हाथरस में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
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एक मनुष्य भोजन किए बिना हफ़्तों तक जीवित रह सकता है। इस दौरान वह मनुष्य के शरीर में काफी मात्रा में कमजोरी जरूर देखी जा सकती है, लेकिन मनुष्य की मृत्यु नहीं होगी। एक मनुष्य के लिए पानी का बहुत महत्व है। पानी के बीना मनुष्य अपना जीवन व्यतीत करने की सोच भी नहीं सकता।

मनुष्य को अपने हर काम के लिए पानी की जरुरत होती है। सुबह से लेकर रात तक पता ही नहीं हम इसे कितने ही काम करते है जो बिन पानी के हो ही नहीं सकते। पानी का महत्व आप इस बात से भी लगा सकते है की जितनी भी पुरानी सभ्यताओं का जन्म हुआ सभी पानी के आस-आपस ही पनपी। उदाहरण के लिए चीन की सभ्यता जो प्राचीन नदी 'पीली नदी' (युआंग नदी) के किनारे जन्मी और वहीँ फली-फूली।

एक मनुष्य को जिन्दा रहने के लिए रोजाना कम से कम एक से दो लीटर पानी पीना चाइये। जर्मनी की डीजीई एडवायजरी एसोसिएशन की सिल्के रेस्टेमेयर के अनुसार हमें एक दिन में दो लीटर पानी पीना जरुरी है।  इसके बीना हमारे शरीर में कई प्रकार की परेशानिया हो सकती है। पानी की कमी से होने वाली यह परेशानिया समय के साथ जानलेवा बन सकती है।

आपको बता दें की पानी पीते वक्त हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि एक बार में मनुष्य को बहुत ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में रक्त में सोडियम का स्तर अचानक कुछ देर के लिये बहुत गिर जाता है। अचानक सोडियम का स्तर गिरने से थकान, नाक बहने, उल्टी या मितली जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।

कम पानी पीने से हमें वैसे तो कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन सबसे खरतनाक बीमारी है "किडनी फेल्योर" जो हमें पानी की से हो जाता है। वैसे तो एक मनुष्य को कई कारणों से किडनी फेल्योर का सामना करना पड़ सकता है लेकिन कम पानी पीने से भी किडनी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके चलते हमारी किडनी ख़राब हो जाती है। इसलिए हमें सही मात्रा में पानी पीना चाहिए। जिससे हमारी किडनी को काम करने में सहयता मिलती है।

हमारी किडनी पानी की कमी के अलावा कई कारणों से भी ख़राब हो जाती है जैसे धूम्रपान का सेवन करना, शराब पीने से, अधिक मात्रा में नमक और चीनी का सेवन, बार-बार पेनकिलर्स दवाएं लेने से, मधुमेह, दिल की बीमारी, नींद की कमी, अधिक मात्रा में कॉफ़ी का सेवन करना, जरुआत से ज्यादा काम करना और आराम ना करना, कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करना, काफी देर तक पेशाब रोकना, आहार में मिनरल्स और विटामिन की कमी होना, हाई ब्लड प्रेशर आदि। किडनी फेल्योर होने के समय हमारे शरीर में कुछ बदलाव भी देखे जा सकते है।

किडनी ख़राब होने की स्थिति में मिलने वाले संकेत/लक्षण -

  • हड्डी और जोड़ो में दर्द
  • पेशाब करते समय कठिनाई होना
  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • हाथ, पैर और टखनें में सूजन
  • आंखों के चारों और सूजन
  • सांस छोटी होना
  • खराब गंध मूत्र
  • सूस्ती और नींद आना
  • अचानक वजन घटना या बढ़ना
  • पेशाब बार-बार जाना
  • पेशाब में रक्त या प्रोटीन आना

एक बार किडनी ख़राब हो जाने के बाद उसको फिर से ठीक करना बहुत ही मुश्किल और एक जटिल परिक्रिया है। जिसमे सफलता ना के बराबर ही मानी जाती है। क्यूंकि जब तक रोगी को यह पता चलता है की उसकी किडनी ख़राब हो चुकी है या ख़राब होने की स्थिति में तब तक काफी देर हो चुकी होती है। अकसर देखा गया है रोगी को इस बारे में जब पता चलता उस समय तक उसकी किडनी 60-65 %  तक खरब हो चुकी होती है।

वही एलोपैथी उपचार में किडनी फेल्योर का उपचार सम्भव नहीं है। किडनी फेल्योर का ही क्या बल्कि ऐलोपैथी में किसी भी रोग का उपचार संभव नहीं है। एलोपैथी में रोग की बस रोकथाम की जाती है, ना की उसे जड़ से खत्म किया जाता है। एलोपैथी में किडनी फेल्योर के दो ही उपचार मौजूद है।  एक "डायलिसिस" और दूसरा "किडनी ट्रांसप्लांट"। दोनों ही उपचार बहुत खर्चीले होते है।

डायलिसिस में मरीज का खून साफ़ किया जाता है। जो एक बार शुरू होने के बाद जीवन भर इसी के सहारे रहना पड़ता है। अंत में एक स्थिति ऐसी भी आती है जब डायलिसिस से भी रोगी को कोई आराम महसूस नहीं होता। उस समय किडनी बदलने के अलावा कोई भी चारा नहीं होता। इस दौरान रोगी और रोगी के परिवार पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है, वो भी आर्थिक और मानसिक तौर पर।

आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का उपचार

लेकिन हम आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर सकते है। यानि आयुर्वेद में किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जा सकता है। "कर्मा आयुर्वेदा" ने इसे साबित किया है। आयुर्वेद में हर बीमारी को 100% ठीक किया  जा सकता है।

"कर्मा आयुर्वेदा" बीते कई वर्षो से आयुर्वेद के सहारे से ही ना जाने कितने ही लोगो को इस खतरनाक बीमारी से छुटकारा दिलवा चुके है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे है।

डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है।हाथरस (महामाया नगर) में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है।  आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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