गुड़ को किडनी रोगियों के लिए अच्छा क्यों नहीं माना जाता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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गुड़ को किडनी रोगियों के लिए अच्छा क्यों नहीं माना जाता है?

गन्ने से तैयार किए जाने वाला गुड़ को चीनी का एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है। वैसे तो चीनी और गुड़ दोनों में ही समान मात्रा में कैलोरी मौजूद होती है, लेकिन गुड़ में शरीर के लिए जरूरी कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं।

गुड़ सुनहरे भूरे रंग और गहरे भूरे रंग का होता है। वैसे कहा जाता है कि गुड़ का रंग जितना अधिक गहरा होगा, उतना ही वह स्वाद में अच्छा होता है। दक्षिण और दक्षिण – पूर्व एशिया के कई देशों में गुड़ का सेवन किया जाता है। साथ ही नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में स्थानीय व्यंजनों में गुड़ का बहुत इस्तेमाल किया जाता है।

गुड़ के फायदे

गुड़ का इस्तेमाल आयुर्वेद में बहुत पुराने समय से दवा के रूप में किया जा रहा है। आयुर्वेद में गुड़ के जितने गुण बताए गए हैं उनके अनुसार यह मीठे का सबसे सुरक्षित और बेहतर विकल्प है। इसमें कई ऐसे एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाते हैं, इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जैसे- पोटेशियम, केल्शियम और आयरन।

जिस तरह व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस हेल्दी होते हैं, उसी तरह चीनी की जगह गुड़ स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। साथ ही गुड़ में अधिक गुण होने के बावजूद डायबिटीज के रोग में इसे चीनी की तरह नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद में डायबिटीज के मरीजों को लिए गुड़ सुरक्षित नहीं माना गया है।

पाचन के लिए

गुड़ में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो पाचन क्रिया में मदद करता है। जब किसी इंसान को अपनी पाचन क्रिया मजबूत होती है तो उसका वजन सामान्य रूप से बढ़ता है, क्योंकि आमतौर पर अपच और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं के कारण लोगों का वजन घटने लगता है। खाना सही से नहीं पचने की वजह से वह शरीर को नहीं लग पाता है। पाचन संबंधी समस्याएं होने पर आप कुछ भी खाएं आपके स्वास्थ्य में सुधार जल्दी नहीं होता। गुड़ पाचन तंत्र को शुद्ध करता है और पाचन प्रक्रिया स्वस्थ करता है।

शरीर में रक्त की कमी को दूर करें

गुड़ में उपस्थित पोषक तत्वों में आयरन और फोलेट अच्छी मात्रा में होते हैं। यह तत्व शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की सामान्य मात्रा बनाए रखने में मदद करते हैं। यह एनीमिया को रोकने में मदद करते हैं। जिन लोगों को आयरन की कमी होती है उन लोगों के लिए गुड़ का सेवन करना अधिक फायदेमंद होता है। एनीमिया की वजह से हमारी किडनी पर दबाव पड़ता है जिससे हमारे किडनी में खराबी होने लगती है।

सांस की समस्या

रोज़ाना गुड़ का सेवन ब्रोन्काइटिस (bronchitis) और अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारी को रोकने में मदद करता है। अगर तिल के बीज के साथ सही मात्रा में गुड़ का सेवन किया जाए, तो सांस प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। गुड़ शरीर के ताप को विनियमित करने में मदद करता है, जो कि अस्थमा रोगी के लिए लाभकारी होता है।

शरीर में ऊर्जा बनाएं रखें

चीनी और गुड़ दोनों मीठे होने की वजह से यह हमें शक्ति देते हैं। लेकिन शक्कर या चीनी की अपेक्षा में गुड़ हमें अधिक उर्जा प्रदान करता है, क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट अधिक होता है, जो हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। रक्त गुड़ को आसानी से सोख लेता है, जिससे हमें तुरंत ही उर्जा प्राप्त होने लगती है और शरीर की थकावट और कमजोरी दूर हो जाती है।

वजन को घटाएं

गुड़ वजन को कम करने में मदद करता है। गुड़ में पोटेशियम अच्छी मात्रा में होता है। यह एक खनिज पदार्थ है। पोटेशियम इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को अनियंत्रित होने वाले खतरे को कम करता है साथ ही यह पानी के अवशोषण को कम करने में सहायक है जो कि आपके वजन बढ़ने का प्रमुख कारण बनता है। पोटेशियम मांसपेशियों कोशिकाओं के निर्माण और मेटाबोलिज्म में वृद्धि करता है। जिससे आपका वजन कम होता है।

यूरिन समस्या

गुड़ में मूत्रवर्धक विशेषता होती है। यह पेशाब को उतरने और उस में हो रही कठिनायों को कम करने में मदद करता है। यह मूत्राशय की सूजन को कम करने और यूरिन पास करने में मदद करता है।

ह्रदय रोग के लिए

आप नियमित रूप से गुड़ का सेवन करें, तो आप ह्रदय रोग का जोखिम कम कर सकते हैं। गुड़ खाना न सिर्फ आपको दिल और किडनी की बीमारियों से बचाता है, बल्कि आपको कई अन्य समस्याओं से भी दूर रखता है।

किडनी रोगियों के लिए गुड़ के नुकसान

गुड़ में पोटेशियम का उच्च स्तर होता है। 7.0 mEq / L से ऊपर पोटेशियम का स्तर खतरनाक होने के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। अगर आपको किडनी की बीमारी है तो पोटेशियम का सामान्य स्तर बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। यह उपचार के 50 प्रतिशत आहार पर निर्भर करता है। किडनी रोगियों को पोटेशियम में उच्च खाद्य सामग्री से बचना चाहिए। शुगर, फूड्य, गुड़ और ब्राउन शुगर से परहेज करके किडनी की बीमारी के साथ मधुमेह को कंट्रोल में रख सकते हैं। साथ ही यह आपके शुगर के स्तर को कम करने और खून में अपशिष्ट जल की मात्रा को कम करने में मदद करता है। गुड़ खून में पोटेशियम के स्तर को बढ़ाता है। अधिक गुड़ खाने से किडनी की बीमारियों की जटिलताएं एक गंभीर रूप ले सकती हैं।

लेकिन किडनी के रोगियों के लिए एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि वह अधिक नमक के सेवन से भी बचें। सभी किडनी रोगियों को सोडियम या नमक पदार्थॉं के प्रभाव से बचना चाहिए। साथ ही शरीर में सोडियम और पोटेशियम की अधिक मात्रा के कारण थकान, अनियमित धड़कन या मतली जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।

किडनी फेल्योर के लक्षण:

  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • थकावट और कमजोरी महसूस होना
  • गर्मी में भी ठंड लगना
  • मुंह से बदबू आना
  • मुंह का स्वाद खराब होना
  • सांस लेने में परेशानी होना
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना
  • सूखी त्वचा और खुजली होना

यदि आप भी ऊपर बताएं गए लक्षणों से लंबे समय से जूझ रहे हैं तो इसे अनदेखा ना करें। यह आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। अच्छे स्वास्थ्य में शरीर के सभी अंगों को सुचारू संचालन बेहद जरूरी है। किडनी हमारे शरीर में दिन रात काम करती है और हमें स्वस्थ रखती है। इसलिए, उपरोक्त लक्षणों को अनदेखा न करें और इनकी पहचान होने पर तुरंत ही कर्मा आयुर्वेदा से सम्पर्क करें।

आयुर्वेदिक किडनी उपचार

आयुर्वेद लगभग 5 हजार वर्ष पहले भारत में शुरू हुआ था। जो काफी लंबे समय का विज्ञान है और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली है जिसमें औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों के गंभीर विचार शामिल है। आयुर्वेद ने दुनिया भर की मानव जाति का संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक विकास किया है। यह चिकित्सा की अनुपम और अभिन्न शाखा है। साथ ही यह प्रणाली आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त के लिए वात, पित्त और कफ का नियंत्रित करने पर निर्भर करती है।

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के बेस्ट आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्रो में से एक है, जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है, वो भी बिना किसी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के। साथ ही यहां किडनी की आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग का पालन करने सलाह दी जाती है। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के साथ-साथ एशिया के भी बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में आता है।

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