पॉलीसिस्टिक किडनी रोग एक जेनेटीक बीमारी है जो कि गुर्दे में अल्सर के गठन और उसके बाद विकास के कारण होती हैं ये बीमारी ज्यादातर एक परिवार की प्रकृति की होती हैं। जिसे अक्सर आयु वर्ग में 20 से 40 साल तक निदान किया जाता हैं, लेकिन ये भी खुद को बच्चों में प्रकट करते हैं और बुढ़ापे में सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार होता हैं। ये किडनी का सबसे आम विकृति हैं। एक नियम के रुप में इसे प्रक्रिया में दोनों किडनी शामिल हैं। “पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ट्रीटमेंट”
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लक्षण:
- खून के दबाव में वृध्दि होना
- पेट में दर्द होना, पेट में गाँठ का होना, पेट का बढ़ना
- पेशाब में खून का जाना
- पेशाब में बार-बार संक्रमण होना
- किडनी में पथरी होना
- रोग के बढ़ने के साथ ही क्रोनिक किडनी फेल्योर के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं
- किडनी का कैंसर होने की संभावना में वृध्दि “पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ट्रीटमेंट”
शरीर के अन्य भाग जैसे मस्तिष्क, लिवर, आंत आदि में भी किडनी की तरह सिस्ट हो सकते हैं। इस कारण उन अंगों में भी लक्षण दिखाई सकते हैं। पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के रोगी को एन्यूरिज्म (मस्तिष्क घमनी विस्फार), पेट की दीवार में हर्निया, जिगर के सिस्ट में संक्रमण, पेट में डाइवर्टीक्यूले या छेद ओर ह्रदय वाल्व में खराबी जैसी जटिलतायें हो सकती है
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के लगभग 10% मरीजों में धमनी विस्कार हो सकता हैं। जिसमें रक्त वाहिका की दीवार के कमजोर होने के उसमें एक उभार आ जाता हैं। धमनी विस्फार के कारण सिरदर्द हो सकता हैं। इसका फटना खतरनाक हो सकता हैं जिससे स्ट्रोक और मृत्यु हो सकती हैं। “पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ट्रीटमेंट”
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग मुख्य उपचार
- पी.के.डी. के रोगियों को समय-समय पर जाँच और निगरानी की सलाह दी जाती है। भले ही उन्हें किसी भी प्रकार के इलाज की जरूरत न हो
- उच्च रक्तचाप को सदैव नियंत्रित रखना
- मूत्रमार्ग में संक्रमण और पथरी की तकलीफ होते ही तुरंत उचित उपचार कराना
- शरीर पर सूजन नहीं हो तो ऐसे मरीज को ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए, जिससे संक्रमण, पथरी आदि समस्या को कम करने में सहायता मिलती है
- पेट में होनेवाले दर्द का उपचार किडनी को नुकसान नहीं पहुँचाने वाली विशेष दवाओं द्वारा ही किया जाना चाहिए। “पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ट्रीटमेंट”
- किडनी के खराब होने पर 'क्रोनिक किडनी फेल्योर का उपचार' इस भाग में किए गए चर्चानुसार परहेज करना और उपचार लेना आवश्यक है
- बहुत कम रोगियों में दर्द, खून के बहाव, संक्रमण या किसी रुकावट की वजह से सिस्ट की शल्य चिकित्सा या रेडियोलॉजिकल ड्रेनेज की आवश्यकता होती है
किडनी उपचार केंद्र किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया, कर्मा आयुर्वेदा योग्य आयुर्वेदचार्य डॉ. पुनीत धवन के मार्गदर्शन में किडनी की बीमारी के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायता प्रदान की हैं। कर्मा आयुर्वेदा दवाओं ने किसी भी तरह साइड इफेक्ट्स के बिना डायलिसिस और किडनी ठीक करती हैं। “पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ट्रीटमेंट”