यूरीमिया रोग क्या है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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यूरीमिया रोग क्या है?

किडनी मानव शरीर का सबसे खास अंग है, यह मनुष्य को स्वस्थ रखने के लिए बहुत से कार्य करती है, जैसे – रक्त साफ करना, शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालना, पेशाब का निर्माण करना और हड्डियों को मजबूत करना आदि। लेकिन कई बार किडनी कई समस्याओं कि चपेट में आ जाती है, जिसके चलते किडनी अपने के करने में असमर्थ हो जाती है। किडनी से जुड़ी एक ऐसी ही समस्या है “यूरीमिया”। ग्रीक भाषा से आया यह शब्द यूरीमिया दो शब्दों के मेल से बना है “रक्त” और “यूरिया”। जिसका अगर संधिविच्छेद किया जाए तो अर्थ बनता है रक्त में यूरिया का आना। यूरिया आपके लीवर से होते हुए आपकी किडनी से होने वाले रक्तप्रवाह के माध्यम से पुरे शरीर में प्रवाहित होता है। किडनी रक्त को शुद्ध करते समय यूरिया (एक अपशिष्ट उत्पाद) को पेशाब के जरीय शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस कार्य से रसायनों का संतुलन बना रहता है, जिसके चलते व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

सभी स्वस्थ व्यक्तियों को हमेशा खून में कुछ मात्रा में यूरिया होता है। जब शरीर में यूरिया की मात्रा बढ़ने लगती है या किडनी उसे शरीर से बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है तो उस स्थिति में यूरिया रक्त में जाने लगता है। जब यूरिया पेशाब के बजाय रक्त में अधिक मात्रा में जाने लगे तो उस स्थिति को यूरीमिया या ब्लड यूरिया कहा जाता है। आपको बता दें कि यूरीमिया किडनी खराब होने या किडनी से जुड़ी किसी अन्य गंभीर समस्या की तरफ साफ संकेत करता है, इसी कारण इसे किडनी खराब होने का लक्षण माना जाता है। लेकिन कुछ लोग इसे किडनी खराब होने का कारण भी मानते हैं। यूरीमिया के पीछे मुख्य रूप से किडनी में आई कोई खराबी होती है। यह लंबे समय से चल रही किसी स्वास्थ्य समस्या, जैसे मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर या किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली गंभीर चोट या संक्रमण के कारण हो सकता है।

यूरीमिया होने के पीछे क्या कारण है?

अक्सर देखा जाता है, जब किसी व्यक्ति को किडनी से जुडी कोई परेशानी होती है (किडनी फेल्योर) तो उसे यूरीमिया की समस्या हो जाती है। किडनी खराब होने पर किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो उस स्थिति में रक्त में यूरिया की अधिकता होने लगती है। यह क्रोनिक किडनी रोग होने के कारण होता है। क्योंकि आपकी दोनों किडनी अब शरीर से अपशिष्ट को फिल्टर करके मूत्र के माध्यम से बाहर भेजने में सक्षम नहीं रहती हैं। इसके बजाय, वह अपशिष्ट आपके रक्तप्रवाह में चला जाता है, जिससे संभावित जानलेवा स्थिति पैदा हो जाती है। इसी कारण यूरीमिया होने के कारण और क्रोनिक किडनी रोग होने के कारण एक सामान ही होते हैं, जो निम्नलिखित हैं :-

  • उच्च रक्तचाप की समस्या
  • किडनी, किडनी की नलिकाओं या किडनी के आस-पास की संरचनाओ में सूजन आना
  • प्रोस्टेट में वृद्धि होना
  • पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
  • मधुमेह होना (टाइप 1 और टाइप 2)
  • किडनी की फिल्टर करने वाली ग्लोमेरुली नामक यूनिट में सूजन
  • पेट में या पेट के आस-पास कैंसर होना
  • लंबे समय तक किडनी में पथरी होना
  • मूत्र पथ संक्रमण
  • पेशाब से जुड़ी कोई समस्या
  • बार-बार होने वाला किडनी संक्रमण

यूरीमिया होने पर क्या कोई लक्षण भी दिखाई देते हैं?

यूरीमिया की समस्या किडनी की खराबी से जुड़ी हुई है, इसलिए यह समस्या होने पर इसके कई लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं। क्योंकि यूरीमिया किडनी, सिंड्रोम द्रव, इलेक्ट्रोलाइट और हार्मोन असंतुलन और चयापचय संबंधी असामान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यूरीमिया होने पर इसके निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-

  • कमजोरी आना और भ्रम की स्थिति पैदा होना। यह दोनों लक्षण आराम और पोषक आहार लेने के बाद भी दूर नहीं होते,
  • उच्च रक्तचाप रहना,
  • दिल से जुड़ी समस्याएं होना,
  • शरीर में सूजन आना। इसमें विशेष रूप से पैरों और टखनों के आसपास सूजन आती है,
  • सूखी और खुजलीदार त्वचा होना,
  • बार-बार पेशाब आना, क्योंकि किडनी में आई इस खराबी के चलते किडनी अपशिष्ट पदार्थ से छुटकारा पाने के लिए अधिक तेजी से
  • काम करना शुरू कर देती है,
  • उल्टी आना,
  • भूख न लगना,
  • अचानक से वजन कम होना,
  • रक्त में फीकापन आना,
  • पेशाब कम मात्रा में आना,
  • पेशाब में जलन होना और उसमें खून अथवा मवाद का आना,
  • पेशाब करने में तकलीफ होना,
  • बूंद-बूंद पेशाब का उतरना,
  • पेट में गाँठ होना,
  • मानसिक स्थिति में परिवर्तन होना,
  • सांस लेने में समस्या आना, क्योंकि फेफड़ों और छाती के बीच के स्थान में पानी (द्रव) जमा होने लगता है जिसके चलते सांस लेने में
  • समस्या आती है।

यूरीमिया से बचाव कैसे किया जा सकता है?

यूरीमिया से बचाव करने का सबसे उत्तम तरीका है यूरीमिया आयुर्वेदिक उपचार। लेकिन आहार और कुछ चीजों में बदलाव कर इस समस्या से आसानी से बच कसते हैं। यह स्थिति किडनी फेल्योर के चौथे चरण में होना आम माना जाता है। ऐसे में आपको “कर्मा आयुर्वेदा” से आयुर्वेदिक उपचार लेना शुरू करना चाहिए। यूरीमिया की रोक्थक करने के लिए आप निम्नलिखित बातों का खासा ध्यान रखें :

  • मधुमेह नियंत्रित रखे,
  • रक्तचाप को हमेशा काबू में रखने की कोशिश करें,
  • दिल को हमेशा स्वस्थ रखना चाहिए,
  • धूम्रपान नहीं करने से बचना चाहिए,
  • मोटापा कम होने रखे,
  • नियमित युप से व्यायाम करें, स्वस्थ रहें।

कुछ खास पेय की मदद से यूरीमिया से छुटकारा पाया जा सकता है, आप निम्न वर्णित पेय उत्पादों का सेवन कर इस समस्या से छुटकारा पा सकता हैं :-

  • खूब पानी पिये – आप नियमित रूप से खूब पानी पिये। पानी पीने से किडनी डिहाइड्रेशन (dehydration) से बचे रहेंगे, जिससे किडनी पर्याप्त रूप से यूरिया जैसे कई अपशिष्ट उत्पादों को आसानी से पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल सकती है।
  • लाल अंगूर का जूस – लाल अंगूर का जूस ना केवल पीने में स्वादिष्ट होता है बल्कि यह हमारी किडनी रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है, रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ने के कारण किडनी खराब हो जाती है। लाल अंगूर के पोष्टिक तत्वों की बात करे तो आपको बता दें इसमें काफी मात्रा में विटामिन c और उच्च मात्रा में फ़्लवोनोइडस (flavonoids) तत्व मिलते है। फ़्लवोनोइडस एक खास तरह का एंटीओक्सिडेंट है जो रक्त को जमने से रोकता है। रक्त जमने के कारण किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, रक्त में यूरिया की अधिकता के कारण रक्त जमने लगता है। इसके अलावा लाल अंगूर के जूस में भी रेवेर्सटोल नाम का भी एंटीओक्सिडेंट मिलता है, यह रक्त प्रवाह को सुचारू बनाने में मदद करता है। रक्त प्रवाह सुचारू होने और रक्त में थक्का ना बनने से किडनी पर दबाव नहीं पड़ता जिससे चलते यूरिया पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है।
  • सेब का जूस – सेब के नियमित सेवन से आप कई रोगों से बचें रहते है, इसलिए इसे गुणों की खान कहा जाता है। सेब के जूस में उच्च मात्रा में फाइबर और एंटीओक्सिडेंट तत्व मिलते हैं। इसके अलावा 100 ग्राम सेब में 1 मिली ग्राम सोडियम, 107 मिली ग्राम पोटेशियम और 10 मिली ग्राम फोस्फोरस होता है जोकि किडनी रोगी के लिए काफी है। सेब का जूस किडनी की सफाई के अलावा कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद करता है। कोलेस्ट्रोल कम होने से दिल जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा तो कम होता ही है साथ उच्च रक्तचाप की समस्या में भी राहत मिलती है। सेब का जूस रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह काबू में आता है और किडनी पर दबाव नहीं पड़ता। सेब के इन्हीं सभी कार्यों से रक्त में यूरिया का स्तर नहीं बढ़ पाता। क्योंकि किडनी यूरिया को पेशाब के जरिये रक्त से बाहर निकाल देती है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं, वो भी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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