जब कोई खुशी का मौका होता है तो लोग अक्सर शराब का सेवन करना पसंद करते हैं। लेकिन हम सब इस बात से भली-भांति वाकिफ है कि शराब का सेवन करने से हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आपको अपने आस-पास बड़ी आसानी से ही इसके उदहारण मिल जाएंगे। थोडा-थोडा कर शुरू हुई शराब पीने की आदत एक समय आने पर व्यक्ति की जरूरत बन जाती है। इतिहास की बात करे तो आपको बता दें कि बीते पिछले 10,000 या उससे भी अधिक वर्षों पहले से मनुष्य किसी न किसी रूप में शराब का सेवन करते आ रहे हैं और उसी समय से इसके गुण और अवगुणों के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती रही है।
शराब पीने से ऐसे होती है किडनी खराब
नियमित रूप से शराब पीने से शरीर में इसके कई नकारात्मक प्रभाव दिखाई देते हैं। मादक पेय पदार्थों में इथेनॉल नामक कण पाया जाता है जो कि शरीर को कई अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है। यह भले ही औषधि के रूप में काम करे लेकिन इसके सेवन से जान पर भी बन जाती है। शराब पीने से होने वाली सबसे बड़ी समस्या है “किडनी की विफलता”। इस बात से सभी विदित है कि शराब पीने से किडनी खराब होने की आशंका काफी बढ़ जाती है, लेकिन हम आपको बता दें इसके सेवन से किडनी एक दम से खराब नहीं होती। शराब पीने से होने वाली किडनी की बीमारी को क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है। शराब पीने से किडनी निम्नलिखित तरीके से खराब होती है :-
हृदय से जुड़ी समस्याएं - यदि कोई व्यक्ति शराब के सेवन का आदि हो जाता है तो उसको हृदय से जुड़ी समस्याएं होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। शराब के सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या होना शुरू हो जाती है, जिसके चलते रक्त प्रवाह के दौरान हृदय पर दबाव पड़ता है और धड़कने अनियमित हो जाती है, जिसके कारण किडनी पर रक्तशोधन का दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। लम्बे समय तक ऐसा रहने से किडनी खराब होना शुरू हो जाती है। रक्त प्रवाह और दिल में आई इस खराबी के कारण किडनी खराब होने की आशंका रहती है।
निर्जलीकरण की समस्या – शराब का अधिक सेवन करने से शरीर में निर्जलीकरण की समस्या हो जाती है। शरीर में आई पानी की कमी के चलते किडनी को कार्य करने में समस्या आना शुरू हो जाती है। किडनी को कार्य करने के दौरान अधिक दबाव सहन करना पड़ता है, जिसके चलते किडनी खराब हो जाती है। इसलिए आप रोजाना कम से कम 8 से 10 गिलास या 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करें।
संक्रमण की समस्या - शराब का सेवन करने से शरीर में रक्त प्रवाह प्रभावित होता है जो कि शरीर में कई तरह के संक्रमण होने की संभावना को भी बढ़ा देता है। इन संक्रमण में किडनी संक्रमण, मूत्र संक्रमण, रक्त संक्रमण हो सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होना - शराब के सेवन से आपका रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) बार-बार प्रभावित होती है। जिसकी वजह से शरीर में बैक्टीरिया, वायरस जल्दी से घर बना लेते हैं और आप बार-बार या जल्दी-जल्दी बीमार होने लग जाते हैं। जल्दी-जल्दी बीमार होने से किडनी के कार्य करने की क्षमता कम होने लगती है या फिर किडनी पर काम का दबाव ज्यादा होने के कारण वह खराब होने लग जाती है।
अधिक मात्रा में पेशाब आना – शराब पीने के दौरान पेशाब अधिक मात्रा में आता है, जिसकी वजह से किडनी को अधिक मात्रा में पेशाब का निर्माण करना पड़ता है, जिसके चलते किडनी पर दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। लम्बे समय तक ऐसा ही चलने पर एक समय आने पर किडनी खराब हो जाती है।
लीवर से जुड़ी समस्या – शराब का लीवर पर सीधा असर पड़ता है, क्योंकि शराब सबसे पहले लीवर में ही पहुंचती है। चूँकि अल्कोहल (alcohol) का 90% विघटन लीवर में ही होता है, इसलिए जब आप बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तो आपका लीवर खराब हो सकता है।
शराब के अधिकमात्रा (Overdose) को कैसे पहचाने?
अक्सर लोगो को शराब पीने के बाद भी यह ज्ञात नहीं होता कि शराब की अधिकता हो चुकी है यानि अल्कोहल ओवरडोज हो चुकी है। अल्कोहल ओवरडोज के लक्षण हो सकते हैं-
- मानसिक स्थिति में परिवर्तन होना
- उच्च रक्तचाप
- शारीरिक असंतुलन
- शराब पीने के बाद उल्टी होना
- घबराहट होना
- त्वचा रंग में बदलाव होना
- शरीर के तापमान में कमी (हाइपोथर्मिया)
- बेहोशी होना
- दिल की धड़कन में अनियमिता
- अधिक पसीना आना
- अधिक मात्रा में पेशाब आना
आयुर्वेदिक औषधियों से होगा किडनी फेल्योर का उपचार
आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आपको बता दें कि आयुर्वेदिक किडनी उपचार लेने से किडनी रोगी को आयुर्वेदिक किडनी डायलिसिस उपचार और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत नहीं होती क्योंकि आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा किडनी रोगी ठीक हो जाते हैं।