हाइड्रोनफ्रोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें मूत्राशय के अंदर मूत्र के निर्माण के कारण गुर्दे सूज जाते हैं। ऐसा कुछ अंतर्निहित रुकावट के कारण मूत्राशय से मूत्र को बाहर निकालने के लिए किडनी की अक्षमता के कारण होता है। किडनी की यह हालत एक या दोनों किडनियों में हो सकती है। लेकिन अगर इसका ठीक समय पर उपचार शुरू ना कराया जाए तो यह समस्या किडनी की विफलता का कारण बन सकती है।
मूत्र पथ का मुख्य कार्य शरीर से मूत्र के रूप में अपशिष्ट और द्रव को निकालना है। मूत्र प्रणाली चार चीजों के मेल से बनी होती है जिसमे किडनी, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग शामिल है। मूत्र का उत्पादन तब होता है जब किडनी रक्त को छनती हैं जिससे पाचन के बाद अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पाद, खनिज और अन्य बचे हुए पदार्थ निकल जाते हैं। मूत्र को फिर गुर्दे के एक भाग में संग्रहीत किया जाता है जिसे वृक्क श्रोणि कहा जाता है। इस वृक्क श्रोणि से मूत्र मूत्रवाहिनी नामक एक पतली नली में जाता है। मूत्राशय जब मूत्र से भर जाता है तो धीरे-धीरे मूत्रमार्ग नामक एक अन्य छोटी नली की मदद से खुद को खाली कर देता है। हाइड्रोनफ्रोसिस तब होता है जब मूत्र के प्रवाह में रुकावट होती है या यह उल्टी दिशा में बह रहा है, जिससे किडनी की श्रोणि का विस्तार होता है, जो किडनी की एक प्रकार की समस्या है। आसान भाषा में कहे तो हाइड्रोनफ्रोसिस एक प्रकार का किडनी रोग है जो मूत्र संक्रमण के कारण होता है। जिसमे मूत्र नलिका से बाहर जाने की बजाय वापिस किडनी में चला जाता है। जिसके कारण किडनी में सूजन के साथ साथ अन्य समस्याएँ भी उत्पन्न होने लग जाती है।
हाइड्रोनफ्रोसिस होने के लक्षण :-
यदि आप हाइड्रोनफ्रोसिस की समस्या से जूझ रहे है तो आपके शरीर में इसके निम्नलिखित संकेत या लक्षण दिखाई दे सकते है। इन लक्षणों की पहचान कर आप इस गंभीर समस्या से निजात पाने की तरफ कदम रख सकते है –
- पेट में दर्द
- जी मचलना
- उलटी आना
- तेज़ बुखार होना
- बार बार पेशाब आना
- पेशाब की कम मात्रा आना
- कम दबाव के साथ पेशाब आना
- दबाव होने पर भी पेशाब ना आना
- पेशाब में खून आना
- झागदार पेशाब आना
इसके अलावा बच्चों में हाइड्रोनफ्रोसिस के निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दे सकते है –
- नियमित रूप से सोते समय बिस्तर गिला करना
- पेशाब का अपने आप निकल जाना
- भूख की कमी
- चिडचिडापन
- बार बार बुखार होना
- कमजोरी
- हड्डियों में विकार
- दस्त लगाना
- पेशाब के दौरान खून आना
- पेशाब के दौरान लिंग में दर्द महसूस होना
- लाल या केसरी रंग का पेशाब आना
- पेशाब के दौरान पीठ के निचले हिस्से और नाभि में तेज़ दर्द होना
- दुर्गन्ध वाला पेशाब
- गाढ़ा पेशाब आना (यह मधुमेह की शिकायत भी हो सकती है)
- पेशाब की धार कमजोर होना
- हर समय ठण्ड लगना
- कंपकंपी के साथ तेज़ बुखार
- बार बार त्वचा का गर्म हो जाना, जिससे शरिर का रंग लाल हो जाना
- हमेशा थकान महसूस होना
- पसली और कुल्हे की हड्डियों में दर्द रहना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- आँखों और पंजों में सूजन
ध्यान दें बच्चों एक साथ साथ बड़ों में भी उपरोक्त लक्षण दिखाई दे सकते है, जिनकी मदद से हाइड्रोनफ्रोसिस की पहचान की जा सकती है।
हाइड्रोनफ्रोसिस होने के कारण :-
हाइड्रोनफ्रोसिस कुछ अन्य अंतर्निहित स्थितियों के कारण होता है यह बीमारी मूत्र संक्रमण के कारण होती है। हाइड्रोनफ्रोसिस होने के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते है -
- मूत्रवाहिनी में अवरोध जो किडनी को मूत्राशय से जोड़ता है।
- एक गुर्दे की पथरी
- गर्भावस्था
- एक बढ़े हुए प्रोस्टेट
- मूत्रवाहिनी में जन्म दोष
- मूत्रवाहिनी का सिकुड़ना
- मूत्रवाहिनी में ट्यूमर
- गुर्दे के ऊतकों का टेढ़ा होना
- अधिक देर तक पेशाब रोकने के कारण मूत्र संक्रमण होता है।
- पोटाशियम की कमी
- किसी कारण सर पर चोट लगने के कारण
- पानी कम मात्रा में पीना
- जरूरत से ज्यादा पानी पीना
- मधुमेह मेलिटस
- मैनिटाल चिकित्सा के कारण
- मधुमेह इन्सिपिन्डस
बच्चों में हाइड्रोनफ्रोसिस होने के निम्नलिखित कारण होते है –
- मुत्रवाहिका में वाल्व उत्पन्न होने के कारण बच्चों को पेशाब करने में परेशनी हो जाती है। जिससे उनको मूत्र संकर्मण होने का खतरा रहता है इसे पोस्टीरियर युरेटेरिक वाल्व के नाम से जाना जाता है।
- मूत्र पथ पर पथरी होने के कारण से भी मूत्र संक्रमण हो सकता है।
- बच्चों के आसपास विशेषकर शौचालय में ठीक से साफ सफाई ना होने के कारण से भी मूत्र विकार हो सकता है।
- लड़कियों का ज्यादा झागदार पानी में नहाने से भी मूत्र संक्रमण हो सकता है।
- यदि बच्चे ज्यादा टाइट कपडें पहने तो भी मूत्र संक्रमण होने का खतरा रहता है।
- टॉयलेट सीट से भी मूत्र संक्रमण हो सकता है। क्योंकि टॉयलेट सीट पर करोडो की संख्या में जीवाणु होते है जो शरीर में प्रवेश कर जाते है।
हाइड्रोनफ्रोसिस किडनी की बीमारी का प्रकार है जिसे गुर्दे से संबंधित विकारों को रोकने के लिए एक प्राकृतिक उपचार, हाइड्रोनफ्रोसिस आयुर्वेदिक उपचार की मदद से आसानी से कम किया जा सकता है। हाइड्रोनफ्रोसिस के कारणों पर काम किया जाता है जब कोई मरीज बचाव के लिए आयुर्वेद को उपचार के रूप में लेता है।
हाइड्रोनफ्रोसिस से निदान :-
हाइड्रोनफ्रोसिस आसानी से घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से प्रबंधनीय है। आप निम्नलिखित घरेलु उपचारों को अपना सकते है -
- मूली के पत्तों का रस गुर्दे की पथरी को खत्म करने में मदद करता है, जो हाइड्रोनफ्रोसिस का एक कारण है,
- तरबूज भी गुर्दे की पथरी के रोगियों के लिए अच्छा है। यह एक प्रकार का प्राकृतिक मूत्रवर्धक है जो बिना दर्द के गुर्दे की पथरी को पास करने में मदद करता है,
- जैतून के तेल और नींबू के रस का मिश्रण गुर्दे की पथरी के लिए भी प्रभावी है,
- हाइड्रेटेड रहें क्योंकि इससे किडनी के स्वास्थ्य में सुधार होगा,
- सुबह-सुबह चुटकी भर नमक और काली मिर्च के साथ टमाटर का रस भी हाइड्रोनफ्रोसिस को ठीक करने के लिए लिया जा सकता है,
- खीरे का सेवन करे, खीरा मूत्र वर्धक होता है क्योंकि इसमें 90 प्रतिशत तक पानी होता है।
कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद की मदद से हम आसानी से हर जानलेवा बीमारी से निजात पा सकते है। आयुर्वेद ख़राब हुई किडनी को पुनः ठीक करने की भी ताक़त रखता है। “कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। हम आयुर्वेद के जरिये हर बीमारी का इलाज कर सकते है। कर्मा आयुर्वेदा पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहे है। आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेद ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।