मोटापा कैसे किडनी रोगी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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मोटापा कैसे किडनी रोगी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है?

मोटापा वैसे तो एक बीमारी है, लेकिन शुरुआत से इसे सुन्दरता के मानक की तरह देखा जाता है। यह एक बीमारी है जिसमे शरीर में वसा की मात्रा अधिक हो जाती है। यह अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है और विभिन्न अंगों के कामकाज को नुकसान पहुंचाता है, जिसमे किडनी भी एक ऐसा अंग है जो मोटापे से प्रभावित होता है। किडनी हमारे शरीर का सबसे खास अंग है जो कि हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ करने का काम करता है। लेकिन बहुत से कारणों के चलते कई बार किडनी खराब हो जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

वैसे तो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ज्यादा दवाएं लेने की आदत और मूत्र संक्रमण जैसी समस्याएँ किडनी खराब होने के मुख्य कारण माने जाते हैं, लेकिन देखा जाए तो मोटापा किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण है। क्योंकि यह सभी समस्याएँ मोटापे के कारण बड़ी तेज़ी से विकसित होती है और शरीर के सभी अंगों खासकर किडनी को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर के 18% पुरुष और 21% महिलाएं माटापे का शिकार है। मोटापा क्रोनिक किडनी रोग और एंड-स्टेज रीनल डिजीज (end stage renal diseases) के विकास के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में, मोटे या अधिक वजन वाले लोगों में एंड-स्टेज रीनल डिजीज होने की संभावना 7 गुना तक बढ़ जाती है।

मोटापा क्या है?

मोटापा एक जटिल विकार है जिसमें शरीर में वसा की मात्रा अधिक हो जाती है। मोटे या बेहद मोटे होने का मतलब है कि आपको विशेष रूप से अपने वजन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना है। मामूली वजन घटाने से मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार या रोकथाम हो सकती है। आहार में बदलाव, शारीरिक गतिविधि में वृद्धि और व्यवहार में बदलाव आपको वजन कम करने में मदद कर सकते हैं। जब किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 या उससे अधिक होता है तो उसे जल्द से जल्द अपना वजन कम करने की कोशिश करनी चाहिए। किसी व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना यह जानने के लिए की जाती है कि वह मोटा है या नहीं। बॉडी मास इंडेक्स की गणना इस प्रकार की जाती है:

  • बीएमआई = किलोग्राम / एम 2
  • केजी = किलोग्राम में व्यक्ति का वजन
  • एम 2 = मीटर वर्ग में व्यक्ति की ऊंचाई

मोटापा किडनी रोग के रोगियों को इस प्रकार प्रभावित करता है

किडनी रोग से छुटकारा पाने तक किडनी रोगियों का वजन बढ़ता है, क्योंकि किडनी रोगों के दौरान शरीर में बहुत सारे अपशिष्ट उत्पाद और तरल उत्पादों (पानी) की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण रोगी का वजन बढ़ जाता है। वैसे तो रोगी का वजन आराम-आराम से बढ़ता है जिससे नेफ्रॉन पर वर्कलोड बढ़ने लगता है। लेकिन कई बार देखा गया है कि वजन अचानक भी बढ़ जाता है जिससे नेफ्रॉन पर वर्कलोड तेजी से बढ़ता है और वह तेज़ी से क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।  नेफ्रॉन के क्षतिग्रस्त होने के कारण किडनी अपना काम सही से नहीं कर पाती और शरीर में अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा तेज़ी से बढ़ती है जिससे किडनी रोगी को अधिक शरीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में रोगी का रक्तचाप उच्च होता जाता है इसके अतिरिक्त उसे हृदय और लीवर से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। कुछ शोधों की माने तो जिन लोगो की किडनी मोटापे के कारण खराब हुई है उन्हें दिल का दौरा आने की संभावना अधिक होती है। मोटापा सोडियम पुनर्संयोजन को बढ़ाता है जो इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बढ़ाना शुरू करता है, जिसके कारण किडनी को उच्च रक्तचाप से होने वाली गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  मोटापा किडनी वासोडिलेशन और ग्लोमेरुली को इस प्रकार प्रभावित करता है कि आखिर में किडनी खराब हो जाती है। अगर किडनी रोगी पहले से ही मोटापे से जूझ रहा होता है तो उसके पेशाब में प्रोटीन आने की संभवना भी बढ़ जाती है। इसके अलावा मोटापा चयापचय सिंड्रोम की ओर भी जाता है।

किडनी की बीमारी के मरीज को कैसे पता चलेगा कि मोटापे के चलते उसकी सेहत बिगड़ रही है?

जो व्यक्ति किडनी से जुड़े किसी रोग से जूझ रहे हैं उनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है जिसको प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। लेकिन क्या वजन बढ़ने के कारण उनकी सेहत बिगड़ रही है या नहीं इस बारे में कुछ लक्षणों के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। किडनी रोगी निम्नलिखित लक्षणों से इस बारे में पता लगा सकते हैं :-

  • उदर क्षेत्र (Abdominal area) या मध्य शरीर के आकार में वृद्धि होना,
  • रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) का उच्च स्तर होना,
  • रक्त में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी आना,
  • लगातार उच्च रक्तचाप होना,
  • खाली पेट होने पर भी रक्त में शर्करा का स्तर उच्च रहना।

क्या किडनी रोगी इस समस्या से निजात नहीं पा सकते?

नहीं ऐसा नहीं है, किडनी रोगी आयुर्वेदिक किडनी उपचार लेकर इस समस्या से बढ़ी आसानी से निजात पा सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार लेने से किडनी रोगी को ना केवल इस समस्या से छुटकारा मिलेगा बल्कि उसे किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का रूख भी नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेदिक उपचार में बिना डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के ही खराब हुई किडनी को ठीक किया जाता है।

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