क्या डायबिटीज के रोगियों में किडनी फेल्योर आम है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या डायबिटीज के रोगियों में किडनी फेल्योर आम है?

किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी रक्त में एकत्रित हुई गंदगी को हटाने और पानी व मिनरल्स के संतुलन को बनाए रखने का काम करती है। शरीर के इस काम में अक्षमता ही किडनी फेल्योर कहलाती है। यह एक गंभीर अवस्था है। डायबिटीज के दुष्परिणाम के चलते किडनी की खराबी आम बात होती जा रही है। 20 से 30% डायबिटीज के मरीजों में किडनी की समस्या अर्थात डायबिटीक नेफ्रोपैथी हो जाती है।

किडनी फेल्योर

किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने के कई कार्य करती है। वह अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब के जरीए बाहर निकालती है। किडनी शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। वह अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती है जिससे शरीर में अम्ल और क्षार का संतुलन बना रहता है। साथ ही किडनी का शरीर में मुख्य कार्य रक्त का शुद्धिकरण करना भी है। जब इस गंभीर बीमारी की वजह से दोनों किडनी अपना कार्य नहीं कर पाती हैं तब किडनी के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है, जिसे किडनी फेल्योर कहा जाता है।

बता दें कि, क्रोनिक किडनी डिजीज होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण डायबिटीज है, जो बेहद गंभीर रूप ले लेता है। डायलिसिस करा रहें किडनी फेल्योर के 100 मरीजों में से लगभग 35 से 40 मरीजों की किडनी खराब होने का कारण डायबिटीज होता है। डायबिटीज की वजह से मरीजों की किडनी पर हुए बुरे असर का समय पर इलाज न किया जाए तो किडनी फेल्योर को रोक पाना मुश्किल हो जाता है।

कैसे होती है किडनी की समस्या

किडनी हर मिनट में 1200 मिली लीटर खून को प्रवाहित कर शुद्ध करती है। डायबिटीज नियंत्रित में न होने पर किडनी से प्रवाहित होकर जाने वाले खून की मात्रा 40% तक बढ़ जाती है। जिसकी वजह से किडनी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर लंबे समय तक किडनी को इस तरह का दबाव छेलना पड़े, तो रक्त का दबाव बढ़ जाता है और किडनी को काफी नुकसान पंहुचता है।

डायबिटीज से किडनी फेल्योर के लक्षण –

  • चेहरे, पैर और आंखों के चारों ओर सूजन
  • भूख कम लगना
  • कमजोरी व थकान महूसस होना
  • बार-बार उल्टी होना
  • कमर व पसलियों के निचले हिस्से में दर्द
  • कम उम्र में उच्च व अनियंत्रित रक्तचाप

अगर आप उपरोक्त लिखे लक्षणों को अपने अंदर या अपने किसी प्रिय के अंदर देखते हैं तो तुरंत कर्मा आयुर्वेदा से संपर्क करें और इस गंभीर बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार शुरू करें।

डायबिटीज के पेशेंट में किडनी फेल्योर के जोखिम –

  • जेनेटिक करणों से
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • ब्लड शुगर नियंत्रित न होने पर
  • डायबिटीज में धूम्रपान न करें
  • कम उम्र में डायबिटीज होना
  • लंबे समय तक डायबिटीज होना

डायबिटीक नेफ्रोपैथी का अर्थ किडनी रोग –

अगर डॉक्टर ने आपको बताया है कि डायबिटीज के कारण आपकी किडनी डैमेज होने लग गई है या डायबिटीक नेफ्रोपैथी के लक्षण नजर आने लग गए हैं तो आपको तुरंत जांच करवानी चाहिए। डायबिटीक नेफ्रोपैथी के शुरूआती दौर में मरीज को कोई खास समस्या नहीं होती है, लेकिन कई बार किडनी के 80% से अधिक खराब होने पर इसके लक्षण नजर आने लगते हैं जैसे – पैरों में सूजन, थकावट महसूस होना, उल्टी होना, भूख न लगना आदि। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को साल में कम से कम एक माइक्रल टेस्ट कराकर माइक्रो एल्बुमिनुरिया पॉजिटिव है या नहीं।

बता दें कि, माइक्रल टेस्ट का पॉजिटिव होना यह बताता है कि डायबिटीज का किडनी पर प्रभाव होना शुरू हो चुका है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो आगे चलकर यह घातक रूप ले लेता है।

किडनी फेल्योर के कारण

किडनी फेल्योर की समस्या के लिए खासतौर पर दूषित खान-पान और वातावरण जिम्मेदार माना जाता है। अधिकतर किडनी में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन करने से भी होता है। साथ ही मधुमेह रोगियों को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती है। साथ ही मधुमेह रोगियों को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना मे ज्यादा होती है। बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण भी किडनी रोग तक का कारण बन सकता है।

किडनी फेल्योर के लक्षण:

किडनी फेल्योर के लक्षण केवल तब दिखाई देते हैं जब बीमारी बढ़ जाती है तो तब शरीर यह संकेत नजर आते हैं।

  • पेशाब में झाग आना
  • मतली और उल्टी आना
  • नींद न आन
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • आंखों में सूजन आना
  • वजन अचानक बढ़ना या घटना
  • पैर और टखने में सूजन
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द होना
  • हिमोग्लोबिन स्तर कम होना

किडनी फेल्योर के लक्षणों को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं जो रोग जड़ से खत्म करने में मदद करती है।

डायबिटीक का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा, आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है जो एक चमत्कार के रूप में साबित हुआ है। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। आयुर्वेद किडनी की समस्याओं को ठीक करने में सफल रहा है। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ आहार चार्ट और योग का पालन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफतापूर्वक 35 हजार से भीव ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

आयुर्वेदा 5 हजार वर्ष पहले भारत में शुरू हुआ था। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति लंबे जीवन का विज्ञान है और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली है जिसमें औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों शामिल है। प्राचीन काल से ही आयुर्वेद ने दुनिया भर की मानव जाति के संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक प्रणाली है जो आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ को सिमित करने पर निर्भर करता है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण, कासनी और शिरीष जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि किडनी मरीजों के स्वस्थ को ठीक करने में बहुत सहायता करती है। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है।

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