हम इस बात से भली भांति वाकिफ़ है की स्वस्थ किडनी हमारे लिए किडनी जरुरी है। बावजूद इसके हम इस तरफ कोई खास ध्यान नहीं रख रहे है। लगातार बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण के कारण हमारी किडनी ख़राब हो रही है। आजकल हम किसी भी समय कुछ भी खा लेते है। उदाहरण के लिए रात को हमे हल्का खाना ही खाना चाहिए, कम मसाले वाले भोजन की खाने में शामिल करना चाइये।
लेकिन हम रात को भी भरी खाना खाते है। भोजन के प्रति हमारी इन गलत आदतों के कारण हमारा शरीर बिमारियों का घर बनता जा रहा है। भोजन के कारण हमारे शरीर में कई प्रकार की बीमारियां हो सकती है। जैसे पेट संबंधित रोग, दिल की बीमारी, रक्त में ऑक्सीजन की कमी, मधुमेह, रक्तचाप में बार-बार परिवर्तन आदि। लेकिन भोजन के कारण हमें होने वाली सबसे बड़ी और खतरनाक बीमारी है किडनी का ख़राब होना।
वैसे तो हमारी किडनी और भी कई कारणों से ख़राब हो जाती है लेकिन ख़राब भोजन के सेवन का सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। जो जानलेवा है। हमारी किडनी भोजन को पचाने के लिए हमारी मदद करती है। भारी भोजन को पचाने के लिए किडनी को अपनी क्षमता से अधिक कार्य करना पड़ता है। रोज़ ऐसा होने पर किडनी ख़राब हो जताई है। इस बात को हम एक उदाहरण की सहायता से भी समझ सकते है, जिस प्रकार एक गाड़ी केवल 50 लोगो का ही बोझ वहन कर सकती है लेकिन हम उस गाड़ी पर उसकी क्षमता से अधिक लोगो को सवार करा दें तो यह गाड़ी अपना सफर पूरा किये बिना ही बीच में ख़राब हो जायगी। ठीक इसी प्रकार हमारी किडनी काम करती है।
किडनी का कार्य :-
किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी हमारे शरीर में संतुलन बनाने का काम करती है। किडनी हमारे शरीर में रक्त का शुद्धिकरण, अपशिष्ट उत्पादों को निकलना, शरीर में पानी का संतुलन, अम्ल और क्षार का संतुलन, रक्त के दबाव पर नियंत्रण, रक्तकणों के उत्पादनमें सहायता, हड्डियों की मजबूती आदि। इसके साथ ही किडनी हमारे भोजन को भी पचाने में अपना एक जरुरी रोग अदा करती है। आहार की विविधता के कारण शरीर में पानी की मात्रा, अम्लीय और क्षारिय पदार्थों की मात्रा में निरंतर परिवर्तन होता हैं। आहार के पाचन के दौरान कई अनावश्यक पदार्थ शरीर में उत्पन्न होना। शरीर में अनावश्यक द्रव्यों और पदार्थों को पेशाब द्वारा दूर कर रक्त को शुद्धिकरण करती हैं।
किडनी ख़राब होने के लक्षण :-
किडनी ख़राब होने की स्थिति में हमें इसके कई लक्षण दिखाई देते है। जिसकी पहचान कर हम इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा सकते है। लेकिन जागरूकता कम होने के कारण हमें इस बारे में पता ही नहीं चल पता। दूसरा हमारी किडनी धीरे-धीरे और एक लंबे समय के बाद ख़राब होती है। इस बारे में जब तक पता चलता उस समय तक काफी देर हो चुकी होती है।
जब हमें अपनी खरब किडनी की खबर मिलती है उस समय हमारी किडनी 60-65% तक ख़राब हो चुकी होती है। किडनी ख़राब होएं के समय हमारे शरीर में इसके कई लक्षण दखाई देते है।जिनकी पहचान कर हम ख़राब किडनी को जल्द ही ठीक करा सकते है। किडनी ख़राब होने पर हमारे शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है-
- थकान और कमजोरी
- शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
- सांस लेने में दिक्कत
- खराब गंध मूत्र
- सुस्ती और नींद ज्यादा आना
- वजन बढ़ना या घटना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- पेशाब में रक्त आना
- पेशाब का बार-बार आना
- पेशाब करते वक्त जलन या दर्द होना
यदि आप उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो इसे अनदेखा ना करे। अच्छे स्वास्थ्य में शरीर के सभी अंगों को सुचारू संचालन बेहद जरूरी हैं। किडनी हमारे शरीर में दिन रात काम करती हैं और हमें स्वस्थ रखती हैं। इसलिए दिए इन लक्षणों के अनदेखा न करें। यदि आप इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करते है तो एक दिन आप किसी बड़ी बीमारी की गिरफ्त में आ सकते है।
यदि समय रहते इसके बारे में पता न चले तो खून को साफ करने के लिए डायलिसिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है या किडनी बदलवानी पड़ती है , जो एक लंबी, खर्चीली और कष्टकारी प्रक्रिया है। किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा हर जगह उपलब्ध भी नहीं है। लेकिन हम आयुर्वेदिक तरीके से इस खतरनाक बीमारी से मुक्त हो सकते है।
किडनी का मुख्या कार्य रक्त शोधन करना होता है। यदि किडनी ही ख़राब हो जाएगी तो हमारा रक्त कैसे साफ़ होगा। किडनी को पुनः ठीक करने करने के लिए हमारे दिमाग में सबसे पहले एक ही उपचार आता है। वो है 'डायलिसिस', आज के समय में लोगो की यह धारणा बन चुकी है की किडनी को ठीक करने के लिए केवल "डायलिसिस" ही एक मात्र उपचार है। वहीं एक समय ऐसा भी आता है जब डायलिसिस द्वारा भी किडनी को ठीक करना मुश्किल हो जाता है। उस समय डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते है।
अंग्रेजी दवाओं के सहारे से हमें किसी भी बीमारी में जल्द ही राहत मिलनी शुरू हो जाती है। लेकिन वह राहत किसी पानी के बुलबुले की भांति क्षणभंगुर होती है। अंग्रेजी दवाएं हमें बीमारी राहत तो जरूर देती है लेकिन वह उसे जड़ से खत्म नहीं करती। जैसे ही आप उपचार बंद करते हो कुछ समय बाद बीमारी अपना सर फिर से उठाना शुरू कर देती है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज उपलब्ध है। आयुर्वेद की सबसे उत्तम बात यह है की आयुर्वेद बीमारी को जड़ से ख़त्म करता है। ना की अंग्रेजी दवाओं की तरह सिर्फ कुछ समय के लिए रहत देता है। बता दें की अंग्रेजी दवाएं बीमारी को जड़ से ख़तम नहीं करती। आयुर्वेदिक तरीके से किया गया इलाज भले ही धीरे-धीरे से अपना असर दिखाना शुरू करता है लेकिन वह शरीर को कोई और हानि नहीं पहुँचता।
आप आयुर्वेद की सहायता से भी "किडनी फेल्योर" जैसी बीमारी से मुक्ति पा सकते है। "कर्मा आयुर्वेदा" से संपर्क साध आप प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक पद्धत्ति से किडनी फेल्योर से निजात पा सकते है। कर्मा आयुर्वेद मरीजों का इलाज पूर्णतः आयुर्वेद के आधार पर ही करता है। कर्मा आयुर्वेद की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभल रहे है।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है।