हल्दी के फायदे और नुकसान

अल्कोहोल और किडनी रोग

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हल्दी के फायदे और नुकसान

हल्दी हर घर पाए जाने वाली एक खास आयुर्वेदिक औषधि है। हल्दी, अदरक की तरह जमीन के अंदर उगती है, एक निश्तिच समय के बाद इसकी जड़ों को सुखाकर और फिर पीसकर पीले रंग का पाउडर तैयार किया जाता है, जिसे हल्दी कहा जाता है। हल्दी कुरकुमा लौंगा पौधे की जड़ से प्राप्त की जाती है। हल्दी भारतीय भोजन में बड़े पैमाने में इस्तेमाल होने वाला एक खास मसाला है। हल्दी ना केवल खाने का स्वाद बढ़ाती बल्कि यह कई रोगों का उपचार करने के लिए औषधि के रूप में भी प्रयोग की जाती है। आयुर्वेद में हल्दी के गुणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है।

हल्दी के पोषक तत्व :-

हल्दी कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिसके कारण इसे कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है। हल्दी के अंदर फाइबर, पोटेशियम, विटामिन B 6, मैग्निशियम और विटामिन C जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। एक औंस हल्दी का नियमित सेवन करने से 26 प्रतिशत मैगनीज और 16 प्रतिशत आयरन की प्रतिदिन की जरुरत पूरी की जा सकती है। पकी हुई हल्दी के साथ कच्ची हल्दी भी बहुत गुणकारी है, कच्ची हल्दी के सेवन से हार्ट स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। हल्दी का सेवन सोरायसिस (psoriasis) और एक्जिमा (eczema) जैसी बीमारियों से बचाता है। हल्दी की तासीर गर्म होती है। हल्दी का उपयोग हर घर में सब्जी बनाने में एक महत्वपूर्ण मसाले के तौर पर किया जाता है। पर ध्यान रखें कि इसकी तासीर गर्म होती है, इसका अधिक उपयोग भी शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

हल्दी के फायदे :-

बचपन से ही हम सभी को हल्दी के गुणों के बारे में बताया जाता रहा है। हल्दी हमें कई बीमारियों से बचाती है। इसके सेवन से आप किडनी की बीमारी से बच सकते हैं, यह कई प्रकार से किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है। हल्दी के फायदे निम्नलिखित है -

मधुमेह –

हल्दी के नियमित सेवन से मधुमेह को काबू में किया जा सकता है। हल्दी में मौजूद कुरकुमिन (curcumin) नाम का यौगिक तत्व शरीर में इन्सुलिन को बढ़ने में मदद करते हैं, जिससे रक्त शर्करा का स्तर कम होने में मदद मिलती है। इन्सुलिन की मात्रा बढाने के लिए आप 6 ग्राम हल्दी का सेवन रोज करें। यह टाइप-1 डायबिटीज के रोगियों के इम्यून सिस्टम को अतिसक्रिय बनाता है और इस रोग के लक्षणों को कम करता है। इसके अलावा हल्दी मधुमेह से जुड़ी लीवर की बीमारियों को भी खत्म कर देता है। वहीं हल्दी, टाइप 2 मधुमेह रोग को शुरुआत में ही खत्म कर सकता है, यह टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण की तरह काम करता है। मधुमेह किडनी खराब होने के मुख्या कारणों में से एक हैं।

वजन कम करें –

हल्दी वजन कम करने में मदद करती है। हल्दी के सेवन से शरीर में मेटाबोलिक का स्तर बढ़ने लगता है, जिसकी वजह से शरीर की अतिरिक्त कैलोरी घटने लगती है, अतिरिक्त कैलोरी घटने से वजन कम होता है। इसके आलवा हल्दी में मौजद फाइबर पेट में जमा अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करती है। वसा कम होने से वजन अपने आप कम होने लगता है, साथ ही फाइबर पाचन तंत्र को भी दुरुस्त कर वजन कम करने में मदद करती है।

सूजन कम करें –

हल्दी में पाए जाने वाला यौगिक तत्व कुरकुमिन (curcumin) शरीर में आई सूजन को कम करने में मदद करता है। सूजन आना एक गंभीर समस्या है, इसके आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। किडनी खराब होने के कारण से भी शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ जाती है, यह किडनी खराब होने का साफ लक्षण है।

कोलेस्ट्रोल –

हल्दी के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रोल के स्तर को काबू में किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से कार्डियोवास्कुलर (हृदय सम्बंधित) रोगों का खतरा बना रहता है, साथ ही इससे किडनी पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हल्दी में मौजूद यौगिक तत्व करक्यूमिन और विटामिन बी 6 कोलेस्ट्रोल के स्तर को काबू करने में मदद करते हैं। विटामिन बी 6 होमोसिस्टीन (homocysteine) को पैदा होने से रोकता है, होमोसिस्टीन का स्तर बढ़ने से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह कई प्रकार का हृदय रोग पैदा कर सकता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

पाचन दुरुस्त करें –

हल्दी पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करती है, हल्दी के पोषक तत्व पित्त (Bile) का उत्पादन कर पित्ताशय (Gall bladder) को उत्तेजित करते हैं, जिससे पाचन में सुधार होता है। इससे पेट की सूजन और गैस की समस्या से निजात मिलती है और पाचन तन्त्र मजबूत होता है। हल्दी अल्सरेटिव बृहदांत्रशोथ (Ulcerative colitis) की समस्या से निजात दिलाता है, जिससे पाचन मजबूत होता है। हल्दी में फाइबर पाया जाता है, जो आहार पचाने में मदद करता है और पाचन शक्ति बढ़ाता है। पाचन समस्या से पीड़ित होने पर कच्चे रूप में हल्दी का सेवन करना लाभकारी माना जाता है।

गठिया –

हल्दी गठिया की समस्या से राहत दिलाने में मदद करती हैं। हल्दी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गठिया और गठिया के कारण होने वाली सूजन (Osteoarthritis and rheumatoid arthritis) से राहत दिलाते हैं। हल्दी के एंटीऑक्सिडेंट गुण शरीर में मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) को नष्ट कर देते हैं, जो शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। शोध यह पाया गया है कि रूमेटाइड संधिशोथ से पीड़ित जो लोग हल्दी का नियमित रूप से उपभोग करते हैं, उन्हें इसकी वजह से हल्के जोड़ो के दर्द और साथ ही सूजन से राहत मिलती है।

हल्दी के नुकसान :-

आपने ऊपर हल्दी का फायदों के बारे में विस्तार से पढ़ा, लेकिन आपको बता दें कि हल्दी के बहुत से नुकसान भी होते है। हल्दी से होने वाले नकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित है –

  • पीलिया होने पर हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए। इस रोग के दौरान हल्दी का सेवन करने से पित्ताशय की पथरी होने का खतरा रहता है, साथ ही शरीर में काफी पीलापन आ सकता है। वहीं कुछ लोगों का तर्क हैं कि पित्ताशय की पथरी में हल्दी काफी लाभकारी है। ऐसे में आप अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
  • हल्दी के अतिरिक्त सेवन से रक्त संबंधित समस्या हो सकती है। रक्तस्राव (Hemorrhage) होने पर हल्दी का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, यह रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।
  • मधुमेह के रोगियों को हल्दी का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि हल्दी का अधिक सेवन करने से रक्त शर्करा का स्तर काफी कम होने का खतरा रहता है।
  • गर्भवती महिलाओं को हल्दी का सेवन ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए। हल्दी का अधिक मात्रा में सेवन करने से गर्भपात का खतरा बना रहता है, साथ ही शिशु में विकार का भी खतरा रहता है।
  • हल्दी के अधिक सेवन से टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है, जिसके कारण शुक्राणुओं की संख्या में कमी आने लगती है। इसलिए पुरुषों को हल्दी का सेवन बहुत सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
  • हल्दी की तासीर गर्म होती है, इसके अधिक सेवन से पेट की गर्मी, चक्कर आना, मतली, दस्त लग जाना जैसी समस्या पैदा हो सकती है।

किडनी की बीमारी :-

किडनी हमारे रक्त को शुद्ध कर अपशिष्ट उत्पादों, क्षार और अम्ल को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर की आतंरिक सफाई करती है। इससे शरीर में रसायनों का संतुलन बना रहता है, जिससे हमारा शरीर ठीक से कार्य कर पाता है। लेकिन कई कारणों के चलते हमारी किडनी खराब हो जाती है, उस समय शरीर में रसायनों का संतुलन बिगड़ जाता है। शरीर में रसायनों का संतुलन बिगड़ने के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किडनी के अन्य रोगों के मुकाबले क्रोनिक किडनी डिजीज (किडनी फेल्योर) एक गंभीर समस्या है। इस बीमारी से बच पाना बहुत ही मुश्किल होता है। क्योंकि व्यक्ति को जब तक इस बीमारी के बारे में जानकरी मिलती है, उस समय तक रोगी की दोनों किडनियां 60 से 65 प्रतिशत तक खराब हो चुकी होती है।

किडनी की विफलता के लक्षण :-

किडनी खराब होने पर शरीर में इस गंभीर बीमार के कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिनकी पहचान कर आप कर्मा आयुर्वेदा से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार लें सकते हैं -

  • सांस लेने में तकलीफ
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना
  • नींद आना
  • कमर दर्द होना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • गंधदार पेशाब आना
  • पेशाब में खून आना
  • अचानक कमजोरी आना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • आंखों के नीचे सूजन
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा सकता है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।

वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेदा ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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