गोंडा में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
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हमारे शरीर के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। यह शरीर में बनने वाली कोशिकाओं के निर्माण में एक अहम भूमिका निभाता है। प्रोटीन बच्चे, बूढ़े और जवान हर उम्र वर्ग के लिए जरूरी है। गर्भवस्था के दौरान महिलों को प्रोटीन की बहुत जरूरत होती है। प्रोटीन के बिना  हम अपने रोजमर्रा के काम भी पूरे नहीं कर सकते। प्रोटीन की भूमिका शरीर की टूट-फूट की मरम्मत करना होता है। यह शरीर में कोशिकाओं बनाने में मदद करता है साथ ही इससे टूटे हुए तन्तुओं का पुनर्निर्माण होता है। शरीर के निर्माण में यह अपनी अहम भूमिका निभाता है व पाचक रसों का निर्माण करता है।

प्रोटीन में नाइट्रोजन अधिक मात्रा में रहता है। इसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, गंधक तथा फास्फोरस भी होता है। प्रोटीन दो प्रकार का होता है एक वह जो  पशुओं से प्राप्त किया जाता है दूसरा वह जो  फल, सब्जियों तथा अनाज आदि से मिलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति किलोग्राम वजन के अनुपात से मनुष्य को एक ग्राम प्रोटीन की आवश्कता होती हैं अर्थात् यदि वजन 50 किलो है तो रोज 50 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

लेकिन, अगर आप रोजाना भोजन में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन का सेवन करते है तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है। अधिक मात्रा में प्रोटीन लेने का सीधा असर आपकी किडनी पर पड़ता है। क्योकि जब हम अधिक मात्रा में प्रोटीन लेते है तो उसे पचने के लिए हमारी किडनी को अपनी क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ता है। । आम सी बात है जब किसी मशीन के ऊपर जरूरत से ज्यादा प्रेशर डाला जाए तो वह ख़राब यानि फेल हो जाती है। ठीक इसी प्रकार हमारी किडनी भी ज्यादा काम करने के कारण खराब हो जाती है।

हमें प्रोटीन कई जगह से प्राप्त होता है। इसके आमतौर पर दो स्रोत होते है। मासांहार और दालें व सब्जियां। हमें सबसे ज्यादा प्रोटीन रेड मीट से मिलता है और प्रोटीन पाउडर से। जिम जाने वाले सभी युवा जल्द से फिट शरीर पाने के लिए प्रोटीन पाउडर और केमिकल युक्त दवाओं का सेवन करते है। जिसका सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। रेड मीट और प्रोटीन पाउडर खाने से किडनी को काम करने के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ता है और समय से पहले किडनी के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। युवाओं में किडनी फेल होने का मुख्य कारण प्रोटीन पाउडर है।

किडनी खराब होने के बाद उसे फिर ठीक करना बहुत ही कठिन होता है। साथ ही यह रोग जानलेवा होता है। सही समय पर इस रोग की पहचान कर "कर्मा आयुर्वेदा" से आयुर्वेदिक इलाज शुरू कर देना चाहिए। यदि ठीक समय पर किडनी ख़राब होने की  जाँच न की जाए तो बात जान तक पर भी आ जाती है। अकेले भारत में ही हज़ारों की संख्या में किडनी फेल्योर के चलते लोग अपनी जान गवां बैठते है।

किडनी ख़राब होने के लक्षण :-

किडनी खराब होने की स्थिति में हमारे शरीर में निम्नलिखित बदलाव/लक्षण दिखाई देते है। जनकी मदद से हम यह जान सकते है की हमारी किडनी बीमार हो चुकी है।

  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब विसर्जन में दिक्कत
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • सांस लेने में तकलीफ
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • आंखों के नीचे सूजन
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचीन अभ्यास हैं आयुर्वेद के अनुसार सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियां शरीर में दोषों से उत्पन्न होती हैं। तीन मुख्य दोष पित्त, वात और कफ होते हैं। आयुर्वेद आधुनिक तरीकों के मिश्रण के साथ कई महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों और ऑरगेनिक खुराक के उपयोग के लिए समर्पित हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी की बीमारी के निर्माण में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण, कासनी और शिरीष जैसी आयुर्वेदिक दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता हैं।

हमारे आस-पास अनेक ही आयुर्वेद उपचार केंद्र मौजूद है। लेकिन देश में एकमात्र आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र "कर्मा आयुर्वेदा" ही एकलौता आयुर्वेद केंद्र है जो किडनी से जुडी हर बीमारी को जड़ से ख़तम करता है। कर्मा आयुर्वेदा बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहा है। कर्मा आयुर्वेद वर्ष 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे है। आपको बता दें कि आयुर्वेद में किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ख़राब किडनी का सफल इलाज किया जाता है।

डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। अब गोंडा में भी कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।

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