आयुर्वेदिक उपचार किडनी रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क, थिस्टल, लाइसोरिस, रूट, पुनर्नवा, गोकशुर आदि शामिल हैं। ये असभ्य हैं और किडनी की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने और किडनी के विकास को प्रतिबंधित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करती हैं। एलोपैथी दवाओं के विपरित आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।
किडनी का कार्य
किडनी शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों में शामिल हैं, इनमें खराबी आने से जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता हैं, लेकिन मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब किडनी फेल्योर के मरीज़ भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं, जी हां, वो भी सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से। नवीनतम दवाओं और उपचार के तरीकों से इन दिनों मिसमैच्ड किडनी ट्रांसप्लांट उम्रदराज लोगों और एचआईवी से ग्रस्त लोगों में संभव हो चुका हैं। आजकल किडनी फेल्योर के मरीजों में बेतहाशा-वृद्धि हो रही हैं। देश में ही नहीं बल्कि सभी देशों में किडनी फेल्योर के रोगियों की संख्या बढ़ जा रही हैं।
किडनी फेल्योर के कारण:
किडनी फेल्योर का प्रमुख कारण हैं मधुमेह या डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा होना, लेकिन इसके दूसरे कारण भी हैं जैसे – हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की छलनियों में इंफेक्शन, पथरी का बनना और दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करना आदि।
किडनी फेल्योर से होने वाले लक्षण:
- हाथ, पैरों और एडियों में सूजन आना
- भूख कम लगना
- पेशाब करते समय जलन या दर्द होना
- बार-बार पेशाब जाना
- पेशाब के साथ-साथ प्रोटीन पास होना
- पेशाब में रक्त आना
- हाई ब्लड प्रेशर
किडनी फेल्योर के लिए रोकथाम:
किडनी रोग का इलाज होने से बेहतर हैं कि इसे होने ही न दिया जाएं, इसलिए सुझावों को अपनाएं और किडनी संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं जैसे-
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ
- प्रोटीन कम लें
- नमक का सेवन कम करें
- धूम्रपान और शराब आदि से परहेज करें
- रोज़ व्यायाम करे और खुद को फिट रखें
किडनी फेल्योर उपचार के लिए प्रतापगढ़ में आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से प्रसिद्ध नाम हैं और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं, जो किडनी मरीजों का इलाज करते हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी दवाओं पर भरोसा किया जाता हैं, क्योंकि ये रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं। साथ ही डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं वो भी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेदा भारत के साथ-साथ एशिया के भी जाने-माने अस्पतालों में आता हैं।