बाधित मूत्र प्रणाली को कैसे समझे और क्या इससे किडनी प्रभावित होती है?

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बाधित मूत्र प्रणाली को कैसे समझे और क्या इससे किडनी प्रभावित होती है?

मूत्र द्वारा हम किसी मनुष्य के स्वास्थ्य के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन क्या हो अगर किसी व्यक्ति को मूत्र से जुड़ी किसी समस्या का सामना करना पड़े? निश्चित रूप से यह काफी गंभीर समस्या है, वैसे तो मूत्र से जुड़ी सभी समस्याएँ गंभीर होती है लेकिन मूत्र प्रणाली का बाधित होना सबसे गंभीर समस्या है। मूत्र प्रणाली के बाधित होने का सीधा मतलब होता है कि आपकी किडनी जल्द ही किसी गंभीर समस्या की चपेट में आने वाली है या आ चुकी है। मूत्र प्रणाली की यह समस्या अचानक या धीरे-धीरे ( हफ्तों या महीनों) में विकसित हो सकती है। इसमें मूत्र पथ पूरी तरह या केवल आंशिक रूप से बाधित हो सकता है, जिससे एक या दोनों किडनियां प्रभावित हो सकती है।

मूत्र प्रणाली कैसे काम करती है?

किडनी हमारे शरीर में रक्त शोधन के दौरान पेशाब का निर्माण करती है। आपकी किडनी निरंतर मूत्र का निर्माण करती है जो कि किडनी से बूंद-बूंद कर मूत्र-नलिका की मदद से लगातार बहते हुए मूत्राशय तक पहुँचता है। मूत्राशय मांसपेशियों से मिलकर बना है और यह किडनी द्वारा बनाए गये सारे पेशाब को अपने अंदर जमा कर के रखता है। जब मूत्राशय में पेशाब भरने लगता है तो वह एक गुब्बारे के समान फूलता है। इस कार्य में आपके मूत्राशय के चारों ओर की मांसपेशियों द्वारा मदद की जाती है जो कि आपके मूत्रमार्ग को घेरे रहती और मदद करती है। जब मूत्राशय में एक निश्चित मात्रा में पेशाब जमा हो जाता है यानि मूत्राशय भर जाता तब आपको पेशाब जाने की इच्छा महसूस होती है और आपके मूत्राशय की मांसपेशियाँ सिकुड़ (संकुचित हो) जाती है। इसके बाद मूत्रमार्ग और श्रोणि के सतह की मांसपेशियाँ मूत्र को बाहर निकलने की अनुमति देकर आराम की स्थिति में पहुँच जाती है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आई किसी छोटी-सी भी समस्या के चलते मूत्र प्रवाह बाधित हो सकता है।

बाधित मूत्र प्रणाली और किडनी को ऐसे समझे

मूत्र प्रणाली के बाधित होने की संभावना किसी भी उम्र में हो सकती है, बच्चों में मूत्र पथ जन्म दोषों के कारण प्रभावित होती है। मूत्र प्रणाली बाधित होने की समस्या पुरुषों में विशेष रूप से 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के होने की अधिक संभावना होती है, क्योंकि पुरुषों की उम्र के रूप में प्रोस्टेट ग्रंथि आकार में वृद्धि (सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया नामक एक स्थिति) और मूत्र प्रवाह अवरुद्ध की समस्या हो जाती है। जबकि महिलाओं में मूत्र पथ बाधित किसी भी उम्र में और सबसे ज्यादा होता है। आकड़ों की माने तो 8-9 प्रतिशत महिलाऐं इस बीमारी की शिकार होती है और 5 प्रतिशत पुरुष इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसके पीछे एक ही सबसे बड़ा कारण है महिलाओं की जैविक संरचनाओं में पुरुषों के मुकाबले अंतर।

आमतौर पर, किडनी के बहुत कम दबाव में पेशाब बाहर निकल जाता है, लेकिन अगर मूत्र का प्रवाह बाधित हो जाता है, तो मूत्र रुकावट के बिंदु से पीछे हट जाता है, अंत में किडनी और उसके एकत्रित क्षेत्र (वृक्कीय श्रोणि) की छोटी नलियों तक पहुंच जाता है। जिसके कारण किडनी में सूजन (डिस्टेंडिंग) हो जाती है और इसकी आंतरिक संरचनाओं पर दबाव बढ़ जाता है। इस तरह के किडनी की गड़बड़ी को हाइड्रोनफ्रोसिस कहा जाता है। मूत्र प्रणाली में आई इस रुकावट के कारण ऊंचा दबाव बनने लगता है जिससे अंततः किडनी को नुकसान पहुँचने लगता है, इसके परिणामस्वरूप किडनी तेजी से खराब होना शुरू हो जाती है।

जब मूत्र का प्रवाह बाधित होता है, तो पथरी बनने की संभावना अधिक होती है। मूत्र के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने पर संक्रमण विकसित हो सकता है, क्योंकि मूत्र पथ में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया शरीर से बाहर नहीं जा पाते और वह किडनी की ओर बढ़ने लगते हैं। जब बैक्टीरिया किडनी तक पहुँचने लगते हैं, तो किडनी संक्रमित होने और किडनी में सूजन आने का खतरा काफी बढ़ जाता है।  ऐसे में अगर दोनों किडनियां प्रभावित हो जाए तो रोगी की किडनी खराब होने की संभावना अधिक हो जाती है।

लंबे समय तक मूत्र प्रणाली बाधित होने के कारण वृक्कीय श्रोणि (Renal pelvis) और मूत्रवाहिनी की मांसपेशियों में संकुचन देखा जा सकता है। मुत्रवाहिनी किडनी से होते हुए पेशाब को मूत्राशय (पेरिस्टलसिस) तक ले जाने का काम करती है। निशान ऊतक (Scar tissue) तब मूत्रवाहिनी की दीवारों में सामान्य पेशी ऊतक (Muscle tissue) की जगह ले सकता है, जिसके परिणामस्वरूप स्थायी क्षति होने का खतरा रहता है। आंशिक और पूर्ण रुकावट के कारण समान समस्याएं होती है, लेकिन बाधाएं पूरी होने पर अधिकांश समस्याएं और विशेष रूप से किडनी की क्षति अधिक गंभीर होती है।

मूत्र वाहिनी या प्रणाली बाधित क्यों होती है?

मूत्र प्रणाली में बाधा अपने आप नहीं आती, इसके पीछे निम्नलिखित कारण माने जाते हैं :-

  1. किडनियां ठीक से काम कर रही है, लेकिन उन्हें उचित मात्रा में खून नहीं मिल रहा। जिसके चलते पेशाब का निर्माण नहीं हो पाता।
  2. शरीर में पानी की कमी के कारण से भी मूत्र प्रणाली बाधित हो सकती है।
  3. दवाओं या विषाक्त पदार्थों के कारण भी यह स्थिति हो सकती है।
  4. गंभीर संक्रमण से जूझने के कारण से भी यह स्थिति पैदा हो सकती है, उदाहरण के लिए किडनी और मूत्र पथ संक्रमण।
  5. शरीर में पानी की कमी होने से उल्टी, दस्त या बुखार हो जाना और साथ ही साथ पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ ना लेना।
  6. मूत्र मार्ग पूरी तरह से रुक जाना, जो आमतौर पर प्रोस्टेट बढ़ना व अन्य समस्याओं के परिणामस्वरूप होता है।
  7. प्रोस्टेट के आकर में वृधि होने के कारण से भी मूत्र मार्ग पूरी तरह से रुक जाता है।
  8. किडनी में सूजन या किडनी क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण से भी पेशाब आने में समस्या हो सकती है।
  9. इस समस्या के पीछे कुछ दवाएं भी हैं, जो किडनी के लिए हानिकारक हो सकती हैं, जैसे -कीमोथेरेपी, इम्यूनोसुप्रेसेंट्स दवाएं और कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं।
  10. रक्त विकार या रक्त संक्रमण के चलते भी यह स्थिति हो सकती है।

उपरोक्त कारणों के अलावा भी निम्न समस्याओं से भी मूत्र प्रणाली बाधित हो सकती है

  1. 65 साल व उससे अधिक उम्र,
  2. निम्न उच्च रक्तचाप होने के कारण,
  3. लिवर रोग होने के कारण,
  4. दीर्घकालिक किडनी रोग,
  5. हार्ट फेल हो जाना,
  6. मधुमेह होने के कारण,
  7. मूत्रवाहिनी में पॉलीप्स,
  8. मूत्रवाहिनी में रक्त का थक्का,
  9. मूत्रवाहिनी में या उसके पास का ट्यूमर,
  10. मूत्राशय (मूत्रवाहिनी) में मूत्रवाहिनी के निचले सिरे को उभारना,
  11. ट्यूमर, फोड़े, और मूत्राशय, गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय, प्रोस्टेट, या अन्य पेट के अंगों के अल्सर,
  12. मलाशय में मल का एक बड़ा द्रव्यमान (मलाशय प्रभाव)।

मूत्र प्रणाली बाधित होने पर इसकी पहचान कैसे की जा सकती है?

मूत्रमार्ग की रुकावट के कोई संकेत या लक्षण नहीं हो सकते हैं। संकेत और लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि अवरोध कहां होता है, चाहे वह आंशिक या पूर्ण हो, यह कितनी जल्दी विकसित होता है और क्या यह एक या दोनों गुर्दे को प्रभावित करता है। इन सभी स्थितियों के आधार पर यह समस्या होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं :-

  1. दर्द (पेशाब करते हुए, किडनी में और लिंग में)
  2. मूत्र की मात्रा में परिवर्तन
  3. पेशाब करने में कठिनाई
  4. मूत्र में रक्त आना
  5. बार-बार मूत्र मार्ग में संक्रमण होना
  6. उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप
  7. दिन में 400 मिली/लीटर से भी कम पेशाब कर पाना
  8. चिड़चिड़ापन होना
  9. पानी पीने पर भी मुंह सूखना
  10. बार-बार प्यास लगना
  11. मांसपेशियों का कमजोर होना
  12. गहरे रंग का पेशाब आना
  13. आंखे धंस जाना
  14. आंखों से कम आंसू आना
  15. सुस्ती रहना
  16. हृदय की धड़कन बढ़ना
  17. कम भूख लगना
  18. उल्टी आना
  19. हड्डियों में दर्द होना
  20. त्वचा पीली पड़ना
  21. मुंह से बदबू आना

लक्षणों के अलावा इस गंभीर समस्या की पहचान कैसे की जाए?

अगर आप उपरोक्त लिखे लक्षणों को अपने अंदर या अपने किसी प्रिय में महसूस कर रहे हैं, तो आपको तुरंत चिकित्सक से इस बारे में बात करनी चाहिए। चिकित्सक आपको निम्नलिखित जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं, जिनकी मदद से मूत्र प्रणाली में आई परेशानी की पुष्टि की जा सकती है :-

यूरिन टेस्ट – इस जांच में पेशाब मौजूद प्रोटीन, सफेद रक्त कोशिकाओं और लाल रक्त कोशिकाओं की जांच की जाती है। जांच के माध्यम से मूत्राशय में संक्रमण, किडनी में आई सूजन आदि का पता लगाया जाता है।

यूरिन कल्चर – इस जांच में पेशाब का नमूना लेकर उसमे बढ़ने वाले जीवाणुओं की गणना की जाती है। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि जीवाणु कितनी मात्रा में बढ़ रहे हैं या नहीं है। इस जांच का इस्तेमाल मूत्राशय व किडनी में संक्रमण की पुष्टि करने के लिए किया जाता है।

अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड जांच में ध्वनि तरंगों की मदद से यह पता लगाया जाता है कि किडनी के अंदर कोई गांठ तो नहीं बनी हुई है। यदि गांठ बनी हुई है तो वह कैंसर युक्त तो नहीं है या फिर उसमें कोई द्रव तो नहीं भरा है।

रक्त जांच – रक्त जांच के द्वारा शरीर की कई स्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। मूत्र प्रणाली बाधित होने पर रक्त जांच द्वारा मूत्र पथ में संक्रमण, गुर्दे खराब होना, एनीमिया और खून बहना आदि स्थितियों का पता लगाया जाता है। इस जांच की मदद से रक्त में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों और रसायनों के बारे में भी पता लगाया जाता है। रक्त में रसायन बढ़ने से किडनी खराब हो सकती है।

सीटी स्कैन –  पेट व पेल्विस का सीटी स्कैन किया जाता है। सीटी स्कैन एक प्रकार की एक्स रे प्रक्रिया होती है, जिसमें अलग-अलग जगह से तस्वीरें ली जाती हैं। सीटी स्कैन की मदद से अंदरुनी अंगों को और स्पष्ट रूप से देखा जाता है।

क्या घरेलु उपायों की मदद से इस समस्या से राहत मिल सकती है?

जब किसी व्यक्ति को पेशाब आने में समस्या होती है उसे चिकित्सक से इस बारे में बात करनी चाहिए ताकि वह उसका उपचार शुरू कर सकें। इसके अलावा वह कुछ घरेलु आयुर्वेदिक उपायों की मदद से इस गंभीर समस्या से छुटकारा पा सकता है। हमने यहाँ कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताएं हैं, जिनका प्रयोग कर आप अपनी बाधित मूत्र प्रणाली को दुरुस्त कर सकते हैं :-

  • 4 ग्राम सज्जीखार को पीसकर छाछ में मिलाकर पीने से बंद पेशाब खुल कर आने लगता है। आप छाछ में सेंधा नमक डाल सकते हैं।
  • शोराकलमी, जवाखार, रेवन्दचीनी और सौंफ को 2-2 ग्राम की बराबर मात्रा में एक साथ पीस लीजिये और इसका चूर्ण तैयार कर लें। तैयार इस चूर्ण में 8 ग्राम खांड को मिलाकर आधे गिलास पानी के साथ लेने से पेशाब बंद होने के रोग मे लाभ होता है।
  • गोपी चन्दन को पीसकर नाभि पर लेप करने से पेशाब बंद होने का रोग दूर हो जाता है।
  • लिंग के छेद के अन्दर थोड़ा सा कपूर डालने से बंद पेशाब के रोग में आराम आ जाता है। आप इसके लिए किसी चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
  • 5 ग्राम जौखार को 2 गिलास छाछ के साथ मिलाकर पीने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है।
  • आधा ग्राम कांच को पीसकर ज्यादा पानी के साथ रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है। आप इसके सेवन से पहले रोगी की स्थिति की अच्छे से जांच कर लें, अगर रोगी बालक है तो इसका सेवन ना करे। इसके अलावा इस उपाय का इस्तेमाल किसी चिकित्सक या अनुभवी की निगरानी में ही करें।
  • ढाक के फूलों को काफी गर्म पानी में डालकर निकाल लें। इस गर्म-गर्म ही नाभि के नीचे बांधने से पेशाब खुलकर आने लगता है।
  • अजवायन की मदद से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। ठंडी प्रकृति वाले रोगी को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन को शहद के साथ और गर्म प्रकृति वाले को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन सिरके के साथ देने से बंद पेशाब आना शुरू हो जाता है।
  • पेशाब ना आने पर 1 ग्राम राई और 1 ग्राम कलमी शोरा को पीसकर इसमें 2 ग्राम खांड को मिलाकर हर 2-2 घंटे के बाद 2-2 ग्राम की मात्रा में पीने से बंद पेशाब खुल जाता है।
  • पीपल, कालीमिर्च, छोटी इलायची और सेंधानमक को 5-5 ग्राम मात्रा में लेकर इसे पीसकर और छानकर इसका चूर्ण बना लीजिये। अब आधा चम्मच चूर्ण को शहद में मिलाकर रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग दूर हो जाता है।
  • 1 छोटा चम्मच एरंड का तेल बच्चे को पिलाने से बच्चे का बंद पेशाब खुल जाता है।

इन घरेलु उपायों को अपनाने के अलावा आपको निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना चाहिए

  • धुम्रपान ना करें।
  • पेशाब को ना रोके, मूत्र संक्रमण में ऐसा करने से आपकी किडनी खराब हो सकती है।
  • पुरुष हस्तमैथुन ना करे, इससे लिंग पर दबाव पड़ता है।
  • गर्म जगह और धुप में ज्यादा देर ना रुके।
  • योगांग के ब्लैडर की गर्म पानी से ना सिकाई करे।

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