हरी गेंद या हरे सेब की तरह दिखाई देने वाला टिंडा कई पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है। टिंडा शुरुआत से ही भारतीय है, लेकिन अब यह विश्व भर में विशेषकर एशिया में बड़ी आसानी से मिल जाता है। टिंडा जिसे इंगरेजी भाषा में एप्पल गौर्ड या बेबी पंपकिन के नाम से भी जाना जाता है। यह कद्दू और घिया के परिवार से संबंध रखता है। इसके स्वाद के कारण लोग इसे खासा पसंद नहीं करते। लेकिन इसके अंदर बहुत से पोषक तत्व मौजूद है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरुरी है। यह सब्जी गर्मियों में सबसे ज्यादा खाई जाती है। यह गर्मियों में शरीर अंदर पानी की मात्रा को संतुलित करने में काफी मददगार होती है, क्योंकि एक टिंडे में 92 प्रतिशत तक पानी होता है।
टिंडा के पोषक तत्व :-
टिंडे के अंदर बहुत से पोषक पाए जाते है जो हमारे स्वास्थ के लिए बहुत ही जरुरी होते है। टिंडे के अंदर विटामिन्स और खनिज दोनों प्रचुर मात्रा में मिलते है। टिंडे में विटामिन ए और विटामिन सी मिलता है और थियामिन, नियासिन, आयरन, फाइबर, पोटाशियम, रिबोफल्विन जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में मिलते है। टिंडा पानी से भरा हुआ होता है इसके अंदर 92 प्रतिशत तक पानी पाया जाता है, जो गर्मियों में हमारे शरीर ,इ पानी की कमी पूरी करता है। अगर बात करे टिंडे के बीजों की तो वह भी किसी औषधि से कम नहीं है । टिंडे के बीजों में प्रचुर मात्रा में फैटी एसिड और प्रोटीन मिलता है। टिंडे में आपको ओमेगा – 6 फैटी एसिड और ओमेगा – 9 फैटी एसिड मिलता है, जो हमारे स्वस्थ के लिए बहुत ही उपयोगी होते है।साथ ही टिंडे की एक खासियत यह भी है की इसमें कैलोरी ना के बराबर होती है जो इसका सबसे बड़ा गुण माना जाता है।
रोगों में टिंडा के फायदें :-
अभी आपने टिंडे के पोषक तत्वों के बारे में जाना जिससे आपको यह मालूम हो गया होगा की यह हमारे स्वस्थ के लिए कितना उपयोगी है। टिंडे के पोषक तत्व हमे बहुत से रोगों से बचा कर रखते है। यह हमारी किडनी को स्वस्थ रखने में बहुत उपयोगी है। यह किडनी को ना केवल स्वस्थ रखती है बल्कि उसे खराब होने भी बचाता है। टिंडा हमें कुछ ऐसे रोगों भी बचाता है जिससे हमारी किडनी ख़राब होने का खतरा रहता है। तो चलिए जानते है आखिर कैसे टिंडा हमारी किडनी को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद करता है।
उच्च रक्तचाप –
उच्च रक्तचाप के रोगियों को टिंडे का जूस का सेवन करना चाहिए। टिंडे के जूस की मदद से उच्च रक्तचाप की समस्या से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। टिंडे के अंदर पोटाशियम होता है जो शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकलने में मदद करता है। साथ ही रक्त वाहियों और गम्नियों को शांत करता है जिससे रक्त प्रवाह बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चलता रहता है। शरीर में सोडियम की अधिक मात्रा के कारण से रक्तचाप उच्च होने की शिकायत होती है। वैसे तो कई कारणों से किडनी खराब हो सकती है, लेकिन हमेशा रक्तचाप उच्च रहने के कारण से भी किडनी खराब हो सकती है।
किडनी को रखे स्वस्थ –
नियमित रूप से टिंडा खाने से हमारी किडनी स्वस्थ और मजबूत बनी रहती है। टिंडा शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बहार निकालने में मदद करता है। टिंडा में पानी की मात्रा सबसे अधिक होती है जो मूत्र वर्धक के रूप में काम करता है जिससे किडनी की सफाई होती है और किडनी ख़राब होने से बचती है। बता दें किडनी शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के साथ शरीर बाहर निकालने का काम करती है।
वजन करे कम –
टिंडा वजन कम करने में हमारी काफी मदद करता है। टिंडे के अंदर अच्छी मात्रा में पानी मिलता है जो मोटापे को कम करने में मददगार होता है। अगर आपको वजन ओवरईटिंग के कारण बढ़ रहा है तो आपको नियमित रूप से टिंडे के जूस का सेवन सुबह नाश्ते में करना चाहिए। साथ ही टिंडा फाइबर का भी अच्छा स्रोत है जो पेट में जमा अतिरिक्त वसा को कम तो करता ही है साथ ही पाचन को सुधार कर खाने को ठीक से पव्हाने में भी मदद करता है।
मधुमेह को करे कम –
अगर आप मधुमेह के रोगी है तो आपको टिंडे की सब्जी का जरुर करना चाहिए। टिंडा मधुमेह कम कर्ण के लिए उत्तम आहार के श्रेणी में आता है। इसके अंदर घुलनशील फाइबर काफी मात्रा में मिलता है जो रक्त शर्करा को कम करने में मदद करता है। साथ ही शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है, बढ़ा हुआ इन्सुलिन तेज़ी से मधुमेह को कम करता है। टिंडे के छिलकों में फोटोकेमिकल मिलता है जो रक्त शर्करा को कम करने में सहायक होता है। टिंडा मेटाबोलिज्म सुधार में भी सहायक होता है।
मूत्र संक्रमण करे दूर –
टिंडा मूत्र संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। पानी मात्रा अधिक होने के कारण शरीर में पानी की कमी नही होती जिससे किडनी और मूत्र पथ की सदी नियमित रूप से होती रहती है। किडनी और मूत्र पथ साफ होने के कारण मूत्र प्रवाह में कोई बाधा उत्पन्न नही होती, जिससे संक्रमण का खतरा नहीं बनता और पहले से मौजूद संक्रमण भी दूर होता है। यह किडनी और मूत्र पथ में मौजूद विषाक्त उत्पादों को बाहर निकाल देता है।गर्मियों में यह शरीर के सभी अंगों को ठंडा बनाएं रखने में मदद करता है।
पाचन सुधारे टिंडा –
तिने में फाइबर अच्छी मात्रा में मिलता है जो पाचन को सुधारने में काफी मदद करता है। नियमित रूप से टिंडा खाने से आपको कब्ज, अपच, गैस, पेट फूलने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। पानी की अधिकता के कारण यह आपके पेट की सफाई के लिए उत्तम आहार की श्रेणी में आता है। आप इसे सब्जी के रूप में इस्तेमाल कर सकते है। अगर तेज़ी से समाधान चाहते है तो इसे जूस के रूप में अपने आहार में शमिल करे।
सूजन करे दूर –
टिंडा सूजन कम करने वाली सब्जी है। साथ ही यह दर्द निवारक औषधि भी है। सूजन कम करने के लिए आप इसका पेस्ट बना कर इसे सूजन वाली जगह पर लगा ले। इससे आपकी सूजन तो कम होगी ही साथ ही आपको दर्द से भी राहत मिलेगा।
दिल को रखे स्वस्थ –
यदि आप नियमित रूप से टिंडे का सेवन करते है तो आपका दिल हमेशा जवां बना रहेगा। टिंडे के अंदर फाइबर अच्छी मात्रा में मिलता है जो कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है। फाइबर वसा को तो कम करता ही है इसके अलावा यह रक्त वाहिकाओं में जमे कोलेस्ट्रोल को हटाने में भी मदद करता है। जिससे दिल तक रक्त सुचारू रूप से पहुचता है। वहीं पोटाशियम उच्च रक्तचाप को काबू में करता है और रक्त प्रवाह को सुचारू बनाता है। टिंडे के सेवन व्यक्ति कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचा रहता है। बता दें की कोलेस्ट्रोल बढने के कारण से ही दिल की अधिकतर बीमारियाँ होती है।
कैंसर से बचाए –
टिंडा ना केवल आपकी किडनी को खराब होने से बचाता है बल्कि आपको सन्सर जैसी जानलेवा बीमारी से भी दूर रखता है। टिंडे के अंदर 0.4 मिलीग्राम थियामिन, 0.08 मिलीग्राम रिबोफ्लेविन, 24 मिलीग्राम फॉस्फोरस मिलता है जो कैंसर के कारकों को पनपने से रोकते है जिससे आप कैंसर की बीमारी से बचे रहते है। टिंडा महिलों को होने वाले कैंसर ब्रेस्ट कैंसर और प्रोटेस्ट कैंसर होने क संभावना को कम करता है।
प्रतिरोधक शक्ति बढाएं –
टिंडा प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में मदद करता है। टिंडे में ग्लोबुलिन नामक एक खास तरह का प्रोटीन मिलता है जों हमारे रक्त में कुछ मात्रा में पहले से मौजूद होता है। ग्लोबुलिन प्रोटीन इम्मुन सिस्टम को दुरुस्त करने में सहायक होता है।
टिंडा खाने के नुकसान :-
आपने अभी तक टिंडे के फायदों के बारे में ऊपर विस्तार से पढ़ा जिससे आपको टिंडे खाने का और स्वास्थ को ठीक करने की इच्छा दिल में जरुर आई होगी। अब हम आपको बता दें की टिंडे खाने के नुकसान क्या होते है। तो हम आपको बता दें की टिंडा खाने का कोई भी नुकसान नहीं होता। वर्तमान समय तक टिंडा खाने से किसी को कोई रोग या किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने की बात सामने नहीं आई है। फिर भी टिंडा खाते समय कुछ सावधानियो का जरुर रखना चाहिए जो निम्नलिखित है –
- टिंडा अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें फाइबर अधिक मत्रा में होता है जो पेट को दुरुस्त करने के साथ साथ ख़राब भी कर सकता है। जैसे गैस, पेट में ऐठन और पेट फूलना।
- टिंडा एक प्राकृतिक मूत्र वर्धक है इसलिए गर्भवती महिलों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए और चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
किडनी हमारे शरीर का वो अभिन्न अंग है जिसके खराब होने के कारन हमारे शरीर का संतुलन डामाडोल हो जाता है। किसी भी अंग मे अचानक सूजन आ जाती है, रक्तचाप उच्च रहता है, पाचन ख़राब रहता है, रक्त अशुद्ध हो जाता है हड्डियाँ कमजोर होने लगती है, मूत्र संक्रमण हो जाता है, कमर में नियमित दर्द रहने लगता है इसके अलावा और भी कई विकार एक साथ शरीर में उत्पन्न हों जाते है। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बहार निकालने का विशेष कार्य करती है जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है और आपका शरीर ठीक से काम करता है।
किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से ख़राब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है। “कर्मा आयुर्वेदा” किडनी फेल्योर का आयुर्वेद की मदद से सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही ख़राब किडनी को ठीक करता है।
वर्ष 1937 में कर्मा आयुर्वेदा की नीव धवन परिवार द्वारा रखी गयी थी तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर का इलाज को इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलाता आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद की बागडोर को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन पुर्णतः आयुर्वेद पर ही विश्वास करते है और आयुर्वेद की मदद से आयुर्वेदिक किडनी उपचार से जुडी बीमारी का निदान करते है। डॉ. पुनीत ने अभी तक 35 हज़ार से भी ज्यादा रोगियों को किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलवाया है, वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये।