किडनी क्या हैं?
स्वस्थ किडनी रक्त में घुले हुए अपशिष्ट पदार्थो और जल की अत्यधिक मात्रा को शरीर से पेशाब के पूर में बाहर निकालने का काम करती है। जब किडनी रक्त में घुले हुए अपशिष्ट पदार्थो को शरीर से बाहर निकालने में असफल होने लगती हैं, तो उसको जांचने के लिए कुछ खून के टेस्ट करने पड़ते हैं और कुछ पेशाब के टेस्ट करने पड़ते हैं। “क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार”
सीरम क्रिएटिनिन
क्रिएटिनिन एक प्रकार का वेस्ट प्रोडक्ट होता हैं, जो खाने में ज्यादा मीट प्रोटीन लेने से या फिर शरीर की मांसपेशियों की टूट फुट होने से बढ़ता हैं। साथ ही जब मेटाबोलिज्म प्रक्रिया द्वारा भोजन उर्जा में बदलता हैं, तब एक उन्य पदार्थ यानी क्रिएटिन का निर्माण होता है। ये क्रिएटिन टूट कर क्रिएटिनिन में बदल जाता हैं। इसके बाद किडनी इस क्रिएटिनिन को रक्त में छान कर यूरिन के जरिए बाहर निकाल देते हैं। अगर आपकी किडनी खराब हो गई है और वे ठीक से काम नहीं कर रहीं, तो क्रिएटिनिन का मात्रा पेशाब में खून में ज्यादा हो जाती है। “क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार”
क्रिएटिनिन का स्तर
ब्लड क्रिएटिनिन का स्तर बताता हैं कि, आपकी किडनी कितनी अच्छी तरह से कार्य कर रही हैं। साथ ही उच्च स्तर का अर्थ है कि आपकी किडनी उस तरह से कार्य नहीं कर रहीं हैं, जैसे उन्हें करना चाहिए। खून में क्रिएटिनिन की मात्रा आंशिक रूप से आप के शरीर में उपस्थित पेशीय उत्तको या मसल टिश्यू पर निर्भर करती हैं। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में क्रिएटिनिन स्तर अधिक होते हैं। “क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार”
- पुरुषों में:6–1.2 mg/dL
- महिलाओं में:5–1.1 mg/dL
- किशोरों में:5–1.0 mg/dL
- बच्चों में:3–0.7 mg/dL
हाई क्रिएटिनिन रक्त स्तर निम्न कारणों से हो सकते हैं:
- गंभीर रूप से किडनियों की खराबी या किडनी की पुरानी बीमारी। किडनी की ये जीवन के लिए घातक खराबी संक्रमण, मानसिक झटके, कैंसर या किडनियों में रक्त के कम बहाव के कारण हो सकती है
- शरीर में पानी की कमी
- मांसपेशी की चोट या ऐसी स्थिति होना, जिसमें क्रश चोट, जलना, मांसपेशीय दुर्वीकास, मांसपेशियों में गंभीर चोट, पॉलीमायोसिटिस और अधिकता में किया गया व्यायाम जैसे कारण शामिल हैं
मानसिक तौर पर आघात, रक्तचाप कम होनै घातक रक्त स्त्राव और घातक संक्रमण भी इसके बड़े कारण हैं। “क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार”
क्रिएटिनिन के लक्षण:
किडनी रोग के प्रारंभिक दौर में लक्षण व संकेत दिखाई नहीं देते है। किडनी रोग तब तक स्पष्ट नहीं हो सकता हैं जब तक आपकी किडनी की कार्यप्रणाली कमजोर न हो जाए। किडनी रोग के धीमे प्रगतिशील लक्षण मस्तिष्क, थकान, कमजोरी, उल्टी, शोफ, पेशाब करते समय जलन, मांसपेशियों की ऐंठन, पेट में दर्द और सांस लेने में परेशानी, हाईपरटेंशन, त्वचा में खुजली आदि।
क्रिएटिनिन के आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेदिक चिकित्सकों की माने तो ये एक या आधिक किडनी रोगों के डायग्नोस के बाद भी जिंदगी हैं। अगर रोग की पहचान पहले ही हो जाती हैं तो इसे वैकल्पिक उपचारों से ठीक किया जा सकता हैं। साथ ही डॉक्टर्स का ये भी कहना है कि, मरीज इन वैकल्पिक उपचारों से ठीक से उपयोग कर सकते हैं और महंगे डायलिसिस से बच सकते हैं। जो मरीज डायलिसिस के बिना अपनी किडनी फंक्शन को बनाए रखना चाहते हैं हर्बल चिकित्सक उनके स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। साथ ही प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके वो बीमार व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकते हैं और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान से रोक सकते हैं। “क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार”
कर्मा आयुर्वेदा को एशिया में बेहतरीन स्वस्थ केंद्रों में से एक माना जाता है। यह धवन परिवार द्वारा 1937 में शुरू किया गया था और उसके बाद से पूरे हर्बल विधियों वाले सभी प्रकार की किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है। वह दवाइयों के साथ अपने रोगियों के लिए एक व्यक्तिगत डाइट चार्ट की भी सलाह देते हैं। केंद्र हर वर्ष हजारों किडनी रोगियों के साथ सफलतापूर्वक इलाज कर रहा है। “क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार”