बालावस्था में कौन से किडनी रोग हो सकते हैं?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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बालावस्था में कौन से किडनी रोग हो सकते हैं?

बच्चे या वयस्क में किडनी की भूमिका एक समान होती है, लेकिन विकार अलग-अलग हो सकते हैं। किडनी संबंधी विकार न केवल वयस्कों तक सीमित हैं बल्कि यह बच्चों को भी प्रभावित करते हैं। एक तरफ जहां वयस्कों में किडनी खराब होने के पीछे बिगड़ती लाइफस्टाइल को कारण माना जाता है और दूसरी तरफ बच्चों में किडनी की बीमारी का कारण आनुवंशिक हो सकता है या कोई अन्य स्थिति हो सकती है। 19 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होने वाले किसी भी प्रकार कि किडनी की बीमारी को बालावस्था में किडनी रोग (Pediatric Kidney Disease) के रूप में वर्णित किया जाता है। अनुवांशिक किडनी विकार या इससे संबंधित कोई भी रोग लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक प्रभावित करते हैं।

बच्चों में किडनी से जुड़ी कौन-कौन सी बीमारी है?

बच्चों में किडनी से जुडी निम्न वर्णित बीमारियाँ होने की आशंका रहती है जोकि अनुवांशिक और गर्भ के दौरान रही कुछ खामियों के कारण होती है।

भ्रूण हाइड्रोनफ्रोसिस

किडनी से जुडी यह बीमारी बच्चों में जन्म से पहले ही हो जाती है, कुछेक में ही यह जन्म के बाद दिखाई देती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें विकास अवधि के दौरान मूत्र पथ में रुकावट के कारण एक या दोनों किडनियों का आकार बढ़ जाता हैं। इस बीमारी से जूझने वाले बच्चों की पहचान करना आसान होता है, इसमें बच्चे को पेशाब से जुडी समस्या होती है और उसका पाचन दुरुस्त नहीं रहता।

पीछे के मूत्रमार्ग वाल्व अवरोध

यह बीमारी केवल लडकों में ही देखि जाती है, क्योंकि यह बाधा केवल लड़कों को प्रभावित कर सकती है। भ्रूण हाइड्रोनफ्रोसिस के समान इस विकार का जन्म से पहले भी निदान किया जा सकता है। यह स्थिति हर 8000 में से एक बच्चे में देखी जा सकती है। इस समस्या में लड़के को पेशाब से जुडी हुई दिक्कत होती है।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग

यह एक बाल चिकित्सा किडनी रोग है जो बच्चों और वयस्कों दोनों में होता है। यह एक आनुवांशिक विकार है जो उस समय होता है जब किडनी में सिस्ट (तरल से भरे बुलबुले) बनने लग जाती है। यह किडनी की कार्यक्षमता को कम कर सकता है और किडनी को खराब कर सकता है। इस रोग की पहचान करना आसान नहीं होता क्योंकि यह रोग बच्चे को उसके परिवार द्वारा विरासत में मिलता है, जिसके लक्षण 35 की उम्र के बाद ही दिखाई देते है। यह किडनी रोग दो प्रकार का होता है और पहला, ऑटोसोमल प्रमुख पॉलीसिस्टिक किडनी रोग और दूसरा, ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलीसिस्टिक किडनी रोग। इस किडनी रोग में किडनी का आकार बढ़ने की आशंका भी बनी रहती है।

मल्टीसिस्टिक किडनी डिजीज (MKD)

भ्रूण या शिशु के विकास के दौरान, किडनी के असामान्य विकास होने को मल्टीसिस्टिक किडनी रोग (MKD) कहा जाता है। एमकेडी के दौरान किडनी में विभिन्न आकारों के कई अनियमित सिस्ट बन जाते हैं। यह शिशु में उसके जन्म से पहले से ही होता है और यह एक प्रकार का ‘वृक्क (किडनी) सिस्टिक रोग’ है। शिशु में आई इस समस्या के कारण किडनी के काम में बाधा आती है। यह समस्या एक या दोनों किडनियों में हो सकती है। अगर यह समस्या एक किडनी में हैं तो स्वस्थ किडनी के सहारे एमकेडी वाले लोग सामान्य रूप से काम कर सकते हैं। प्रसवपूर्व अल्ट्रासाउंड एमकेडी के निदान में मदद करता है।

विल्म्स ट्यूमर

किडनी की इस स्थिति को नेफ्रोबलास्टोमा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक दुर्लभ कैंसर है जो बच्चे की किडनी में होने के साथ-साथ वयस्कों में भी हो सकता है। वर्तमान समय में इस किडनी कैंसर का उपचार उपलब्ध है, जिसकी मदद से इससे आसानी से छुटकारा पाया जाता है। बच्चों की तुलना में वयस्कों में इस कैंसर की पहचान करना आसान माना जाता है।

हॉर्सशू किडनी

किडनी की यह बीमारी गर्भवस्था के दौरान ही होती है। इस बीमारी में दोनों किडनियां आपस में निचे से जुड़ जाती है और हॉर्सशू यानि घोड़े की नाल के आकार जैसी बन जाती है। हॉर्सशू किडनी को वृक्क संलयन के नाम से भी जाना जाता है। यह लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक पाया जाता है। यह कई मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखा सकता है। इस स्थिति में, प्रोटीन और खनिज बच्चे की किडनी में जमा हो जाते हैं और किडनी में पथरी का निर्माण होने लगता है। इसके कुछ महत्वपूर्ण लक्षण हैं जैसे अचानक पेशाब आना, पेशाब में दुर्गंध आना, पेशाब करने पर दर्द होना आदि। किडनी की यह बीमारी लाखों में से एक को होती है।

बच्चों की किडनी किन वजहों के चलते विकारों से घिर जाती है?

किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक समस्या होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसी प्रकार बच्चों में भी किडनी से जुडी बीमारी होने के पीछे कई कारण होते है, जिनसे प्रभावित होकर किडनी खराब या विकारों से घिर जाती है। कुछ बच्चों में मूत्र प्रणाली में आई समस्या के चलते उनकी किडनी विकार से बड़ी जल्दी घिर जाती है। किडनी से जुडी कोई भी समस्या अल्पकालिक या स्थायी दोनों हो सकती है, लेकिन उचित और समय पर उपचार मिलने से किडनी के विकारों से जीता जा सकता है। बच्चों में किडनी रोग होने के निम्नलिखित कारण देखे जाते हैं :-

जन्म दोष

बच्चों में पाई जाने वाली किडनी की बीमारी अक्सर जन्म से ही होती जोकि तकरीबन अनुवांशिक ही होती है। वहीं कई बार बच्चों के जन्म के दौरान हुई कुछ समस्याओं के कारण से भी बच्चों की किडनी विकारों से घिर जाती है। जन्म के समय बच्चों में मूत्र प्रणाली यानि मूत्र वाहिनी, मूत्रमार्ग और मूत्राशय में कोई दोष उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण उनका मूत्रमार्ग अवरुद्ध होने लगता है। मूत्रमार्ग अवरुद्ध होने के चलते बच्चों में पेशाब कम मात्रा में आता है और कई बार पेशाब वापिस किडनी की ओर चला जाता है, जिसके चलते किडनी प्रभावित हो जाती है। जन्म से पहले भी बच्चों में ऐसी समस्या देखि जाती है, जिसे हाइड्रोनफ्रोसिस के नाम से जाना जाता है। भूर्ण में होने वाली हाइड्रोनफ्रोसिस की बीमारी के चलते किडनी के आकार का उचित रूप से विकास नहीं हो पाता, जिसमे दोनों किडनी बड़ी या छोटी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान ही इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

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