फरीदकोट में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमारे शरीर से अशुद्धियों और विषैले पदार्थों को बाहर निकालती हैं। किडनी में दर्द और सूजन होना ये समस्याएं हैं। बता दें कि, आजकल गलत खान-पान, अस्वस्थ्य जीवनशैली और प्रदूषित वातावरण की वजह किडनी फेल्योर बढ़ रहा हैं।

जिसका इलाज लगभग असंभव हो जाता हैं और स्थिति में रोगी को डायलिसिस करवाना पड़ता है। तब सभी दवाईयों का खर्च बहुत ज्यादा होता हैं, इसलिए हो सकते तो इसका इलाज समय रहते करवा लेना चाहिए। साथ ही किडनी रोग में सबसे बड़ी समस्या ये और इसका इतनी जल्दी से पता नहीं चलता हैं, इसलिए किडनी खराब होने से पहले इन लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी होता हैं।

आप सब जानते हैं कि, हमारे शरीर में 2 किडनी होती हैं जो एक मिनट में लगभग 125ml रक्त साफ करती हैं किडनी न सिर्फ पेशाब के जरिए हानिकारक चीजों को बाहर निकालती हैं बल्कि ये आपके ब्लड प्रेशर और कैल्शियम की मात्रा को सही रखता हैं। साथ ही नई लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता हैं।

किडनी फेल्योर

किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने के बहुत से काम करती हैं। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालती हैं। किडनी शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती हैं। वह अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती हैं। जिससे शरीर में एसिड एंव क्षार का संतुलन बना रहता हैं।

मानव शरीर में किडनी का मुख्य कार्य रक्त को शुद्धिकरण करना हैं। जब बीमारी की वजह दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सकती हैं, तो किडनी की कार्यक्षमत कम हो जाती हैं जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं।

किडनी फेल्योर होने के वजह:

किडनी फेल्योर का एक प्रमुख वजह मधुमेह या डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ हैं, लेकिन इसकी दूसरी वजह भी हैं जैसे – उच्च रक्तचाप, किडनी की छलनियों में इंफेक्शन, पथरी का बनना और दर्द के लिए पेन किलर का सेवन करना आदि।

किडनी फेल्योर में दिखाई देते हैं ये संकेत:

  • पेशाब के रंग में बदलाव
  • पेशाब में खून आना
  • बार-बार पेशाब आना
  • हाथ, पैर और एडियों में सूजन
  • चेहरा और आखों के नीचे सूजन
  • नींद न आना
  • भूख कम लगना
  • रक्तचाप का कंट्रोल में न आना (लगातार बढ़ना)
  • वजन अचानक बढ़ना या घटना

किडनी फेल्योर का करें निदान:

हमारे खून में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता की जानकारी मिलती हैं, क्योंकि किडनी की कार्यक्षमता शरीर की आवश्यकता से अधिक होती हैं, इसलिए अगर किडनी फेल्योर से थोड़ा भी नुकसान हो जाए, तो भी रक्त की जांच में कई त्रुटि देखने को नहीं मिलती हैं, लेकिन जब रोगों की वजह से दोनों किडनी 50% से अधिक खराब हो गई हो, तभी रक्त में क्रिएटिनिन और पेशाब की मात्रा सामान्य से अधिक पाई जाती है।

फरीदकोट में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा मानी जाती हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग की जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क, थिस्टल, एस्ट्रगुलस, लाइसोरिस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर, वरूण, कासनी, शिरीष शामिल हैं। साथ ही वात, पित्त और कफ के द्वारा शरीर में संतुलन को बनाए रखती हैं। ये जड़ी-बूटियां किडनी की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने और किडनी के विकास को प्रतिबंधित करने के लिए बेहद बड़े पैमाने पर काम करती हैं।

कर्मा आयुर्वेदा भारत का एकमात्र आयुर्वेदिक उपचार केंद्र हैं, जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। वह 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक इलाज पर भरोसा किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन अपने मरीजों को उचित डाइट चार्ट की सलाह देते हैं जिससे रोगी में जल्दी से सुधार दिखता है।

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