झालावाड़ में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी फेल होने के जो मामले सामने आते हैं उनमें से कुछ व्यक्ति की जीवनशैली में जुड़ी गलत आदतें इसकी जिम्मेदार होती हैं। आज की व्यस्त जीवनशैली में आप जाने-अनजाने में कई ऐसी गलत आदतें पाल लेते हैं जिनका आपको एहसास नहीं होता, लेकिन ये छोटी-छोटी लापरवाहियां आपको हर पल मौत की ओर करीब ले जाने लगती हैं।

शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता हैं, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं तो तब इस स्थिति को किडनी फेल्योर कहते हैं।

किडनी फेल्योर से होने वाले कारण:

किडनी फेल्योर का प्रमुख कारण मधुमेह या डायबिटीज के मरीजों की संख्या भारी मात्रा में बढ़ना, लेकिन इसके प्रमुख दो कारण हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की छलनियों में इंफेक्शन, पथरी का बनना और पेन किलर दवाओं का अत्यधित सेवन करना आदि।

किडनी फेल्योर के लक्षण:

किडनी डिजीज के संकेत और लक्षण केवल तब दिखाई देते हैं जब बीमारी बढ़ जाती हैं। एक बार जब किडनी गंभीर रूप से खराब हो जाती हैं तो वे अपने आप में संकेत होती हैं जैसे –

  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • हाथ, पैर और टखनें में सूजन
  • आंखों के चारों और सूजन
  • सांस छोटी होना
  • खराब गंध मूत्र
  • सूस्ती और नींद आना
  • हड्डी और जोड़ो में दर्द
  • अचानक वजन घटना या बढ़ना
  • पेशाब बार-बार जाना
  • पेशाब में रक्त या प्रोटीन आना
  • पेशाब करते समय कठिनाई होना

किडनी फेल्योर का निदान

रक्त में क्रिएटिनिन और पेशाब की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता की जानकारी मिलती हैं, क्योंकि किडनी की कार्यक्षमता शरीर का आवश्यकता से अधिक होती हैं, इसलिए अगर किडनी रोग थोड़ा नुकसान हो जाएं, तो भी रक्त के जांच में कई त्रुटि देखने को नहीं मिलती हैं, लेकिन जब रोगों के कारण दोनों किडनी 50% से अधिक खराब हो गई हो तो रक्त में क्रिएटिनिन और पेशाब की मात्रा सामान्य से अधिक पाई जाती हैं।

आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के साथ-साथ एशिया के भी बेस्ट डॉक्टर में से एक हैं। ये भारत में 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। डॉ. पुनीत ने आयुर्वेदिक दवाओं और उचित डाइट चार्ट की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में डायलिसिस और ट्रांसप्लांट की मदद से इलाज किया जाता हैं।

साथ ही आयुर्वेदिक किडनी उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और ऑरगेनिक का इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में वरूण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं, इसलिए किडनी के किसी भी रोग के लिए आप किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया, कर्मा आयुर्वेदा डॉ. पुनीत धवन से संपर्क कर सकते हैं। आप किडनी रोग की वजह से डायलिसिस लेने पर मजबूत हो जाते हैं और तब इसमें लाखों रूपये खर्च करने पड़ते हैं। डॉ. पुनीत ने सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं।

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