आयुर्वेदिक उपचार तन-मन और आत्मा के बीच का संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता हैं बल्कि ये जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता हैं जिससे जीवन लंबा और खुशहाल होता हैं आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों तत्वों का संतुलन से कोई बीमारी आप पर हावी नहीं होती हैं और आयुर्वेद में इन्हीं तीनों तत्वों का संतुलन बनाया जाता हैं। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता हैं, क्योंकि किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए हर्बल उपचार किया जाता हैं।
आयुर्वेदिक उपचार भारत में सालों से चला आ रहा हैं। इसमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके दवा बनाई जाती हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पातल 1937 से किडनी मरीजों का इलाज करते आ रहे हैं। इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा भारत में सबसे प्रामाणिक आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र हैं। वे पूर्ण हर्बल और प्राकृतिक उपचार दवाओं का उपयोग करते हैं जिसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। वे तेज़ी से वसूली के लिए अपने मरीजों को एक किडनी आहार चार्ट भी प्रदान करते हैं।
किडनी रोग की समस्या
किडनी फेल्योर को (रीनल फेल्योर) भी कहा जाता हैं। इस स्थिति में किडनी ब्लड से मेटाबोलिक अपशिष्ट को खत्म करने या फिल्टर करने में असमर्त होती हैं। किडनी फेल्योर तब होता हैं। जब आपकी किडनी काम करना बंद कर देती हैं। ये कुछ घंटों में तेजी से हो सकता हैँ। अगर आपकी किडनी फेल होती हैं तब आपको शरीर में ब्लड में अपशिष्ट का लेवल खतरनाक स्तर पर पंहुच जाता हैं।
जिससे डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ जाती हैं। तब तीव्र किडनी फेल्योर या तीव्र किडनी इंजरी उचित इलाज से अक्सर ठीक किया जा सकता हैं, लेकिन क्रोनिक किडनी डिजीज ठीक नहीं किया जा सकता हैं। ये विभिन्न स्वास्थ्य की स्थितियों की वजह से पुरानी किडनी होती हैं जो किडनी के फंक्शन को बिगाड़ देती हैँ। जिससे किडनी खराब हो जाती हैं। किसी को भी और किसी भी उम्र में क्रोनिक किडनी रोग हो सकता हैं, लेकिन कुछ रोग अतिसंवेदनशील होता हैं।
किडनी फेल्योर होने के मुख्य कारण:
- पानी कम पीना
- नींद पूरी न होना
- ज्यादा नमक का सेवन करना
- कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करना
- काफी देर तक पेशाब रोकना
- धूम्रपान का सेवन करना
- अधिक मात्रा में पेन किलर का सेवन करना
- आहार में मिनरल्स और विटामिन की कमी होना
- हाई ब्लड प्रेशर
- शुगर
किडनी रोग के लक्षण:
क्रोनिक किडनी फेल्योर, एक्यूट किडनी फेल्योर के विपरीत, दोनों धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी हैं। यहां तक कि अगर एक किडनी काम करना बंद कर देती हैं तो दूसरी किडनी सामान्य रूप से काम करती हैं। तब तक इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं जब तक ये बीमारी अपने हाई स्टेज में न पंहुच जाए। इस स्टेज में बीमारी से हुई क्षति को ठीक नहीं किया जा सकता हैं।
ये बेहद जरूरी है कि जिन लोगों में किडनी रोग होने की अधिक संभावना हो, उन्हें अपनी किडनी की नियमित रूप से जांच करानी चाहिए। बीमारी की शुरूआत में ही पता चल जाने पर किडनी में होने वाली गंभीर क्षति को रोका जा सकता हैं।
- एनीमिया
- पेशाब में रक्त आना
- पेशाब की मात्रा में कमी आना
- हाथ, पैरों और टखने में सूजन
- थकान व कमजोरी
- हाई ब्लड प्रेशर
- अनिंद्रा
- त्वचा में लगातार खुजली होना
- भूख की कमी
- मांसपेशियों में ऐंठन
- जी मिचलाना और उल्टी होना
- हाँफना
- पेशाब में प्रोटीन आना
- अचानक वजन में बदलाव आना
- अचानक सिरदर्द होना
कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से इन लक्षणों से मुक्त हो सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता हैं और किडनी रोग के लक्षणों से आराम दिलाता हैं।