डायलिसिस रोकने के उपाय, किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया

अल्कोहोल और किडनी रोग

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डायलिसिस रोकने के उपाय, किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया

किडनी की कार्यक्षमता कमजोर हो जाती है, शरीर से विषैले पदार्थ पूरी तरह नहीं निकल पाते, क्रिएटिनिन और यूरिया जैसे पदार्थ की अधिकता होने पर कई प्रकार की समस्याएं बढ़ जाती है तो ऐसे में मशीनों की सहायता से रक्त को साफ करने की प्रक्रिया को डायलिसिस कहते हैं।

किडनी डायलिसिस      

किडनी डायलिसिस खून साफ करने की एक कृत्रिम विधि है इस प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है जब किसी रोगी की किडनी / वृक्क / किडनी सही से काम नहीं करती है।

किडनी जब सही ढंग से काम नहीं करती है तब ऐसे में विषैले पदार्थों जैसे क्रिएटिनिन और यूरिया, शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। विषैले पदार्थ जब मनुष्य के शरीर बढ़ जाता है, जिंदगी बचाने के लिए किडनी डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है।

डायलिसिस के कार्य

  • खून में अनावश्यक उत्सर्जी पदार्थ जैसे की क्रिएटिनिन, यूरिया को दूर करके खून का शुद्धिकरण करना।
  • शरीर में जमा हुए ज्यादा पानी को निकालकर द्रवों को शरीर में योग्य मात्रा में बनाये रखना है।
  • शरीर में जमा हुए एसिड (अम्ल) की अधिक मात्रा को कम करते हुए उचित मात्रा बनाए रखना।
  • डायलिसिस एक सामान्य किडनी के सभी कार्यों की जगह नहीं ले सकते हैं। जैसे एरिथ्रोपाइटिन हार्मोन का उत्पादन जो हीमोग्लोबीन के स्तर को बनाए रखने में आवश्यक होता हैं।
  • शरीर के क्षारों जैसे सोडियम, पोटैशियम इत्यादि को उचित मात्रा में प्रस्थापित करना।

डायलिसिस के कितने प्रकार है?

किडनी डायलिसिस के दो प्रकार है:

  • हीमोडायलिसिस

इस प्रकार के डायलिसिस में हीमोडायलिसिस मशीन, विशेष प्रकार के क्षारयुक्त द्रव की मदद से कृत्रिम किडनी में खून को शुद्ध करता है।

  • पेरीटोनियल डायलिसिस

इस प्रकार के डायलिसिस में पेट से एक खास प्रकार का केथेटर नली (P.D. catheter) दाल कर, विशेष प्रकार के क्षारयुक्त द्रव की मदद से शरीर में जमा हुए अनावश्यक पर्दाथ दूर कर शुद्धिकरण किया जाता है। इस प्रकार के डायलिसिस में मशीन की आवश्यकता नहीं होती है।

डायलिसिस रोकने के उपायो के लिए डाइट:

  • नमक / सोडियम का कम मात्रा में सेवन करें
  • मीट / प्रोटीन ना खाएं
  • अनाज
  • डेयरी उत्पाद ना खाएं
  • फल / जूस पिएं
  • पेय पदार्थ / शराब आदि ना पिएं
  • सब्जियां / सलाद जैसी पौटेशियम वाली सब्जियों का सेवन करें
  • डिजर्ट मिठाईयां ना खाएं, जितना हो सकें शुगर फ्रि मिठाईयों का सेवन करें
  • डिब्बाबंद खाघ पदार्थ
  • नट्स और सीड्स या सूखे मेवे और बीज जैसे डायलिसिस में सेवन ना करें

आयुर्वेदिक दवा

आयुर्वेदिक चिकित्सा तन, मन, शरीर और आत्मा का एक प्रचीन अभ्यास है आयुर्वेद के अनुसार सभी बीमारियां शरीर में दोषों से उत्पन्न होती है। तीन मुख्य दोष पीटा, वात और कफ होते हैं। आयुर्वेद में आधुनिक तरीकों के मिश्रण के साथ कई महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों और ऑरगैनिक खुराक के उपयोग के लिए समर्पित हैं। आयुर्वेदिक दवाओं के किडनी की बीमारी के निर्माण में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरुण, कासनी और शिरीष जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में उच्च उपचार गुण है जो कि लक्षणों को कम करने और किडनी रोग को ठीक करते हैं। आयुर्वेद केवल लाभ ही होता है और इसका कोई दुष्प्रभारव नहीं है।

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