मूली एक ऐसी एक सब्जी है जिसे आप आहार में तो शामिल कर सकते हो साथ ही इसे दवा के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है। मूली सलाद का एक आम हिस्सा है, सर्दियों में मूली के बिना सलाद अधूरी-सी लगती है। मूली एक जड़ वाली सब्जी है, यह ब्रासीसियाई के परिवार से संबंध रखती है। मूली की दुनिया भर में कई किस्मे पाई जाती है, इसकी हर प्रजाति में रंग, आकार और वजन की भिन्नता पाई जाती है। भिन्न-भिन्न प्रजाति होने के बावजूद भी इसके पोषक तत्वों में कोई भिन्नता नहीं होती, मूली अपने हर एक रूप में अपने पोषक तत्वों को ज्यों के त्यों बनाएं रखती है।
मूली के अंदर क्या-क्या पोषक तत्व होते हैं?
मूली के रोम-रोम में औषधीय गुण समाएं हुए है, इसके पत्ते, बीज, तेल और खुद मूली कई रोगों में उपचार के लिए प्रयोग की जाती है। पोषक तत्वों की बात करे तो मूली में आपको पोटेशियम, आयरन, फाइबर, प्रोटीन, मैगनीज, कैल्शियम और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अलावा इसमें आपको फोलेट भी अच्छी मात्रा में मिलता है। मूली की खास बात यह है कि इसमें कैलोरी और कोलेस्ट्रोल बहुत ही कम मत्रा में मिलते हैं, जिसे आप ना के बराबर मान सकते हैं। यह सभी पोषक तत्व मिलकर आपके शरीर को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
मूली किडनी को ऐसे स्वस्थ रखती है
आपने ऊपर मूली के पोषक तत्वों के बारे में विस्तार से जाना, जिससे आपको इससे आपको अंदाजा हो गया होगा कि मूली हमारे शरीर के लिए कितनी उपयोगी है। अपने इन्हीं पोषक तत्वों की मदद से मूली हमारी किडनी को स्वस्थ रखने में बहुत योगदान देती है। मूली के नियमित सेवन से आपकी किडनी स्वस्थ बनी रहती है। अगर आप मूली को अपने आहार में अपनानाते हैं तो आप कई ऐसे रोगों से बचे रहते है जिससे आपकी किडनी खराब होने का खतरा रहता है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिहाज से इसे उत्तम आहार की श्रेणी में रखा जाता है। चलिए जानते हैं आखिर कैसे मूली किडनी को खराब होने से बचाती है –
किडनी को स्वस्थ रखे
मूली किडनी को स्वस्थ रखने के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। मूली का रस मूत्रवर्धक होता है, जिससे किडनी की सफाई अच्छे से हो जाती है। किडनी की सफाई होने के कारण किडनी को किसी प्रकार का संक्रमण होने का खतरा नहीं रहता। मूली विशेषकर आपको मूत्र प्रणाली संक्रमण से होने वाले किडनी रोगों से बचाती है। मूत्र संबंधित रोगों के कारण से ही सबसे ज्यादा किडनी रोग होता है।
मूत्र संक्रमण
मूत्र संक्रमण कई रोगों को जन्म दे सकता है, जिसमे किडनी फेल्योर सबसे खतरनाक होता है। मूली का जूस नियमित पीने से आप तमाम मूत्र विकारों से बचे रहते हैं। मूत्र संक्रमण होने पर मूली का जूस संक्रमित जगह पर जलन और सूजन को कम करता है। साथ ही पेशाब की मात्रा को भी बढ़ता है।
पाचन सुधारे
खराब पाचन सुधारने के लिए मूली की सलाद का रोज सेवन करे। इसके अंदर फाइबर अच्छी मात्रा में मिलता है जो कि खाने को ठीक से पचाने में मदद करता है। उच्च फाइबर कब्ज से छुटकारा दिलाने में मदद करता है, जिससे पेट में खतरनाक गैस नहीं बनती। मूली के सेवन से ढीली हुई आतों को मजबूती मिलती है, इसके साथ ही इसके सेवन से दस्त में भी आराम मिलता है।
उच्च रक्तचाप को करे नियंत्रित
उच्च रक्तचाप की समस्या आज के समय में एक आम बात होती जा रही है। वर्तमान समय में हर दूसरा व्यक्ति उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहा है। अगर आप भी उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको अपने आहार में मूली को जरुर शामिल करना चाहिए। इसके अंदर अच्छी मात्रा में पोटेशियम मिलता है जो कि रक्तचाप को नियंत्रित करने मे सहायक होता है। पोटेशियम शरीर से अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकल कर आपकी रक्त वाहिकाओं को शांत करता है, साथ ही रक्त धमनियों को फैलने में मदद करता है। जिससे शरीर में रक्त संचार बिना किसी रुकावट के होता है, इस क्रिया से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
मधुमेह काबू करे
मधुमेह की बीमारी व्यक्ति के जीवन को एक दम बदल कर रख देती है। एक बार मधुमेह का रोग लग जाए तो इससे छुटकारा पाना बहुत ही मुश्किल होता है। लेकिन आप मूली को अपने आहार में शमिल कर इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। मूली के पोषक तत्व इन्सुलिन के उत्पादन को बढाने में सहायक होते हैं, जो रक्त शर्करा को कम करते हैं। इसके अलावा इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स की मात्रा निम्न होती है जो कि रक्त शर्करा को बढने से रोकता है। इसके साथ ही मूली के पोषक तत्व रक्त शर्करा को शरीर में अवशोषित होने से भी रोकते हैं।
मूली खाने के दौरान किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
मूली खाने से कई रोगों से आराम से बचा जा सकता है, लेकिन मूली के सेवन से कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखे जाते हैं। मूली की तासीर गर्म होती है, जिसके कारण अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप मूली को सलाद यानि कच्चा खाना चाहते हैं, तो आपको इसका सेवन दोपहर मे ही करना चाहिए, इसके अलावा इसके सेवन के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए :-
- दूध के साथ मूली का सेवन कभी ना करे। मूली और दूध के सेवन के बीच कम से कम दो घंटों का अन्तराल जरुर रखे।
- मछली और मूली का एक साथ सेवन करना हानिकारक होता है।
- मूली एक प्राकृतिक मूत्र वर्धक है जो कि किडनी की सफाई करने में सहायक है। यदि आप मूली को अधिक मात्रा में सेवन करेंगे, तो मूत्र में वृधि होने के कारण शरीर में पानी की कमी हो जायगी। शरीर में पानी की कमी किडनी के लिए नुकसानदेह होता है। इसलिए हमेशा कम मात्रा में ही मूली का सेवन करे।
- अधिक मूली खाने से व्यक्ति की भूख में कमी आ सकती है।
- मूली एक जगह जहां सूजन और दर्द से राहत देती है, वहीं इस समस्या को उत्पन्न भी कर सकती है। अगर आप अधिक मात्रा में मूली का सेवन करते हैं, तो आपके गले और मूंह में तेज़ दर्द की समस्या हो सकती है और शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन भी आ सकती है।
- कुछ तर्को के अनुसार काले चने के साथ मूली खाना खतरनाक समस्याओं को पैदा कर सकता है।
- अगर आपको थायराइड की समस्या है तो आपको कच्ची मूली का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि मूली के अंदर “गोइट्रोजन” (Goitrogen) नाम का एक यौगिक तत्व मिलता है जो थायराइड हार्मोन को हानि पहुंचा सकता है। जिससे थायराइड की समस्या और पैदा हो सकती है। इस तत्व को पका कर खत्म किया जा सकता है। इसलिए अगर आप थायराइड के रोगी है तो कच्ची मूली का सेवन ना करे।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेद में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि आयुर्वेदा में किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही विफल हुई किडनी का सफल इलाज किया जाता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी रोगियों का इलाज का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही आपको बता दें कि डॉ. पुनीत धवन ने 48 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।