बॉडी की कई ऐसी समस्याएं है जो हम पेशाब के जरीए पता कर सकते हैं, लेकिन कई बार हम इस पर ध्यान नहीं देते हैं जिससे शरीर में गंभीर समस्या होने लगती हैं। यदि इसकी समय पर पहचान कर ली जाए तो बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता हैं। लंबे समय तक पेशाब में झाग बने तो इस प्रॉब्लम को इग्नोर न करें। ये इंफेक्शन या किडनी से रिलेटेड प्रॉब्लम्स का संकते हो सकता हैं। साथ ही पेशाब का रंग देखकर भी बीमारियों का पता लगाया जा सकता हैं।
यदि पेशाब का रंग डार्क पीला हो जाए तो ये लिवर की समस्या, पीलिया और रक्त की कमी का संकेत हो सकता हैं। कई बार दवाइयों की वजह से इसका रंग डार्क पीला हो जाता हैं। पेशाब का रंग गहरा लाल हो रहा हैं तो ये मलेरिया की बीमारी और किडनी के खराब या पीलिया के संकेत हो सकते हैं। पेशाब का रंग चॉकलेटी हो रहा है तो ये पथरी या किडनी में रक्त का थक्का जमा होने या ट्यूमर में जमा रक्त यूरिन में आने का संकेत हो सकता हैं।
मूत्र में प्रोटीन आने के संकेत –
मूत्र में प्रोटीन आने के सामान्य लक्षण है कि पेशाब में झाग या बुलबुले आने लगते हैं, लेकिन अन्य कारणों से भी ऐसा हो सकता हैं कि अगर हमेशा मूत्र में झाग आ रहा है तो ये मूत्र में प्रोटीन के कारण हो सकते हैं। मूत्र की ऐसी स्थिति में डॉ. पुनीत से अपना आयुर्वेदिक इलाज जरूर करवाएं।
मूत्र में प्रोटीन आने के कारण –
पेशाब में प्रोटीन आने के कई कारण हो सकते हैं जो स्वस्थ शरीर को बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन मिलता है तो शरीर अतिरिक्त प्रोटीन को मूत्र के रास्ते बाहर निकाल देता हैं। किडनी को यह काम करने में समस्या हो सकती हैं इस कारण से पेशाब में प्रोटीन आने से पेशाब में झाग आने लगता हैं। पेशाब में प्रोटीन की निम्न मात्रा सामान्य होती हैं, लेकिन पेशाब में अगर सामान्य से ज्यादा प्रोटीन है तो ये किडनी की खराबी की ओर भी संकते करता हैं। पेशाब में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो तो चिकित्सक से उचित जांच करानी चाहिए। किडनी खराबी के कारण है तो पेशाब में प्रोटीन आ सकता हैं, लेकिन किडनी खराबी के अलावा अन्य कई कारणों से या कई बीमारियों में पेशाब में प्रोटीन आ सकता हैं।
- किडनी में खराबी आना
- पेशाब में प्रोटीन के स्तर को अस्थायी रूप से बढ़ाने वाली बीमारियां
- कुछ बीमारी जो पेशाब में प्रोटीन के स्तर को लगातार बढ़ाए रहते हैं
- अमाइलोइडोसिस
- किडनी की पुरानी बीमारी
- मधुमेह की समस्या
- एंडोकार्डिटिस
- ग्लोमेरूलोनेफाइटिस
- दिल की बीमारी
- हाई ब्लड प्रेशर
- हार्ट अटैक
- होजकिन रोग
- पाइलोफोर्टिस
- लुपुस
- मलेरिया
- मयलोमा
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम
- ओर्थोस्टैटिक प्रोटीनुरिया
- प्रकगर्भाक्षेपक
- गर्भावस्था
- रूमेटियड गठिया
- सर्कोइडोसिस
- सिकल सेल एनीमिया
मूत्र में प्रोटीन आने के घरेलू उपचार
किडनी खराब होने से बचने के लिए बहुत से उपाय बताए जाते हैं लेकिन सबसे सस्ता और कारगर उपाय है तो वह आयुर्वेद में हैं। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भरोसा रखने वाले जानकारों के अनुसार किडनी को सुरक्षित रखने के लिए सबसे कारगर उपाय धनिया की पत्तियों को उबालकर उसके जूस का सेवन करना चाहिए हैं। ऐसा माना जाता हैं कि धनिया की पत्तियों को उबला कर उसका जूस पीने से किडनी साफ होती हैं। किडनी के अंदर से अपशिष्ट पदार्थ पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर आ जाते हैं। किडनी शरीर में फिल्टर मशीन की तरह काम करती हैं।
मूत्र में प्रोटीन का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था यहां किडनी किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता हैं। किडनी की समस्या एक गंभीर बीमारी है जिसमें लोगों की जान भी जा सकती हैं, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा एकमात्र उपचार केंद्र है जो आयुर्वेदिक किडनी औषधि से मरीजों का उपचार करते हैं। इस अस्पताल के नेतृत्व में धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन हैं। उन्होंने सफलतापूर्वक और आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा किडनी के मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। साथ ही मूत्र में प्रोटीन आने की समस्या से भी निजात दिलाई हैं।
बता दें कि आयुर्वेद चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान हैं। इसमें जड़ी-बूटियों और ऑरगेनिक का इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों जैसे की वरूण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसे जड़ी-बूटियों से बनता हैं। ये जड़ी-बूटियां 100 प्रतिशत प्राकृतिक होती हैं और इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। कर्मा आयुर्वेदा में प्रोकृतिक जड़ी-बूटियों और पूर्व ऐतिहासिक तकनीकों के इस्तेमाल के साथ हजारों किडनी रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता हैं।