उत्तराखंड, बिहार (विशेषकर नेपाल सीमा), हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, आसाम, मलाबार, कर्नाटक, महारष्ट्र, केरल, आदि क्षेत्रों में पाए जाने वाले वरुण वृक्ष का हमारे जीवन में एक खास महत्व है. शहरों से इतर आदिवासी लोग व कई ग्रामीण इलाकों में इस वृक्ष को एक खास महत्व दिया जाता है। वरुण वृक्ष का उल्लेख चरकसंहिता में नहीं मिलता है, लेकिन इसका प्रथम उल्लेख सुश्रुत, वरुणादिगण, अश्मरी और मूत्रकृच्छ्र चिकित्सा शास्त्र में विस्तृत रूप से मिलता है।
इसके अलावा वृन्द माधव ने वरुण का अश्मरीघ्न-कर्म में उल्लेख किया है। वसंत ऋतु के दौरान इसमें नए पत्ते आते हैं, जिनका आदिवासी लोग साग (सब्जी) बना कर इसका सेवन किया करते हैं। वरुण के पत्तों से बने साग का सेवन कर वह साल भर खुद को कई बीमारियों से दूर रखते हैं। हाँ, खाने में यह जरा भी स्वादिष्ट नहीं होता, यह स्वाद में कसेला होता है, लेकिन उबालने पर इसका पानी अलग कर इसकी सब्जी बनाई जाती है।
अक्सर बाज़ारों में देखा गया है की वरुण की छाल और पत्तों की बिक्री करते हुए दुकानदार (पंसारी) इसके स्थान पर बेल पत्र के पत्ते और उसकी छाल या आलसी आदि वृक्ष की छाल और पत्तों को बेच देते हैं। इसीलिए इसे पंसारी से लेते समय इसकी पहचान जरूर करनी चाहिए। वरुण की सबसे बड़ी पहचान है इसकी गंध। यदि आप वरुण के पत्तों और इसकी छाल को रगड़ें तो इसमें से बहुत तेज़ असहनीय गन्ध आती है तथा स्वाद में कड़वापन, जीभ में कुछ झनझनाहट पैदा करने वाली तीक्ष्णता होती है।
किडनी के लिए इस प्रकार लाभकारी है वरुण
वैसे तो वरुण हमें कई बीमारियों से बचा कर रखता है। लेकिन इसका विशेष प्रयोग किडनी की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। किडनी रोगी के लिए वरुण अत्यंत लाभकारी है। इसके सेवन से हमें किडनी से जुडी कई बीमारी से छुटकारा तो मिलता ही है साथ ही हमें भविष्य में किडनी संबंधित रोग होने के संभावना एक दम खत्म हो जाती है। यह वृक्ष कुछ ऐसी समस्याओं पर काम करता है जिनके कारण से किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है, जोकि निम्नलिखित है :-
- क्रिएटिनिन और ब्लड यूरिया स्तर सुधारे – वरुण वृक्ष को किडनी के लिए अमृत की संज्ञा दी जा सकती है, यह किडनी खराब होने पर शरीर में बढ़ने वाले अपशिष्ट उत्पादों को कम करने में मदद करता है। किडनी खराबी होने पर क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जिनको काबू में करना बहुत ही मुश्किल होता है। ऐसे में इन्हें काबू करने में वरुण की पत्तियां, छाल और फूल तीनो ही उपयोगी है। किडनी फेल्योर के शुरूआती चरण में वरुण की पत्तियां, छाल और फूल से बने काढ़े का प्रयोग कर क्रिएटिनिन और ब्लड यूरिया का स्तर सुधार जा सकता है। लेकिन इसका प्रयोग करने के दौरान चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
- सुजन में राहत दिलाए – वरुण वृक्ष सूजन से राहत दिलाने में मदद करता है। यह विशेषकर हड्डी टूटने के कारण आई सूजन में राहत दिलाने में लाभकारी माना जाता। इसके अलावा यह अन्य सुजन में भी राहत दिलाता है।
- रक्त शोधन – हमारे शरीर में किडनी का विशेष कार्य रक्त को साफ करना होता है। किडनी हमारे खून को साफ करने का सबसे जरूरी काम करता है और खून में पाए जाने वाले सभी खराब तत्वों जैसे – पोटेशियम, यूरिक एसिड, यूरिया, सोडियम आदि को अलग कर देती है। किडनी के इस काम से शरीर से रासायनिक संतुलन बना रहता है। लेकिन जब किडनी खराब हो जाती है तो समय किडनी अपने इस कार्य को करने की स्थिति में नहीं होती। ऐसे में रोजाना आप वरुण वृक्ष की 3 ग्राम पत्तिओं को पीस कर उसका शर्बत के रूप सेवन करे। इसके नियमित सेवन आपका रक्त साफ रहेगा। साथ ही रक्त शोधन ना होने के कारण होने वाली खाज-खुजली से भी मुक्ति मिलती है। ऐसा करने से किडनी को आराम भी मिलता है।
- मधुमेह – मधुमेह जीवन भर साथ रहने वाली एक गंभीर बीमारी है। यदि इस बीमारी पर काबू ना पाया जाए तो आपकी किडनी भविष्य में खराब होने की संभावना बनी रहती है। वरुण वृक्ष की छाल मधुमेह को कम करने में बहुत ही लाभदायक होती है। वरुण की छाल का काढ़ा बना कर सेवन करने से मधुमेह धीरे-धीरे कम हो जाता है। व इसके नियमित रूप से मधुमेह जड़ से खत्म भी हो सकता है। आप इसकी छाल से बने काढ़े का प्रयोग मधुमेह की किसी भी अन्य दवाओं के साथ कर सकते हैं। लेकिन दवा और काढ़े के बीच आधे घंटे का अंतराल जरूर रखे। वरुण की छाल का सेवन करने से पहले किसी वैध या चिकित्सक से इस विषय पर परामर्श जरूर लें।
- पथरी – किडनी में पथरी होना बहुत पीड़ादायक होता है। किडनी में पथरी के होने से हमारी किडनी खराब भी हो सकती है। किडनी से पथरी को बाहर निकालने के लिए हमें ऑप्रेशन का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन वरुण के फूल और पत्तों से बने पाउडर के सेवन से हम बिना ऑपरेशन कराए पथरी को खत्म कर सकते हैं। इसके लिए आपको चाहिए की आप वरुण के फूल और पत्तों को छाव में सूखाकर उसका पाउडर बना लें। रोजाना सुबह-शाम उसकी चाय बनाकर पिए। इससे किडनी में होने वाली पथरी की समस्या से छुटकारा मिलता है। यह चाय ना केवल पथरी में राहत दिलाती है बल्कि गले और त्वचा से जुडी समस्या में भी राहत दिलाती है।
- मूत्र रोग – किडनी से जुड़े हुए का रोग है जिनमे मूत्र विकार भी एक है। मूत्र से जुड़ी समस्या होने पर किडनी पर इसका प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है, वहीँ यह किडनी खराब होने की तरफ भी इशारा करता है। वरुण वृक्ष आपको पेशाब से जुडी तमाम समस्यों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। जिन लोगों के मूत्र में जलन होती है, पीले रंग का मोत्र रुक-रुककर आता है। ऐसे रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम वरुण की जड़ का काढा सेवन कराने से 20 दिन में ही मूत्र रोग दूर हो जाते हैं। मूत्र की जलन खत्म हो जाती है। मूत्र खुलकर आता है और मूत्र का पीलापन भी दूर हो जाता है।
क्या वरुण वृक्ष से कोई नुकसान भी हो सकते हैं?
फ़िलहाल वरुण के इस्तेमाल से होने वाली किसी हानि के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन आप इसका प्रयोग करते समय अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें, तथा इस बात की जानकारी भी जरूर रखें कि आपको इसका कितना प्रयोग करना है और किस प्रकार करना है। हां, अगर आप गर्भवती या स्तनपान कराती हैं तो इसके प्रयोग से थोडा बचना चाहिए।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वदिक पद्धत्ति द्वारा उपचार कराते हुए हम इस बात से निश्चित होते हैं की यह दवाएं अंग्रेजी दवाओं की तरह हमारे शरीर को नुकसान नहीं पहुँचने वाली। क्योंकि अयुर्वेदिक दवाओं में कोई केमिकल नहीं होता। आयुर्वेद में सभी उपचार प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से किया जाता है। इस समय देशभर में अनेक आयुर्वेदिक उपचार केंद्र उपलब्ध है, कर्मा आयुर्वेद एक ऐसा किडनी उपचार केंद्र है जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी फेल्योर का इलाज करता है।
कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में हुई थी। तभी से कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक किडनी उपचार करते आ रहा हैं। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेदा किडनी ठीक करने को लेकर चमत्कार के रूप में साबित हुआ हैं।