इन कुछ सालों में किडनी के रोगी बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं। कई बार सही जानकारी न होने की वजह से या देर से इलाज की वजह से रोगियों की मौत हो रही हैं। इसलिए किडनी की समस्याओं के विभिन्न स्तरों के बारे में बताते हैं। लक्षणों की लिस्ट को देखकर आप ये पता कर सकते हैं कि क्या आपको भी किडनी संबंधित बीमारी अपनी गिरफ्त में तो नहीं ले रही हैं। एक या दो लक्षण होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, लेकिन अगर ज्यादा लक्षण इस लिस्ट के आपके स्वास्थ्य के साथ मेल खा रहे हैं, तो आप जरूर डॉक्टर को दिखाएं।
किडनी फेल्योर
हमारे शरीर में दो किडनी होती है। जिनका मुख्य काम रक्त को छानकर विषैले पदार्थों को पेशाब के द्वारा शरीर से बाहर करता हैं। किडनी के अन्य कार्य भी होती हैं जैसे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना, शरीर के इलेक्ट्रोलाइड को बैलेंस करना, रेड ब्लड सेल के प्रॉडक्शन को स्टिम्युलेट करना। जब किडनी विषैले पदार्थों को किसी वजह से बाहर निकालने में असमर्थ होती हैं तो उसे किडनी फेल्योर होना कहते हैं।
किडनी फेल्योर के कारण:
- अचनाक किडनी में रक्त की सप्लाई का कम होना
- उल्टी, दस्त, पसीना या किसी अन्य वजह से शरीर में पानी की कमी होना
- दवाई के साइड-इफेक्ट की वजह
- कम पानी पीना
- जलने की वजह शरीर में पानी की कमी होना
- किसी बीमारी की वजह से जैसे डायबिटीज, ह्रदयरोग, किडनी स्टोन
- ब्लैडर या युरेटर में कोई रूकावट होना (यूरिन वापस किडनी में जाता हैं जिससे किडनी डैमेज हो जाती हैं)
- हाईपरटेंशन
- गलत खान-पान
किडनी फेल्योर की लक्षण:
अक्सर कुछ लोगों की आंखों के नीचे सूजन आ जाती हैं, जो कि किडनी के कार्य में रूकावट आने का संकेत होता हैं। इन लक्षणों को अनदेखा न करें।
- आंखों के नीचे सूजन आना
- हाथ-पैरों में और चेहरे पर सूजन
- थकान और कमजोरी लगना
- भूख कम लगना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- वजन कम होना
- रात में बार-बार पेशाब आना
- पेशाब करते समय रक्त आना
- पेशाब की मात्रा कम या ज्यादा होना
- रक्त की कमी होना (एनीमिया)
- नींद ठीक से न होना
प्रयागराज में किडनी फेल्योर का इलाज
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लगभग 50 हजार वर्ष पहले भारत की पवित्र भूमि में शुरू हो गई थी। ये काफी लंबे जीवन का विज्ञान हैं और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली हैं जिसमें औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों के गंभीर विचार शामिल हैं। प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में दुनिया भर की मानव जाति के संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास किया हैं। आज ये चिकित्सा के अनुपम और अभिन्न शाखा हैं ये एक संपूर्ण प्राकृतिक प्रणाली हैं जो आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करने पर निर्भर करती हैं। प्रयागराज में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता हैं।
भारत में प्रसिद्ध आयुर्वेद क्लीनिकों में से एक कर्मा आयुर्वेदा हैं। यहां 1937 के बाद से दुनिया भर के मरीजों का इलाज हो रहा हैं। इसके नेतृत्व में एक अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन करते हैं। वह एलोपैथी उपचार के अभ्यास में विश्वास नहीं करते हैं। यह मरीजों का जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तकनीकों के साथ आयुर्वेदिक किडनी उपचार किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं। वो भी किडनी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के बिना।