क्रोनिक किडनी डिजीज के कारण और निवारण

अल्कोहोल और किडनी रोग

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आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके दवाएं बनाई जाती हैं। जो रोग को पूरी तरह से ठीक करने में लिए बेहतरीन माना गया हैं। भारत में प्रसिद्ध आयुर्वेदिक केंद्र में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। वे 1937 के बाद दुनिया भर के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इसके नेतृत्व में एक अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन हैं। वह एलोपैथी उपचार के अभ्यास पर विश्वास नहीं करते हैं।

वह मरीजों को जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तकनीकों के इलाज पर विश्वास रखते हैं। साथ ही क्रोनिक किडनी डिजीज के लिए संशोधित जोखिम कारक का इलाज करते हैं। डॉ. पुनीत धवन ने कर्मा आयुर्वेदा में 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के बिना।

किडनी की बीमारी

किडनी के रोगों में क्रोनिक किडनी डिजीज एक गंभीर रोग हैं, क्योंकि वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में इस रोग को खत्म करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं। पिछले कई सालों से इस रोग के मरीजों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही हैं। दस में से एक व्यक्ति को किडनी की बीमारी होती हैं। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, पथरी इत्यादि रोगों की बढ़ती संख्या इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज क्या हैं?

किडनी डिजीज में किडनी खराब होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती हैं, जो महिनों या सालों तक चलती हैं। सीरम क्रिएटिनिन का स्तर अगर धीरे-धीरे बढ़ता हैं तो किडनी की कार्यक्षमता की इस रक्त जांच से गणना की जा सकती हैं। eGFR नामक जांच से क्रोनिक किडनी डिजीज के स्तर को हल्के माध्यम या गंभीर रूप में वर्गीकृत किया जाता हैं।

साथ ही लंबे समय के बाद मरीजों की दोनों किडनी सिकुड कर एकदम छोटी हो जाती हैं और काम करना बंद कर देती हैं। जिसे किसी भी दवा, ऑपरेशन अथवा डायलिसिस से ठीक नहीं किया जा सकता हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज के प्रांरभिक अवस्था में किडनी द्वारा कुछ हद तक कार्य संपादित होता हैं और अंतिम अवस्था में ही किडनी पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देती हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज के आयुर्वेदिक उपचार ,मरीज का शुरूआती स्टेज उचित दवा देकर तथा खाने में परहेज से किया जा सकता हैं।

क्रोनिक किडनी रोग   कई महीनों तक होने वाली की क्रिया की प्रगतिशील नुकसान है और अंतरालीय फाइब्रोसिस के साथ किडनी की वास्तुकाल के प्रतिस्थापन द्वारा विशेषित हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज के आधार पर पांच स्टेजों में या प्रोटीनुरिया या ग्लोम्युलर निस्पंदन पर (जीएफआर) 1 में कोई विशिष्ट लक्षण नहीं है और 5 स्टेज किडनी फेल्योर के साथ हल्का होता हैं।

क्रोनिक किडनी रोग के कारण 

विभिन्न कारणों (जोखिम कारक कहा जाता हैं) जो क्रोनिक किडनी रोगों की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं:

  • डायबिटीज, मेलिटस हाइपरलिपिडेमिया (रक्त में अतिरिक्त वसा प्रोटीन)
  • उच्च रक्तचाप
  • किडनी की बीमारी का परिवारिक इतिहास
  • वृद्धावस्था, धुम्रपान
  • स्व – प्रतिरक्षित रोग
  • किडनी की बीमारी के पिछले एपिसोड

क्रोनिक किडनी रोगों के प्रत्यक्ष कारण हैं

  • डायबिटीज नेफ्रोपैथी
  • अतिसंवेदनशील नेफ्रोपैथी
  • ग्लोमेरूलोपेफ्राइटिस (किडनी में ग्लोमेरूलस की सूजन)
  • रेनो-संवहनी रोग (इस्किमिक नेफ्रोपैथीः)
  • पॉलिसिस्टिक किडनी रोग
  • एचआईवी से जुडे नेफ्रोपैथी
  • प्रत्यारोपण एलोग्राफ्ट फेल्योर

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