बचपन से ही हम सभी गाजर के गुणों से भली भांति वाकिफ़ है। बाकि सभी सब्जियों के मुकाबले गाजर के अंदर बहुत से पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखते है। ठण्ड में अच्छे से गाजर का सेवन करने से आप रोगमुक्त रह सकते है। जिस प्रकार सेब खाकर डॉक्टर को दूर रखने की बात कही जाती है ठीक उसी प्रकार गाजर खाकर भी डॉक्टर को अपने से दूर रखा जा सकता है। आपको बता दें की गाजर दो प्रकार की पाई जाती है। पहली केसरी रंग की गाजर जिसे भारत में विदेशी गाजर कहा जाता है और दूसरी लाल और बैंगनी गाजर जिसे काली गाजर भी कहा जाता है। विदेशी गाजर आकर में छोटी है वहीं देसी गाजर आकर में लम्बी और छोटी दोनों प्रकार की होती है।
गाजर के पोषक तत्व :-
गाजर का हलवा खाना तो सभी को पसंद है लेकिन क्या आपको पता है कि गाजर के अंदर कौन-कौन से पोषक तत्व मिलते हैं? तो हम आपको बता देते है की गाजर के अंदर आपको विटामिन्स और खनिज अच्छी मात्रा में मिलते हैं। विटामिन्स में आपको विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन के मिलता है। खनिज की बात करे तो गाजर में पोटेशियम, फोलेट, आयरन, जिंक, तांबा, मैगनीज, और फाइबर भी मिलता है।
रोगों के उपचार में गाजर के फायदे :-
गाजर खाने के फायदों के बारे में तो हम बचपन से ही बताया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि गाजर के सेवन से हमारी किडनी स्वस्थ और मजबूत रहती है। किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जिसके खराब हो जाने से शरीर में संतुलन बिगड़ जाता है। गाजर खाने से आप बहुत से ऐसे रोगों से बचे रहते हैं जिनके हो जाने से किडनी ख़राब हो जाती है। अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते है तो गाजर को अपने आहार में जरूर में शामिल करें। निम्नलिखित वह सभी बीमरियां है जिनके होने से किडनी बड़ी आसानी से खराब होने लगती है–
खून साफ करे –
खून साफ करने के लिए गाजर सबसे उत्तम सब्जी है। अगर आप नियमित रूप से गाजर के जूस का सेवन करे तो आपका खून तेजी से साफ होगा। किडनी का विशेष कार्य खून साफ करना होता है। किडनी खराब हो जाने पर वह कार्य करने में असमर्थ हो जाती है। जिसके कारण रोगी को डायलिसिस करवाना पड़ता है।
पाचन दुरुस्त करें–
अगर आपका पाचन खराब रहता है तो आपको अपने आहार में गाजर को जरूर शामिल करना चाहिए। इसके अंदर फाइबर उच्च मात्रा में मिलता है जो भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है। फाइबर ना केवल भोजन को पचाने में मदद करता है बल्कि आपकी आँतों को बिना रुकावट काम करने में मदद करता है। फाइबर का सेवन करने से आपको कब्ज, गैस, दस्त, और पेट फूलने जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।
मधुमेह से छुटकारा–
जो लोग मधुमेह से ग्रस्त है उन लोगो को गाजर का सेवन जरूर करना चाहिए। गाजर में प्राकृतिक मिठास होती है जो शरीर में बड़ी आसानी से अवशोषित हो जाती है। गाजर भले ही उच्च ग्लाइसेमिक सूचकांक हो लेकिन इसका ग्लाइसेमिक लोड बहुत ही कम होता है। इसके अलावा यह रक्त शर्करा को भी कम करने में मदद करता है। गाजर में मौजूद पोषक तत्व इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही गाजर में मौजूद क्षारीय तत्व भी रक्त शर्करा को कम करने में मदद करते है। मधुमेह रोगी को अपने आहार में गाजर को किसी न किसी रूप में जरूर शामिल करना चाहिए।
गाजर कम करे कोलेस्ट्रोल–
अगर आप अपना बढ़ा हुआ खराब कोलेस्ट्रोल कम करना चाहते है तो आप रोज सोने से पहले एक गिलास गाजर के जूस का सेवन जरूर करे। इसके अंदर पोटेशियम और फाइबर होता है जो शरीर से खराब कोलेस्ट्रोल को कम करने सहायक होता है।
दिल को रखे स्वस्थ –
गाजर के सेवन से आपका दिल हमेशा स्वस्थ और जवां रहता है। गाजर के नियमित सेवन से आपका रक्त संचार बढ़ता है जिससे खराब कोलेस्ट्रोल कम होता है। फाइबर वसा को तो कम करता ही है, इसके अलावा यह रक्त वाहिकाओं में जमे कोलेस्ट्रोल को हटाने में भी मदद करता है। जिससे दिल तक रक्त सुचारू रूप से पहुंचता है। वहीं पोटेशियम उच्च रक्तचाप को काबू में करता है और रक्त प्रवाह को सुचारू बनाता है।
उच्च रक्तचाप को करे काबू –
गाजर के अंदर अच्छी मात्रा में पोटेशियम होता है जो उच्च रक्तचाप को काबू करने में मदद करता है। पोटेशियम आपकी रक्त धमनियों और रक्त नलिकाओं को शांत करने में मदद करता है। जिससे रक्त प्रवाह सुचारू रूप से होता है। यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। रक्तचाप नियंत्रण में रहने से दिल से जुडी बिमारियों से छुटकारा मिलता है साथ ही किडनी भी स्वस्थ रहती है।
हड्डियों को करें मजबूत –
शरीर की वृद्धि के लिए हड्डियों की मजबूती बहुत जरूरी होती है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए विटामिन सी और कैल्शियम की जरूरत पड़ती है और यह दोनों तत्व आपको गाजर में भरपूर मात्रा में मिलते हैं। महिलाओं और बच्चों को हड्डियां मजबूत करने के लिए गाजर को अपने आहार में किसी न किसी रूप में शमिल जरूर करना चाहिए।
मूत्र विकार दूर करे –
अगर आपको मूत्र संबंधित कोई समस्या है तो आपको गाजर का जूस पीना शुरू कर देना चाहिए। गाजर के जूस से पेशाब खुल कर बिना किसी रुकावट के आता है। अगर आप गाजर के हलवे का नियमित रूप से सेवन करते हैं तो आपके पेशाब में फास्फोरस और कैल्शियम जैसे खनिज तत्व आने बंद हो जाएंगे। आपको बता दें कि पेशाब में खनिज तत्व का आना किडनी खराब होने का एक संकेत है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं –
गाजर के अंदर विटामिन ए और विटामिन सी प्रचुर में मिलता है। यह दोनों तत्व आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढने में मदद करता है।
गाजर खाने के नुकसान :-
गाजर को सुपर फूड की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि यह कई रोगों के उपचार में सहायक है। लेकिन गाजर खाने के कुछ नुक्सान भी देखे जाते है। अधिक मात्रा में और कुछ खास स्थितियों में गाजर खाने के नकारात्मक प्रभाव हो सकते है जो निम्नलिखित है। इसलिए गाजर खाने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें–
- गाजर बीटा– कैरोटीन का अच्छा स्रोत है। यह तत्व शरीर के लिए महत्वपूर्ण होता है लेकिन अधिक मात्रा में इसके सेवन से शरीर में नुकसान हो सकता है। आपके शरीर का रंग फिका पड़ सकता है, खून की कमी हो सकती है या फिर सर्दी खासी भी हो सकती है।
- गाजर खाने से कई लोगो को संक्रमण हो सकता है। इसलिए अगर आप किसी अज्ञात संक्रमण से जूझ रहे है तो इसका सेवन कम मात्रा में ही करें।
- अगर आप मधुमेह के रोगी है तो गाजर को बिना उबाले ना खाए, क्योंकि गाजर में चीनी की मात्रा पहले से ही उच्च होती है जिससे रक्त मधुमेह बढ़ सकता है।
- गाजर में आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, जैसे खनिजो का अच्छा स्रोत है। लेकिन अधिक मात्रा में इन खनिजो के उपभोग से आपका पाचन तन्त्र खराब हो सकता है। इसलिए गाजर को किसी भी रूप में आहार में शामिल करें, लेकिन उसकी मात्रा को सीमित रखें। अधिक मात्रा में गाजर खाने से आपको पेट फूलने, गैस, कब्ज जैसी समस्यों का सामना करना पड़ सकता है।
- अधिक मात्रा में गाजर का जूस पीने से स्तन के दूध का स्वाद बदल सकता है, साथ ही पतलापन भी आता है। इसलिए स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गाजर के जूस का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद की मदद से हम आसानी से हर जानलेवा बीमारी से निजात पा सकते है। आयुर्वेद खराब हुई किडनी को पुनः ठीक करने की भी ताक़त रखता है। “कर्मा आयुर्वेदा” प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। हम आयुर्वेद के जरिए किडनी फेल्योर का इलाज कर सकते है। कर्मा आयुर्वेदा पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र हो सकते है, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा में ऐसा क्या खास है? आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।