से जाना, यह सभी पोषक तत्व हमारी किडनी के लिए काफी लाभकारी है। यह सीधे रूप से किडनी को स्वस्थ नहीं रखती, बल्कि यह आपको कई ऐसी समस्याओं से दूर रखती है जिनकी वजह से किडनी खराब होने कि आशंका बनी रहती है। ग्रीन टी निम्नलिखित समस्याओं को दूर कर आपकी किडनी को स्वस्थ रखती है –
मधुमेह को काबू करने में सहायक
ग्रीन टी मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद हैं। यह कोशिकाओं को अच्छे से मीठे को हजम करने में मदद करती है, ताकि मधुमेह के प्रभाव को कम किया जा सकें। इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स (polyphenols) तत्व रक्त शर्करा को संतुलित करने में मदद करता है। एक अध्ययन के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पूरे दिन में छह कप या उससे अधिक कप ग्रीन-टी का सेवन करें, तो टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक दिन में 6 कप ग्रीन टी के सेवन से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें। ग्रीन टी, एंजाइम गतिविधि को रोकती है, जिससे रक्त प्रवाह में अवशोषित मीठे की मात्रा कम हो जाती है। ग्रीन टी खासकर के टाइप-2 डायबिटीज़ में ज़्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं। यह इन्सुलिन के निर्माण में भी मददगार है।
उच्च रक्तचाप को काबू करने में सहायक
उच्च रक्तचाप की समस्या होने के पीछे रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा और एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंगएंजाइम (Angiotensin-converting enzyme - ACE) होता है। एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंग एंजाइम किडनी से निकलता है, जो पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन कई कारणों के चलते यह काफी बार शरीर से बाहर नहीं निकल पाता। उच्च रक्तचाप की दवाओं में ACE को कम करने के लिए कैमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। लेकिन ग्रीन टी एक प्राकृतिक ACE अवरोधक है जिससे उच्च रक्तचाप नियंत्रण में आ जाता है।।
रक्त धमनियों की सुजन कम करे
ऑक्सीडेटिव रक्त में वसा को बढ़ाता है, जिससे रक्त धमनियों में सूजन आ जाती है और व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या होने लगती है। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व धमनियों की सूजन को दूर करने में माद करती है। इससे रक्तचाप भी काबू में आने लगता है और किडनी तक ठीक तरह से रक्त पहुँचता रहता है।
सूजन में दिलाए राहत
ग्रीन टी के एंटीओक्सिडेंट तत्व सूजन को कम करने में मदद करते हैं, यह लगभग हर प्रकार की सूजन में राहत दिलाती है। इसमें मौजूद एंटीओक्सिडेंट तत्व हड्डियों में आने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है। कडनी खराब हो जाने के कारण शरीर में सूजन आ जाती है, ऐसे में किडनी रोगी सूजन को कम करने के लिए एलोपैथी दवाओं को छोड़कर ग्रीन टी की मदद से सूजन को कम कर सकते हैं। किडनी रोगी ग्रीन टी के सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
गठिया में राहत दिलाए
ग्रीन टी में मौजूद ईजीसीजी (EGCG) के एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाय जाते हैं, जो गठिया को दूर करने में मदद करता है। ईजीसीजी (EGCG) शरीर में बने छोटे-छोटे मॉलिक्यूल के उत्पादन को सीमित करता है, जो सूजन और गठिया का कारण बनते हैं। इसके साथ ही यह यूरिक एसिड के स्तर को भी कम करने में मदद करता है, जिससे गठिया कि परेशानी नहीं होती। यह तत्व रूमेटोइड गठिया (rheumatoid arthritis) में आई सूजन को कम करने में काफी असरदार है।
हड्डियों को करे मजबूत
ग्रीन टी के अंदर फ्लोराइड प्रचुर मात्रा में मिलता है, यह हड्डियों की शक्ति को बनाएं रखता है। अगर आप ग्रीन टी का नियमित रूप से सेवन करते हैं, तो आपको फ्रैक्चर होने का खतरा काफी कम हो जाता है। ग्रीन टी हड्डियों के घनत्व को बढ़ता है, साथ ही इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। यह हड्डी की निर्माण करने वाली कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है। किडनी हड्डियों को मजबूत करने का कार्य भी करती है, लेकिन किडनी खराब हो जाने के कारण वह अपने इस कार्य को करने में असमर्थ हो जाती है।
क्या ग्रीन टी पीने से कोई नुकसान भी हो सकता है?
अगर आप अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करते हैं तो आपको निम्नलिखित नकारात्मक प्रभावों से जूझना पड़ सकता है –
- ग्रीन टी में ऑक्जेलिक एसिड पाया जाता है, यह किडनी में पथरी बनने का कारण बन सकता है।
- ग्रीन टी का अधिक सेवन आपकी भूख को कम कर सकता है।
- ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा कॉफी की अपेक्षा बहुत कम होती है। लेकिन दिनभर में ग्रीन टी का अत्यधिक सेवन करने से, कई खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है। इससे आप पेट की समस्या, अनिद्रा, उल्टी, दस्त एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो सकते हैं।
- ग्रीन टी जड़ी बूटियों और सप्लीमेंट्स के कार्य को प्रभावित कर सकती है। जिससे कारण उनकी प्रभावहीनता बढ़ जाती है और आपके शरीर में कई प्रकार की दिक्कतें हो सकती है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
एक तरफ जहां अंग्रेजी उपचार में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का सहारा लेना पड़ता है, वहीं आयुर्वेद में केवल जड़ी-बूटियों कि मदद से खराब किडनी को पुनः ठीक किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा ने किडनी क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक इलाज कर उसे नीचे लाया है कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गई थी। इस समय प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा का नेतृत्व कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है।